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Sunday, June 28, 2020

फील्ड मार्शल मानेकशा को सदा एक प्रेरणा स्रोत के रूप में याद किया जाएगा




फील्ड मार्शल मानेकशा को सदा एक प्रेरणा स्रोत के रूप में याद किया जाएगा
फील्ड मार्शल एसएचएफजे मानेकशा, पद्म विभूषण,  का  27 जून को उनकी पुण्य तिथि पर कृतज्ञ राष्ट्र ने भावपूर्ण स्मरण किया  वह भारत के 8वें सेनाध्यक्ष थे और 1971 में उन्हीं के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को हराया था। इस युद्ध में 90000 सैनिकों को बंदी बनाया जो एक ऐतिहासिक रेकॉर्ड है। अदम्य नैतिक साहस और नेतृत्व के अनुकरणीय गुणों वाले व्यक्ति के रूप में उनके जीवन को सशस्त्र बलों एवं राष्ट्र के लिए सदा एक प्रेरणा स्रोत के रूप में याद किया जाएगा।
फील्ड मार्शल एसएचएफजे मानेकशा का जन्म 03 अप्रैल 1914 को अमृतसर में हुआ था। मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनका परिवार गुजरात के शहर वलसाड से पंजाब गया था। मानेकशॉ ने प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर में पाई, बाद में वे नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में दाखिल हो गए। वे देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच (1932) के लिए चुने गए 40  कैडेट्स में से एक थे। वहां से वे कमीशन प्राप्ति के बाद 1934 में भारतीय सेना में भर्ती हुए। उनका चार दशकों का शानदार सैन्य कैरियर रहा। द्वितीय विश्व युद्ध में, एक युवा कैप्टन के रूप में उन्होंने बर्मा में युद्ध में भाग लिया और गंभीर रूप से घायल हो गए। शत्रु के समक्ष दिखाई गई अतुलनीय बहादुरी के लिए उन्हें 1942 में मिलट्री क्रॉस से सम्मानित किया गया। 1946-47 के दौरान फील्ड मार्शल मानेकशा की नियुक्ति सैन्य प्रचालन निदेशालय में हुई और वहां उन्होंने विभाजन से संबंधित विभिन्न मुद्दों के योजना निर्माण तथा प्रशासन और बाद में जम्मू एवं कश्मीर में सैन्य प्रचालनों की देखरेख की। 1962 के ऑपरेशन के दौरान एक कोर कमांडर के रूप में, उन्होंने विशिष्ट नेतृत्व का परिचय दिया और सकारात्मक रूप से ऑपरेशन का संचालन किया। वह इन्फैंट्री स्कूल, महू तथा डिफेंस सर्विसेज स्टॉफ कॉलेज, वेलिंगटन के कमांडेंट भी रहे। उन्हें 1968 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
वेलिंग्टन स्टाफ कॉलेज के इस व्यू प्वाइंट से  सामने की पहाड़ी
पर नज़र आता है मानेकशॉ का बंगला 
फील्ड मार्शल एसएचएफजे मानेकशा ने 08 जनवरी 1969 को सेनाध्यक्ष का पदभार संभाला। उन्होंने 1971 की लड़ाई में सफलतापूर्वक संचालन किया और भारत को उसकी महानतम विजय दिलाई जिसका परिणाम 13 दिनों की अल्प अवधि के भीतर ही बांग्ला देश की आजादी के रूप में सामने आया। उन्हें 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। जनरल ऑफिसर द्वारा सशस्त्र बलों एवं राष्ट्र को उनके असाधारण योगदान के सम्मान में उन्हें 15 जनवरी 1973 को फील्ड मार्शल के रैंक पर पदोन्नत किया गया। उन्होंने 27 जून 2008 को अंतिम सांस लीं।
फील्ड मार्शल एसएचएफजे मानेकशा 15 जनवरी 1973 को थल सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद वेलिंगटनतमिलनाडु में बस गए थे। उनकी मृत्यु वेलिंगटन के सैन्य अस्पताल के आईसीयू में 27 जून 2008 को हुई।इस जगह से उनका जुड़ाव उस वक्त से था जब वह डिफेंस सर्विसेज स्टॉफ कॉलेज के कमांडेंट थे। उनका नीलगिरि से विशेष लगाव था और स्थानीय लोग भी उनसे बहुत प्रेम करते थे। स्थानीय लोगों के साथ फील्ड मार्शल एसएचएफजे मानेकशा के घनिष्ठ लगाव था तमिलनाडु के नीलगिरि ज़िले की नीलगिरि पहाड़ियों मे से एक पहाड़ी  पर  मुझे भी इस लीजेंडरी जनरल का आवास दूर से देखने का सौभाग्य मिला। लगता था मानों उन वादियों में मानेकशॉ की रूह देश के दुश्मनों को ललकार रही हो