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Friday, March 31, 2017

आदित्यनाथ के पिता आनन्द सिंह बिष्ट ने त्रिवेंद्र सिंह रावत से भेंट की।
देहरादून 31 मार्च, 2017
शुक्रवार को न्यू कैंट रोड़ स्थित सीएम कैम्प कार्यालय में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के पिता जी श्री आनन्द सिंह बिष्ट ने मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भेंट की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने श्री बिष्ट को शाॅल औढ़ाकर सम्मानित किया।

श्री बिष्ट ने मुख्यमंत्री को राज्य की विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया। जिसमें मुख्यतः पलायन, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य की समस्याएं शामिल है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने श्री बिष्ट को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार द्वारा इन समस्याओं को दूर करने का पूरा प्रयास किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की जनता ने राज्य को एक स्थिर सरकार दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश की जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ के भाई श्री मनेन्द्र सिंह बिष्ट, श्री महेन्द्र सिंह बिष्ट श्री दिगम्बर कुकरेती, श्री सुरेश रमोला, श्री कुलदीप नेगी, शैलेन्द्र बिष्ट आदि मौजूद थे।



Wednesday, March 29, 2017

Challenges before new Government of Uttarakhand

उत्तराखण्ड में जितना प्रचण्ड बहुमत उतनी ही बड़ी चुनौतियां
-जयसिंह रावत
विधानसभा चुनाव में प्रचण्ड बहुमत मिलने के बाद त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा ने उत्तराखण्ड में सरकार तो बना ली मगर उनके लिये जनता के इतने भारी भरकम विश्वास पर खरा उतरना भी एक चुनौती बन गया है। एक तो पहाड़ की पहाड़ जैसी समस्याएं और ऊपर से चुनावी वायदे इतने कि उन्हें पूरा करते-करते किसी मुख्यमंत्री की उम्र ही गुजर जाये। चुनावी वायदों और प्रदेश के विकास की जरूरतें पूरी करने के लिये धन की आवश्यकता होती है और सरकारी तिजोरी खाली पड़ी हुयी है।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को जितनी आसानी से प्रदेश के शासन की कमान हाथ लगी उतनी आसान उनकी राहें नजर नहीं रही हैं। मंत्रिमण्डल के गठन, मंत्रियों को आवास एवं कार्यालयों के आवंटन से लेकर विभागों के वितरण तक में जो खींचातानी हो़ रही हैं, उन्हें देखते हुये लग रहा है कि प्रदेश को संभालने से पहले उन्हें अपना घर संभालना पड़ेगा। चूंकि पार्टी को प्रचण्ड बहुमत हासिल होने के साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के सिर पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का हाथ भी है इसलिये वह पार्टी और सरकार की घरेलू समस्याओं से तो निपट ही लेंगे मगर प्रदेश की समस्याओं और विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिये उन्हें भारी मशक्कत करनी पड़ेगी। सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने खजाने के लगभग खाली होने की होगी। राज्य पर कर्ज का बोझ 41 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। पिछले बजट में उस कर्ज की केवल ब्याज अदायगी के लिये 3896 करोड़ की राशि रखी गयी थी। पिछले दिनों सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के लिये रिजर्व बैंक से कर्ज उठाना पड़ा। रिजर्व बैंक से भी कर्ज लेने की एक सीमा होती है। कई बार राज्य सरकार को फौरी जरूरतें पूरी करने के लिये बाजार से कर्ज उठाना पड़ता है। प्रदेश के लगभग 40422 करोड़ के वर्तमान बजट में लगभग 18 हजार करोड़ की रकम वेतन और पेंशन पर ही चली गयी। अभी-अभी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुयी हैं। प्रदेश के 2,31,835 राजपत्रित और अराजपत्रित कर्मचारियों को बढ़े हुये वेतनमान देने से राज्य पर फिलहाल लगभग 3200 करोड़ का बोझ बढ़ गया है। इनके अलावा लगभग 60 हजार निगम कर्मचारी भी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन मांग रहे हैं। इनमें से ज्यादातर निगम घाटे में चल रहे हैं। भाजपा ने संविदा पर काम कर रहे लगभग 18 हजार अस्थाई कर्मचारियों को नियमित करने का वायदा कर रखा है। पिछली सरकार जाते-जाते इतनी योजनाएं शुरू कर गयी कि उन्हें जारी रखना भी एक चुनौती है। कल्याणकारी योजनाओं के तहत गैरसरकारी पेशनधारियों की संख्या ही 7 लाख तक पहुंच गयी। उन्हें पेंशन दो तो मुसीबत और दो तो भी मुसीबत। देखा जाय तो हरीश रावत ने नयी सरकार के लिये नयी कल्याणकारी योजनाओं के लिये कोई गंुजाइश ही नहीं छोड़़ी है। इस हिसाब से आने वाला बजट 50 हजार करोड़ पार कर सकता है। जबकि राज्य का अपना राजस्व 10-12 हजार करोड़ से अधिक नहीं है। केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी को मिला कर 2016-17 के बजट में लगभग 18 हजार करोड़ की कर राजस्व प्राप्तियों का अनुमान था। मंत्री, विधायक, पार्टी नेता और कार्यकर्ता सुख सुविधाओं और लालबत्तियों के लिये लपलपा रहे हैं। ऐसी स्थिति में मितव्ययता और वित्तीय प्रबंधन इस सरकार की सबसे बड़ी चुनौती होगी।
मंत्रिमण्डल के गठन के तत्काल बाद मुख्यमंत्री ने पलायन रोकने के लिये प्रभावी कदम उठाने की बात कही है। लेकिन यह भगीरथ प्रयास कैसे सफल होगा, उसकी रूपरेखा नहीं बतायी। दरअसल पहाड़ों से पलायन रोकने के लिये वहां की ग्रामीण आर्थिकी मजबूत करने के साथ ही वहां शिक्षा और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं मजबूत करनी होंगी। पहाड़ों के स्कूलों में पहले भी शिक्षक पूरे नहीं थे तो अब भी नहीं है। इसी तरह अधिकांश अस्पताल डाक्टरों की कमी झेल रहे हैं। कर्मचारी वहां रहना ही नहीं चाहते। पहाड़ों की 80 प्रतिशत शिक्षा व्यवस्था सरकार के भरोसे है और शिक्षा का स्तर इतना खराब है कि सरकारी स्कूलों में तैनात शिक्षक भी अपने ही स्कूलों में अपने बच्चे नहीं रखते। सरकार ने अस्पतालों की संख्या तो बढ़ा दी मगर डाक्टर वहां नहीं जाते। प्रदेश की स्थाई राजधानी का मामला इतना पेचीदा है कि हरीश रावत सरकार ने गैरसैण के निकट भराड़ीसैण में विधानसभा भवन जैसा राजधानी का ढांचा तो खड़ा कर दिया मगर उसे उसका स्थाई या ग्रीष्मकालीन राजधानी का जैसा नामकरण करने से वह कतरा गये। स्थिति की जटिलता को देखते हुये भाजपा ने अपने दृष्टिपत्र में राजधानी के मसले को जलेबी की तरह घुमा रखा था। लेकिन बाद में कर्णप्रयाग सीट के लिये अलग से चुनाव हुये तो सीट जीतने के लिये उसे ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का वायदा करना पड़ा। पार्टी ने यह वायदा तो कर दिया, मगर पहाड़ के लोग वहां स्थाई राजधानी से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं।
उत्तराखण्ड दैवी आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हो गया है। देश के तटवर्ती क्षेत्रों में समुद्र से सुनामी आती है मगर यहां आसमान से सुनामी आने लगी है। हिमालय के उच्च क्षेत्रों में वर्षा नहीं होती थी। लेकिन अब केदारनाथ से कहीं ऊपर चोराबारी ग्लेशियर पर ही बादल फटने लगे हैं। सन् 1990 के दशक में यहां दो विनाशकारी भूकम्प चुके हैं और भूगर्ववेत्ता आगे ऐसे भूकम्प की चेतावनी दे रहे हैं जिसकी कल्पना से भी रूह कांप जाती है। बरसात आने वाली है और लोग अभी से सहमने लगे हैं। हर साल यहां हजारों लोगों को मारने वाली  केदारनाथ की जैसी कोई बड़ी आपदा होने पर भी सौ से अधिक लोग बादल फटने, भूस्खलन और त्वरित बाढ़ जैसी घटनाओं में मारे जाते हैं और सेकड़ों अन्य घायल होने के साथ ही बेघर हो जाते हैं। पिछली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आपदा की दृष्टि से संवेदनशील लगभग 370 गावों को अन्यत्र बसाने के लिये  प्रधानमंत्री से 10 हजार करोड़़ की मदद मांगी थी, जो कि नहीं मिली। राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है। यहां तक कि बिना भ्रष्टाचार मुक्त शासन की बात कपोल कल्पना लग रही है। जिन लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप स्वयं भाजपा लगाती रही उन्हीं की सत्ता में ताजपोशी करनी पड़ी है। ऐसे में कैसे भ्रष्टाचार दूर होगा, यह भी विचारणीय प्रश्न है। जब मंत्रियों और विधायकों पर ही हत्या जैसे गंभीर आरोपों के मुकदमें चल रहे हों तो कानून व्यवस्था की कल्पना की जा सकती है।
त्रिवेन्द्र रावत सरकार के सामने गत विधानसभा चुनावों में किये गये लम्बे-चौड़े वायदों से निपटना भी एक गंभीर चुनौती होगी। भाजपा के उस दृष्टिपत्र में कुल मिला कर 148 वायदे किये गये थे। विपक्षी कांग्रेस सरकार को बार-बार उन वायदों की यादें दिला कर सताती रहेगी, क्योंकि इतने सारे वायदे पूरे करना किसी भी सरकार के बस की बात नहीं है। वित्तीय तंगी और ‘‘पैंडोराज बॉक्स’’ के खुलने के डर से पूर्व में घोषित किये गये चार जिलों का गठन तो अभी तक संभव नहीं हो पाया और उस पर भाजपा ने चार अन्य जिलों के गठन का वायदा कर दिया। भाजपा के दृष्टि पत्र में शिक्षा नीति की समीक्षा कर उसे वैश्विक परिदृष्य के हिसाब से ढालने के लिए मेधावी छात्रों के लिए मुफ्त में लैपटॉप स्मार्ट फोन, निशुल्क शिक्षा, हजारों अस्थाई कर्मियों के समायोजन, रिक्त पदों पर तैनाती, छात्राओं के लिए आवासीय विद्यालय, चिकित्सा सेवाओं के विस्तार के लिये सचल चिकित्सा सेवा, टेली मेडिसिन, नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, बीपीएल के लिए स्वास्थ्य कल्याण कार्ड, ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने, सस्ती दवाओं के केंद्र और एयर एंबुलेंस शुरू करने के वायदे भी किये गये थे। हालांकि पहाड़ के लोगों को अभी जमीन पर चलने वाली एम्बुलेंस भी नहीं मिल पाती है। उस दृष्टिपत्र में पर्यटन और तीर्थाटन के तहत भाजपा ने वीर चंद्रसिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना का दायरा बढ़ाने, मेडिकल टूरिज्म, लोक कलाकारों के प्रोत्साहन, पर्यटन गाइड प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना, विपणन केंद्रों और कोल्ड स्टोरेज, ब्याजमुक्त फसली ऋण, उपभेक्ताओं को 24 घंटे बिजली, रियायती दर पर बिजली, नियमित हवाई सेवा, सड़कों का विकास आदि का वायदा किया गया था। राज्य की माली हालत इतनी पतली हो चुकी है कि इतने अधिक वायदों का एक छोटा सा हिस्सा भी पूरा करना आसान नहीं है। अगर वायदा खिलाफी हो गयी तो 2019 के लोकसभा चुनाव में जवाब देना मुश्किल हो जायेगा। उससे पहले इस सरकार को त्रिस्तरीय पंचायत और नगर निकाय चुनावों का सामना भी करना है। वोट बटोरने के लिये भाजपा वायदों की झड़ी तो लगा गयी मगर अब उनको पूरा करना उसे भारी पड़ रहा है।

- जयसिंह रावत
-11 फ्रेण्ड्स एन्कलेव, शाहनगर,
डिफेंस कालोनी रोड,
देहरादून।
मोबाइल-09412324999