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Thursday, January 2, 2014

अन्धेर नगरी- चौपट राजा,

अन्धेर नगरी- चौपट राजा, टका सेर भाजी, टका सेर खाजा...
सम्पति का ब्यौरा देने से कतरा रहे हैं मंत्री और विधायक

जयसिंह रावत, देहरादून ( दैनिक प्रभात)
अन्धेर नगरी चौपट राजा, टका सेर सब्जी टका सेर खाजा वाली कहावत नये राज्य उत्तराखण्ड में चरितार्थ हो रही हैं। विधानसभा नियमावली के अनुसार प्रत्येक विधायक को हर साल अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा विधानसभा सचिवालय को देना होता है जिसे हर साल राज्य के गजट में भी प्रकाशित कराना जरूरी होता है, लेकिन जब नियमों का पालन कराने वाली कार्यपालिका या सरकार उसका पलान करे और सरकार को नियमों का पालन कराने तथा गलत रास्ते पर जाने से रोकने वाला विपक्ष भी सरकार की ही राह चले तो फिर इसे अन्धेर नगरी नही ंतो और क्या कहेंगे?
विधानसभा नियमावली अनुसार प्रत्येक विधायक को प्रतिवर्ष अपना वार्षिक सम्पत्ति विवरण विधानसभा में देना होता है तथा जन सूचनार्थ इसे उत्तराखंड के गजट में प्रकाशित भी किया जाता है। लेकिन जब मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी मंत्री ही विधानसभा को अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा हनीं देंगे तो अन्य विधायकों से क्या अपेक्षा की जायेगी।  यही नहीं जब प्रतिपक्ष के नेता भी अपना ब्यौरा नहीं देंगे तो विधानसभा में सरकार का जवाब तलब कौन करेगा? उत्तराखंड के 70 में से 59 विधायकों ने 01 जनवरी 2012 से अपना कोई वार्षिक सम्पत्ति विवरण विधानसभा मेें नहीं दिया है। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री संहित 12 में से 9 मंत्री भी शामिल है। सूचना अधिकार के अन्तर्गत सूचना अधिकार विशेषज्ञ नदीम उद्दीन एडवोकेट को उपलब्ध करायी गयी सूचना से यह खुलासा हुआ है।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार एक्टिविस्ट नदीम उद्दीन एडवोकेट को विधान सभा के लोेक सूचना अधिकारी एवं मुख्य सम्पादक सुनील हरिव्यासी ने अपने पत्रांक 414 दिनांक 23 दिसम्बर 2013 से उन विधायकों मंत्रियों की सूची उपलब्ध करायी है जिन्हांेंने 01 जनवरी 2012 से अपना कोई वार्षिक सम्पत्ति विवरण नहीं दिया है। नदीम को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार सम्पत्तियों का विवरण उपलब्ध कराने वाले मंत्रियों में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा तथा उनके मंत्री मंडल के 8 मंत्री शामिल है। इसके अतिरिक्त नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने भी पिछले दो वर्षों में कोई सम्पत्ति विवरण उपलब्ध नहीं कराया है।
                आर टी आइ सूचना के अनुसार सम्पत्ति विवरण उपलब्ध कराने वाले मंत्रियों में हरक सिंह रावत, प्रीतम सिंह, दिनेश अग्रवाल, सुरेन्द्र राकेश, सुरेन्द्र सिंह नेगी, इन्दिरा ह्रदयेश, अमृता रावत यशपाल आर्य शामिल है। नदीम को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार सम्पत्ति विवरण देने वाले 50 विधायकों मेें माल चन्द्र, विजय पाल सिंह सजवाण, राजेन्द्र सिंह भंडारी, शैला रानी रावत, भीमलाल आर्य, सुबोध उनियाल, विक्रम सिंह, दिनेश धनै, महावीर सिंह, नवप्रभात, रमेश पोखरियालनिशंक’, प्रेमचन्द्र अग्रवाल, मदन कौशिक, आदेश चौहान, चन्द्र शेखर, हरिदास, फुरकान अहमद, प्रदीप बत्रा, कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, सरवत करीम अंसारी, संजय गुप्ता, यतीश्वरानन्द, सुन्दर लाल मन्द्रवाल, गणेश गोदियाल, तीरथ सिंह रावत, दलीप सिंह रावत, हरीश धामी, मयूख सिंह, नारायण राम आर्य, ललित फर्स्वाण, चन्दन राम दास, मदन सिंह बिष्ट, सुरेन्द्र सिंह जीना, अजय भट्ट, अजय टम्टा, मनोज तिवारी, पूरन सिंह फर्त्याल, हेमेश खर्कवाल, दान सिंह भंडारी, सरिता आर्य, शैलेन्द्र मोहन सिंघल, अरविन्द पांडे, राजकुमार ठुकराल, राजेश शुक्ला, प्रेम सिंह, पुष्कर सिंह धामी, उमेश शर्मा (काऊ), राजकुमार, हरबन्स कपूर गणेश जोशी शामिल है।

ल्लेखनीय है कि नियमानुसार प्रत्येक विधायक को अपना वार्षिक सम्पत्ति विवरण विधानसभा में देना होता है तथा जन सूचनार्थ इसे उत्तराखंड के गजट में प्रकाशित भी किया जाता है।

A COSTLY CHIEF MINISTER VIJAI BAHUGUNA

मंहगा पड़ रहा है उत्तराखण्ड को मुख्यमंत्री का दिल्ली प्रेम

,दैनिक प्रभात 


उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का दिल्ली प्रेम इस नये राज्य को बहुत मंहगा पड़ रहा है। मुख्यमंत्री की 15 महीनों में दिल्ली की 56 यात्राओं से राजकीय कोष पर 72 लाख से अधिक का भार पड़ा है। विपक्ष का कहना है कि अब मुख्यमंत्री की स्थाई पोस्टिंग दिल्ली में ही हो जानी चाहिये ताकि वह हाइकमान तथा अपने परिवार, दोनों के ही करीब रह सकें। मुख्यमंत्री के दिल्ली प्रवास के दिनों में राज्य सचिवालय में भी कामकाज लगभग ठप ही रहता है।
पुरुष अधिकार संरक्षण फोरम के अध्यक्ष तथा आरटीआइ कार्यकर्ता अजय कौशिक को सूचना के अधिकार के तहत नागरिक उड्डयन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 13 मार्च 2012 को पदभार ग्रहण करने बाद मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गत जून 2013 तक ही 56 बार दिल्ली की हवाई यात्राएं की हैं। कौशिक को मिली सूचना के अनुसार छह मार्च 2012 से 12 जून 2013 तक उनकी कुल 56 उड़ानें आने एवं 56 उड़ानें जाने की हुई हैं। 
नागरिक उड्डयन विभाग से कौशिक को मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री की इन यात्राओं के लिये इंडियन ऑयल कारपोरेशन को कुल 72 लाख 22 हजार 223 रुपये का भुगतान किया गया। नागरिक उड्डयन विभाग के अनुसार एक हवाई जहाज में प्रतिघंटा 350 लीटर तथा हेलीकॉप्टर में प्रतिघंटा 200 लीटर ईधन की खपत होती है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव समर भण्डारी के अनुसार कांग्रेस आला कमान को अब विजय बहुगुणा को स्थाई रूप से दिल्ली में ही बिठा देना चाहिये ताकि वह हाइकमान और अपने परिवार के करीब बने रहें। समर भण्डारी के अनुसार मुख्यमंत्री होली और दीवाली सहित लगभग हर त्यौहार को अपने परिवार के साथ मनाने के लिये दिल्ली चले जाते हैं। परिवार के साथ नये वर्ष की पूर्व संध्या मनाने भी उन्हें दिल्ली जाना पड़ा और अधिकारियों तथा महत्वपूर्ण व्यक्तियों की शुभकामनाएं लेने के लिये वह 1 जनवरी के अपराहन में ही देहरादून पहुंच सके। होली दीवाली पर लोग उन्हें मिलने सर्किट हाउस पहुंचे तो मुख्यमंत्री के दिल्ली में परिवार के साथ होने के कारण लोगों को निराश लौटना पड़ा।
प्रतिपक्ष के नता अजय भट्ट ने भी मुख्यमंत्री की दिल्ली की हवाई यात्राओं पर हैरानी प्रकट की है। भट्ट के अनुसार अगर मुख्यमंत्री विकास कार्यों के लिये दिल्ली जा रहे हैं तो उसमें ऐतराज नहीं होना चाहिये लेकिन अगर व्यक्तिगत कार्यों या पारिवारिक मिलन के लिये इतनी यात्राएं हो रही हैं तो यह सचमुच गंभीर बात है।

जब प्रदेश का मुखिया ही प्रदेश की माली हालत की चिन्ता करते हुये हवाई यात्राओं पर बेतहासा खर्च कर रहा हो तो फिर नौकरशाही और अन्य महत्वपूर्ण माननीय भी कहां पीछे रहने वाले हैं? राज्य सरकार ने विशिष्ट व्यक्तियों, मंत्रियों तथा अधिकारियों के लिए चार कंपनियों से हेलीकॉप्टर किराए पर लिये, जिन पर 46 लाख रुपये खर्च हुए हैं। अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने इन कंपनियों को राशि के भुगतान के आदेश कर दिये हैं। नागरिक उड्डयन निदेशक को जारी आदेश के मुताबिक दिल्ली की एरो एयरक्राफ्ट सेल्स एंड चार्ट्स प्राइवेट लि. के 31 मई और 26 जून के बिलों के लिए तीन लाख 12 हजार 566 रुपये एवं 71 हजार 236 रुपये, सार एविएशन सर्विसेज लिमिटेड दिल्ली को सात अक्टूबर के बिल के लिए 2 लाख 13 हजार 484 रुपये, मैसर्स प्रीमियर टर्मिनल को 25 फरवरी तथा 13 दिसंबर के लिए 3 लाख 47 हजार 237 एवं 5 लाख 29 हजार 134  रुपये, आर्यन एविएशन लि. को 16 अगस्त के लिए 18 लाख 46 हजार 918 रुपये एवं सात नवंबर के लिए 18 हजार एवं 11 लाख 2 हजार 333 रुपये का भुगतान किया जाएगा।