बाहुबलियों और करोड़पतियों की भरमार हुयी उत्तराखण्ड विधानसभा में
-जयसिंह रावत
देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा के इस बार के चुनाव में भले ही हरीश रावत जैसे कांग्रेसी महारथी पार्टी को जिताना तो रहा दूर, वे अपनी सीट तक बचा नहीं पाये, वहीं मोदी लहर में ऐसे प्रत्याशी भी चुनाव जीत कर लॉ मेकर बन गये जिन पर दर्जनभर अपराधिक मुकदमें चल रहे हैं। इस बार विधानसभा में जहां करोड़पतियों की संख्या भी बढ़ गयी वहीं लखपतियों की संख्या घट गयी है। इस बार 20 लाख से कम सम्पत्तियों वाले विधायकों की संख्या मात्र 2 रह गयी है।
नरेन्द्र मोदी बनाम हरीश रावत के बीच सिमटे उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में इस बार मोदी की ऐसी लहर चली कि प्रतिद्वन्दी कांग्रेस के धुर्रे उड़ने के साथ ही इस चुनावी महासंग्राम में कांग्रेस के महानायक हरीश रावत अपनी ही दो सीटें नहीं बचा पाये। जबकि दूसरी ओर मोदी लहर में दागी-बागी प्रत्याशियों के साथ ही विनोद कण्डारी, ऋतु खण्डूड़ी और धनसिंह रावत जैसे अपरिचित चेहरे भी वैतरणी पार हो गये। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की ताजा विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार 2017 के उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में 70 में से 22 याने कि 31 प्रतिशत विधायकों पर अपराधिक मुकदमें चल रहे हैं। जबकि 2012 के चुनाव में ऐसे केवल 19 कानून तोड़क ही चुनाव जीते थे। इन अपराधिक पृष्ठभूमि के विधायकों में से 14 पर डकैती, लूट, महिला उत्पीड़न, अल्पसंख्याक उत्पीड़न, हत्या और हत्या का प्रयास जैसे गंभीर या जघन्य आरोपों में मुकदमें चल रहे हैं। पिछले चुनाव में ऐसे केवल 5 अपराधिक पृष्ठभूमि के प्रत्याशी चुनाव जीते थे।
स्वच्छ और अपराध मुक्त शासन देने का वायदा कर उत्तराखण्ड की जनता के दिलों में उतरने वाली ’पार्टी विद डिफरेंस’ होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी के 57 नव निर्वाचित विधायकों में से 17 याने कि 30 प्रतिशत विधायक अपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। कांग्रेस के 11 में से 4 विधायकों पर अपराधिक मुकदमें चल रहे हैं। भाजपा के 10 विधायकों पर संगीन आरोपों में अदालतों में मुकदमें चल रहे हैं। इन 10 विधायकों में से अकेले एक पर 11 मुकदमें झेलने वाले गदरपुर के भाजपा विधायक अरविन्द पाण्डे हैं। जब वह 2002 में पहली बार चुनाव जीते़े थे उस समय उन पर दो दर्जन से अधिक मुकदमें चल रहे थे। तमाम विवादों के बावजूद लगातार जीत दर्ज करने पर उन्हें त्रिवेन्द्र रावत मंत्रिमण्डल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है। हालांकि नये मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त शासन देने का वायदा किया है फिर भी नये मंत्रिमण्डल में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जिन पर अपराधिक मामले चल रहे हैं।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार प्रचण्ड बहुमत हासिल करने वाली भाजपा के अपराधिक पृष्ठभूमि वाले विधायकों में हरिद्वार जिले के खानपुर क्षेत्र से कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, नरेन्द्रनगर से सुबोध उनियाल, सहसपुर से सहदेव सिंह पुण्डीर, मसूरी से गणेश जोशी, कोटद्वार से हरक सिंह रावत, लोहाघाट से पूरनसिंह फड़त्याल, गदरपुर से अरविन्द पाण्डे, रुद्रपुर से राजकुमार ठुकराल, गंगोत्री से गोपाल सिंह रावत, झबरेड़ा से देशराज कर्णवाल, रुड़की से प्रदीप बत्रा, हरिद्वार ग्रामीण से यतीश्वरानन्द, डीडीहाट से बिशन सिंह चुफाल एवं किच्छा से राजेश शुक्ला शामिल हैं। गणेश जोशी पर गत वर्ष पुलिस के शक्तिमान घोड़े की टांग तोड़ने और अल्प संख्यकों के उत्पीड़न के आरोप भी हैं। यह विश्लेषण स्वयं इन चर्चित विधायकों द्वारा चुनाव के समय दिये गये शपथ पत्रों के आधार पर किया गया है।
उत्तराखण्ड की विधानसभा में इस बार तीसरी विधानसभा के मुकाबले जहां अधिक बाहुबली नजर आयेंगे वहीं पहले की तुलना में अधिक करोड़पति और कम लखपति नजर आयेंगे। इस बार के विधायकों की औसत सम्पत्ति 4.11 करोड़ आंकी गयी है जबकि यह आंकड़ा पिछली बार केवल 1.86 करोड़ रुपये ही थ। भाजपा के 57 विधायकों की औसत सम्पत्ति 4.09 करोड़ तथा कांग्रेस विधायकों की औसत सम्पत्ति 1.40 करोड़ रु0 है। चुनाव में दिये गये शपथपत्र के अनुसार इस बार 5 विधायकों की सम्पत्ति 10 करोड़ से लेकर 80,25,55,607 रुपये तक है। इनमें भाजपा के सतपाल महाराज, सोरभ बहुगुणा और राजेश शुक्ला तथा कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन भी शामिल हैं। इस बार के 70 विधायकों में से 5 के पास 5 से लेकर 10 करोड़ तक, 41 के पास 1 से 5 करोड़ तक, 17 के पास 20 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये तक और 2 के पास 20 लाख रुपये से कम की सम्पत्ति है। इस बार के 6 विधायकों ने अपनी देनदारी 1 करोड़़ से अधिक घोषित की है। आयकर विवरण में सबसे ज्यादा आयकर भरने वाले सतपाल महाराज, सुरेन्द्र सिंह जीना एवं पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा हैं। इस बार कुल 32 विधायक पुनः जीत कर आये है और बाकी 38 विधायक नये हैं। पुनः चुने गये विधायकों की सम्पत्तियों में 2012 के मुकाबले कुल 48 प्रतिशत की बृद्धि हुयी है। पुनः चुनाव जीत कर आने वाले 25 भाजपा विधायकों की औसत सम्पत्ति 2012 में 2,45,32,704 थी जो कि अब 3,45,39,527 रुपये के बराबर हो गयी। इसी प्रकार पुनः चुनाव जीत कर आने वाले 6 कांग्रेस विधायकों की औसत सम्पति सन् 2012 के 2,22,77,537 रुपये से बढ़ कर 3,96,92,225 रुपये हो गयी।
-जयसिंह रावत
देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा के इस बार के चुनाव में भले ही हरीश रावत जैसे कांग्रेसी महारथी पार्टी को जिताना तो रहा दूर, वे अपनी सीट तक बचा नहीं पाये, वहीं मोदी लहर में ऐसे प्रत्याशी भी चुनाव जीत कर लॉ मेकर बन गये जिन पर दर्जनभर अपराधिक मुकदमें चल रहे हैं। इस बार विधानसभा में जहां करोड़पतियों की संख्या भी बढ़ गयी वहीं लखपतियों की संख्या घट गयी है। इस बार 20 लाख से कम सम्पत्तियों वाले विधायकों की संख्या मात्र 2 रह गयी है।
नरेन्द्र मोदी बनाम हरीश रावत के बीच सिमटे उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में इस बार मोदी की ऐसी लहर चली कि प्रतिद्वन्दी कांग्रेस के धुर्रे उड़ने के साथ ही इस चुनावी महासंग्राम में कांग्रेस के महानायक हरीश रावत अपनी ही दो सीटें नहीं बचा पाये। जबकि दूसरी ओर मोदी लहर में दागी-बागी प्रत्याशियों के साथ ही विनोद कण्डारी, ऋतु खण्डूड़ी और धनसिंह रावत जैसे अपरिचित चेहरे भी वैतरणी पार हो गये। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की ताजा विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार 2017 के उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में 70 में से 22 याने कि 31 प्रतिशत विधायकों पर अपराधिक मुकदमें चल रहे हैं। जबकि 2012 के चुनाव में ऐसे केवल 19 कानून तोड़क ही चुनाव जीते थे। इन अपराधिक पृष्ठभूमि के विधायकों में से 14 पर डकैती, लूट, महिला उत्पीड़न, अल्पसंख्याक उत्पीड़न, हत्या और हत्या का प्रयास जैसे गंभीर या जघन्य आरोपों में मुकदमें चल रहे हैं। पिछले चुनाव में ऐसे केवल 5 अपराधिक पृष्ठभूमि के प्रत्याशी चुनाव जीते थे।
स्वच्छ और अपराध मुक्त शासन देने का वायदा कर उत्तराखण्ड की जनता के दिलों में उतरने वाली ’पार्टी विद डिफरेंस’ होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी के 57 नव निर्वाचित विधायकों में से 17 याने कि 30 प्रतिशत विधायक अपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। कांग्रेस के 11 में से 4 विधायकों पर अपराधिक मुकदमें चल रहे हैं। भाजपा के 10 विधायकों पर संगीन आरोपों में अदालतों में मुकदमें चल रहे हैं। इन 10 विधायकों में से अकेले एक पर 11 मुकदमें झेलने वाले गदरपुर के भाजपा विधायक अरविन्द पाण्डे हैं। जब वह 2002 में पहली बार चुनाव जीते़े थे उस समय उन पर दो दर्जन से अधिक मुकदमें चल रहे थे। तमाम विवादों के बावजूद लगातार जीत दर्ज करने पर उन्हें त्रिवेन्द्र रावत मंत्रिमण्डल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है। हालांकि नये मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त शासन देने का वायदा किया है फिर भी नये मंत्रिमण्डल में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जिन पर अपराधिक मामले चल रहे हैं।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार प्रचण्ड बहुमत हासिल करने वाली भाजपा के अपराधिक पृष्ठभूमि वाले विधायकों में हरिद्वार जिले के खानपुर क्षेत्र से कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, नरेन्द्रनगर से सुबोध उनियाल, सहसपुर से सहदेव सिंह पुण्डीर, मसूरी से गणेश जोशी, कोटद्वार से हरक सिंह रावत, लोहाघाट से पूरनसिंह फड़त्याल, गदरपुर से अरविन्द पाण्डे, रुद्रपुर से राजकुमार ठुकराल, गंगोत्री से गोपाल सिंह रावत, झबरेड़ा से देशराज कर्णवाल, रुड़की से प्रदीप बत्रा, हरिद्वार ग्रामीण से यतीश्वरानन्द, डीडीहाट से बिशन सिंह चुफाल एवं किच्छा से राजेश शुक्ला शामिल हैं। गणेश जोशी पर गत वर्ष पुलिस के शक्तिमान घोड़े की टांग तोड़ने और अल्प संख्यकों के उत्पीड़न के आरोप भी हैं। यह विश्लेषण स्वयं इन चर्चित विधायकों द्वारा चुनाव के समय दिये गये शपथ पत्रों के आधार पर किया गया है।
उत्तराखण्ड की विधानसभा में इस बार तीसरी विधानसभा के मुकाबले जहां अधिक बाहुबली नजर आयेंगे वहीं पहले की तुलना में अधिक करोड़पति और कम लखपति नजर आयेंगे। इस बार के विधायकों की औसत सम्पत्ति 4.11 करोड़ आंकी गयी है जबकि यह आंकड़ा पिछली बार केवल 1.86 करोड़ रुपये ही थ। भाजपा के 57 विधायकों की औसत सम्पत्ति 4.09 करोड़ तथा कांग्रेस विधायकों की औसत सम्पत्ति 1.40 करोड़ रु0 है। चुनाव में दिये गये शपथपत्र के अनुसार इस बार 5 विधायकों की सम्पत्ति 10 करोड़ से लेकर 80,25,55,607 रुपये तक है। इनमें भाजपा के सतपाल महाराज, सोरभ बहुगुणा और राजेश शुक्ला तथा कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन भी शामिल हैं। इस बार के 70 विधायकों में से 5 के पास 5 से लेकर 10 करोड़ तक, 41 के पास 1 से 5 करोड़ तक, 17 के पास 20 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये तक और 2 के पास 20 लाख रुपये से कम की सम्पत्ति है। इस बार के 6 विधायकों ने अपनी देनदारी 1 करोड़़ से अधिक घोषित की है। आयकर विवरण में सबसे ज्यादा आयकर भरने वाले सतपाल महाराज, सुरेन्द्र सिंह जीना एवं पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा हैं। इस बार कुल 32 विधायक पुनः जीत कर आये है और बाकी 38 विधायक नये हैं। पुनः चुने गये विधायकों की सम्पत्तियों में 2012 के मुकाबले कुल 48 प्रतिशत की बृद्धि हुयी है। पुनः चुनाव जीत कर आने वाले 25 भाजपा विधायकों की औसत सम्पत्ति 2012 में 2,45,32,704 थी जो कि अब 3,45,39,527 रुपये के बराबर हो गयी। इसी प्रकार पुनः चुनाव जीत कर आने वाले 6 कांग्रेस विधायकों की औसत सम्पति सन् 2012 के 2,22,77,537 रुपये से बढ़ कर 3,96,92,225 रुपये हो गयी।
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