उत्तराखंड में गरीबों के रहनुमाओं पर होती रही दौलत की बरसात
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आजादी के 70 सालों के बाद पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड में आम आदमी की सालाना आय 1,71,663 रुपये तक ही पहुंच पायी है। लेकिन प्रदेश के विधायकों की आमदनी मात्र 5 साल में 5,95,87,702 रुपये तक पहुंच गयी है। प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय में पिछले पांच सालों में मात्र 114 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है जबकि चुने गये विधायकों की आमदनी में इन पांच सालों में 1015 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज हुयी है। ये आंकड़े तो निर्वाचन आयोग में दाखिल प्रत्याशियों के हलफनामों के हैं। बेनामी सम्पत्ति कहां से कहां पहुंच गयी होगी, उसका कहीं हिसाब नहीं है।
उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा दाखिल किये गये घोषणा पत्रों के विश्लेषण के अनुसार इस बार चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में से एक मोहन प्रसाद काला की वार्षिक आय 5,95,87,702 रुपये और राजीव अग्रवाल की वार्षिक आय 1,66,53,214 रुपये है जबकि राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1,71,663 रुपये तक ही पहुंच पायी है। पुनः चुनाव लड़ने वाले 60 विधायकों की औसत सम्पत्ति इस बार 3.62 करोड़ है जबकि सन् 2012 की तुलना में 2017 में दाखिल हलफनामों में इन 60 विधायकों की सम्पत्ति में 1.77 करोड़ की वृद्धि हुयी है। इस बार दुबारा चुनाव लड़ रहे 60 विधायकों की औसत सम्पत्ति 3.62 करोड़ रुपये हो गयी है। सन् 2012 में इन विधायकों की औसत सम्पत्ति 1.85 करोड़ थी। नेशनल इलेक्शन वाच संस्था के सर्वे के अनुसार इस बार पुनः चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से श्रीनगर गढ़वाल से भाजपा के शैलेन्द्र मोहन सिंघल की सम्पत्ति में 2012 की तुलना में 32,43,96,572 रुपये की वृद्धि हुयी है जो कि सर्वाधिक 1015 प्रतिशत है। इसी तरह कांग्रेस के विकासनगर के प्रत्याशीे नवप्रभात की सम्पत्ति में 6,13,11,276 रुपये तथा सोमेश्वर से भाजपा की रेखा आर्य की सम्पत्ति में 6,05,98,203 रुपये की वृद्धि दर्ज हुयी है।
इस बार दुबारा चुनाव लड़ रहे विभिन्न दलों के विधायकों की सम्पत्तियों में भारी वृद्धि के मामले में भाजपा के विधायक सबसे आगे नजर आ रहे हैं। एसोसियेशन फॉर उेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) संस्था द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार गत 5 वर्षों में इस बार चुनाव लड़ रहे भाजपा के विधायकों की सम्पत्तियों में 2,03,87,049 रुपये की औसत वृद्धि हुयी है जो कि लगभग 85 प्रतिशत है। भाजपा के चुनाव लड़ रहे विधायकों की सम्पत्ति में 1,44,52,380 रुपये की औसत वृद्धि हुयी है जो कि 105 प्रतिशत है। इस बार दुबारा चुनाव लड़ रहे निर्दलियों की सम्पत्तियों में 1,77,75,703 रुपये वृद्धि हुयी है जो कि 210 प्रतिशत है। बसपा के विधायकों की सम्पत्तियों में 3,20,74,887 रुपये और 175 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है।
ऐजेंसी के सर्वेक्षण के अनुसार 2012 की तुलना में इस बार सम्पत्तियों में 100 प्रतिशत से अधिक वृद्धि वाले विधायक प्रत्याशियों की संख्या 31 है। इसी प्रकार जिन विधायकों की संपत्तियों में 200 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुयी है उनकी संख्या 18 तथा 500 प्रतिशत से अधिक वृद्धि वाले प्रत्याशियों की संख्या 7 है। चुनाव लड़ रहे उन विधायकों जिनकी सम्पत्तियों में 500 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुयी है उनमें जसपुर से भाजपा के शैलेन्द्र मोहन सिंघल (1015 प्र.श.), विकासनगर से कांग्रेस के नवप्रभात (170 प्र.श), धारचुला से काग्रेस के हरीश सिंह धामी( 763 प्र.श.), टिहरी से निर्दलीय दिनेश धनै ( 637 प्र.श.), द्वाराहाट से कांग्रेस के मदन सिंह बिष्ट (883 प्र.श.), घनसाली से कांग्रेस के भीमलाल आर्य (1219 प्र.श.) एवं हरिद्वार ग्रामीण से यतीश्वरानन्द (668 प्र.श.) शामिल हैं। जिन प्रत्याशियों की सम्पत्तियों में पिछले पांच सालों में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुयी है उनमें कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल, कांग्रेस के गणेश गोदियाल, कांग्रेस के सुरेन्द्र सिंह नेगी, भाजपा के संजय गुप्ता, कांग्रेस के हिमेश खर्कवाल, भाजपा के सुबोध उनियाल, कांग्रेस के जीतराम, भाजपा के अजय भट्ट, कांग्रेस के राजकुमार, कांग्रेस की सरिता आर्य और भाजपा के प्रेमसिंह शामिल हैं। चुनाव में 100 प्रतिशत से अधिक सम्पत्ति वृद्धि वाले विधायक प्रत्याशियों में प्रीतम सिंह, सरबत करीम असंारी, प्रेमचन्द अग्रवाल, गणेश जोशी, मदन कौशिक, सहदेव सिंह पुंडीर, विजयपाल सिंह सजवाण, मनोज तिवारी, नारायण राम, शैला रानी रावत, ललित मोहन सिंह फर्सवाण एवं अरविन्द पाण्डे शामिल हैं।
-जयसिंह रावत
09412324999
jaysinghrawat@gmail.com
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आजादी के 70 सालों के बाद पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड में आम आदमी की सालाना आय 1,71,663 रुपये तक ही पहुंच पायी है। लेकिन प्रदेश के विधायकों की आमदनी मात्र 5 साल में 5,95,87,702 रुपये तक पहुंच गयी है। प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय में पिछले पांच सालों में मात्र 114 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है जबकि चुने गये विधायकों की आमदनी में इन पांच सालों में 1015 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज हुयी है। ये आंकड़े तो निर्वाचन आयोग में दाखिल प्रत्याशियों के हलफनामों के हैं। बेनामी सम्पत्ति कहां से कहां पहुंच गयी होगी, उसका कहीं हिसाब नहीं है।
उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा दाखिल किये गये घोषणा पत्रों के विश्लेषण के अनुसार इस बार चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में से एक मोहन प्रसाद काला की वार्षिक आय 5,95,87,702 रुपये और राजीव अग्रवाल की वार्षिक आय 1,66,53,214 रुपये है जबकि राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1,71,663 रुपये तक ही पहुंच पायी है। पुनः चुनाव लड़ने वाले 60 विधायकों की औसत सम्पत्ति इस बार 3.62 करोड़ है जबकि सन् 2012 की तुलना में 2017 में दाखिल हलफनामों में इन 60 विधायकों की सम्पत्ति में 1.77 करोड़ की वृद्धि हुयी है। इस बार दुबारा चुनाव लड़ रहे 60 विधायकों की औसत सम्पत्ति 3.62 करोड़ रुपये हो गयी है। सन् 2012 में इन विधायकों की औसत सम्पत्ति 1.85 करोड़ थी। नेशनल इलेक्शन वाच संस्था के सर्वे के अनुसार इस बार पुनः चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से श्रीनगर गढ़वाल से भाजपा के शैलेन्द्र मोहन सिंघल की सम्पत्ति में 2012 की तुलना में 32,43,96,572 रुपये की वृद्धि हुयी है जो कि सर्वाधिक 1015 प्रतिशत है। इसी तरह कांग्रेस के विकासनगर के प्रत्याशीे नवप्रभात की सम्पत्ति में 6,13,11,276 रुपये तथा सोमेश्वर से भाजपा की रेखा आर्य की सम्पत्ति में 6,05,98,203 रुपये की वृद्धि दर्ज हुयी है।
इस बार दुबारा चुनाव लड़ रहे विभिन्न दलों के विधायकों की सम्पत्तियों में भारी वृद्धि के मामले में भाजपा के विधायक सबसे आगे नजर आ रहे हैं। एसोसियेशन फॉर उेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) संस्था द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार गत 5 वर्षों में इस बार चुनाव लड़ रहे भाजपा के विधायकों की सम्पत्तियों में 2,03,87,049 रुपये की औसत वृद्धि हुयी है जो कि लगभग 85 प्रतिशत है। भाजपा के चुनाव लड़ रहे विधायकों की सम्पत्ति में 1,44,52,380 रुपये की औसत वृद्धि हुयी है जो कि 105 प्रतिशत है। इस बार दुबारा चुनाव लड़ रहे निर्दलियों की सम्पत्तियों में 1,77,75,703 रुपये वृद्धि हुयी है जो कि 210 प्रतिशत है। बसपा के विधायकों की सम्पत्तियों में 3,20,74,887 रुपये और 175 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है।
ऐजेंसी के सर्वेक्षण के अनुसार 2012 की तुलना में इस बार सम्पत्तियों में 100 प्रतिशत से अधिक वृद्धि वाले विधायक प्रत्याशियों की संख्या 31 है। इसी प्रकार जिन विधायकों की संपत्तियों में 200 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुयी है उनकी संख्या 18 तथा 500 प्रतिशत से अधिक वृद्धि वाले प्रत्याशियों की संख्या 7 है। चुनाव लड़ रहे उन विधायकों जिनकी सम्पत्तियों में 500 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुयी है उनमें जसपुर से भाजपा के शैलेन्द्र मोहन सिंघल (1015 प्र.श.), विकासनगर से कांग्रेस के नवप्रभात (170 प्र.श), धारचुला से काग्रेस के हरीश सिंह धामी( 763 प्र.श.), टिहरी से निर्दलीय दिनेश धनै ( 637 प्र.श.), द्वाराहाट से कांग्रेस के मदन सिंह बिष्ट (883 प्र.श.), घनसाली से कांग्रेस के भीमलाल आर्य (1219 प्र.श.) एवं हरिद्वार ग्रामीण से यतीश्वरानन्द (668 प्र.श.) शामिल हैं। जिन प्रत्याशियों की सम्पत्तियों में पिछले पांच सालों में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुयी है उनमें कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल, कांग्रेस के गणेश गोदियाल, कांग्रेस के सुरेन्द्र सिंह नेगी, भाजपा के संजय गुप्ता, कांग्रेस के हिमेश खर्कवाल, भाजपा के सुबोध उनियाल, कांग्रेस के जीतराम, भाजपा के अजय भट्ट, कांग्रेस के राजकुमार, कांग्रेस की सरिता आर्य और भाजपा के प्रेमसिंह शामिल हैं। चुनाव में 100 प्रतिशत से अधिक सम्पत्ति वृद्धि वाले विधायक प्रत्याशियों में प्रीतम सिंह, सरबत करीम असंारी, प्रेमचन्द अग्रवाल, गणेश जोशी, मदन कौशिक, सहदेव सिंह पुंडीर, विजयपाल सिंह सजवाण, मनोज तिवारी, नारायण राम, शैला रानी रावत, ललित मोहन सिंह फर्सवाण एवं अरविन्द पाण्डे शामिल हैं।
-जयसिंह रावत
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