उत्तराखण्ड
में त्रिशंकु विधानसभा
के आसार बढ़े
-जयसिंह रावत
भारी मतदान
की प्राथमिक सूचनाओं
की हवा निकलते
जाने के साथ
ही परिवर्तन की
उम्मीदों से फूले
नहीं समा रहे
विभिन्न दलों के
प्रत्याशियों की उम्मीदों
की हवा भी
मतदान की हकीकत
सामने आते जाने
के साथ ही
निकलती जा रही
है। निर्वाचन विभाग
भी मानने लगा
है कि इस
बार रिकार्ड मतदान
नहीं बल्कि पिछले
चुनाव से कम
निकल रहा है।
जबकि विभाग द्वारा
70 प्रतिशत से अधिक
मतदान की संभावना
जता कर कई
प्रत्याशियों की उम्मीदें
भी जगा दीं
थीं।
राज्य निर्वाचन विभाग से
प्राप्त जानकारी के अनुसार
मतदान अधिकारियों से
अब तक जो
सूचनाएं मिली हैं
उनके अनुसार इस
बार का मतदान
प्रतिशत 66.50 प्रतिशत ही निकल
रहा है। जबकि
निर्वाचन विभाग ने 15 फरबरी
को सांय 5 बजे
तक 68 प्रतिशत मतदान
हो जाने और
एक लाख से
अधिक मतदाताओं के
पंक्तियों में खड़े
रहने से 70 प्रतिशत
से अधिक मतदान
की संभावना व्यक्त
की गयी थी।
इससे पहले 2012 के
विधानसभा चुनाव का मतदान
इससे कहीं अधिक
67.22 प्रतिशत था। मतदान
के आंकड़े जुटाने
में लगे विभागीय
अधिकारियों का कहना
है कि वास्तविक
मतदान की तस्बीर
साफ होने में
अभी एक दो
दिन का समय
और लग सकता
है। फिलहाल सभी
मतदान अधिकारियों से
सटीक आंकड़े प्राप्त
किये जा रहे
हैं। पूरे आंकड़े
आने के बाद
भी मतदान प्रतिशत
बढ़ने की उम्मीद
नहीं है। बल्कि
मतदान प्रतिशत 66 प्रतिशत
से भी नीचे
64 प्रतिशत तक गिरने
की संभावना है।
अगर ऐसा होता
है तो भारी
मतदान की सूचनाओं
से सत्ता परिवर्तन
की उम्मीदें पालने
वालों की उम्मीदों
पर पानी फिर
सकता है। हालांकि
सत्ता परिवर्तन के
लिये कम या
ज्यादा मतदान का कोई
निश्चित पैमाना नहीं है।
मतदान के दिन
संायकाल को निर्वाचन
विभाग ने संभावित
मतदान के जो
आंकड़े बताये थे
उसके अनुसार उधमसिंह
नगर में 76.23 प्रतिशत,
उत्तरकाशी में 73, हरिद्वार में
74.48, नैनीताल में 65.83, देहरादून में
64.33, रुद्रप्रयाग में 63, बागेश्वर में
62, चमोली में 61.23, पिथौरागढ़ में
60 और अल्मोड़ा जिले
के विधानसभा क्षेत्रों
में 52 प्रतिशत मतदान होना
बताया गया था।
हालांकि अब भी
देहरादून के आंकड़े
स्पष्ट नहीं हो
पाये हैं लेकिन
ताजा अपडेट के
अनुसार देहरादून का मतदान
प्रतिशत घट कर
63.86 प्रतिशत रह गया
है। चमोली जिले
में 61.23 प्रतिशत बताया गया
था जो कि
अब 60.43 प्रतिशत बताया जा
रहा है।
इधर मतगणना से पहले
ही निर्वाचन विभाग
द्वारा दी गयी
भारी मतदान की
सूचनाओं से प्रफुल्लित
भाजपा नेताओं ने
सत्ता परिवर्तन को
अवश्यंभावी मानकर लड्डू बांटने
शुरू कर दिये
थे। भाजपा के
कार्यालय पर गत
दिवस चौबट्टाखाल से
भाजपा प्रत्याशी सतपाल
महाराज और लैंसडौन
के प्रत्याशी दलीपसिंह
रावत ने लड्डू
बांट कर वहां
मौजूद पत्रकारों समेत
सभी लोगों का
मुंह मीठा कर
दिया था। सतपाल
महाराज भाजपा की ओर
से अगले मुख्यमंत्री
माने जा रहे
हैं। लेकिन अगर
सचमुच मतदान प्रतिशत
पहले से कम
होता है तो
भाजपा कार्यालय में
बांटे गये हलवाई
के लड्डू मन
के लड्डू साबित
हो सकते हैं।
क्योंकि कम मतदान
की स्थिति में
एक बार फिर
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति
बन सकती है
और फिर बहुमत
के लिये विधायक
जुटाने के मामले
में कोई भी
बाजी मार सकता
है। वैसे भी
वे राजनीतिक विश्लेषक
जो अब तक
भारी मतदान को
राज्य में परिवर्तन
का द्योतक और
भाजपा की लाटरी
खुलने की भविष्यवाणी
कर रहे थे
वे ठिठक गये
हैं और मतदान
प्रतिशत के ताजे
आंकड़ों को देख
कर दबी जुबान
से त्रिशंकु विधानसभा
की संभावना स्वीकारने
लगे हैं। जबकि
सत्ता परिवर्तन के
प्रति आश्वस्त राजनीतिक
नेताओं के चेहरों
की लाली कुछ
फीकी पड़ने लगी
है।
अब तक भारी
मतदान की सूचनाओं
को प्रदेश में
मोदी लहर का
परिणाम माना जा
रहा था। इस
लहर में कांग्रेस
का सूपड़ा साफ
होने और मोदी
की आंधी में
कमजोर से कमजोर
भाजपा प्रत्याशी के
पार होने के
प्रति राजनीतिक जानकार
भी आश्वस्त नजर
आ रहे थे।
लेकिन कम मतदान
से इन चुनावों
में की जा
रही तमाम अटकलबाजियों
के उल्टे पड़ने
की संभावनाओं से
इंकार नहीं किया
जा रहा है।
कुछ लोग यह
भी मान रहे
हैं कि मतदाताओं
में उत्साह की
कमी के पीछे
वर्तमान सरकार को जारी
रखने की मंशा
भी हो सकती
है। लेकिन वर्तमान
सरकार की वापसी
के लिये स्पष्ट
बहुमत मिलने की
उम्मीदें केवल कांग्रेसियों
ने ही पाली
हुयी हैं। जबकि
त्रिशंकु विधानसभा और जोड़तोड़
की सरकार की
भविष्यवाणी करने वाले
राजनीतिक ज्योतिषियों की संख्या
धीरे-धीरे बढ़ने
लगी है।
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