विधायकों की पत्नियां भी खूब मालोमाल हुयीं उत्तराखण्ड में
उत्तराखण्ड में आम आदमी की आमदनी बढ़े या न बढ़े मगर विधायकों और उनकी पत्नियों की आमदनी दिन दूनी और रात चौगुनी अवश्य हो रही है। प्रदेश विधानसभा के इन चुनावों में प्रत्याशियों द्वारा घोषित सम्पत्तियों की जांच से तो यही लग रहा है। एक रोचक तथ्य यह भी सामने आया है कि कुछ प्रत्याशियों की तुलना में उनकी पत्नियों की आमदनी में ज्यादा इजाफा हुआ है। सबसे चौंकाने वाली बात यह भी सामने आयी है कि जिन पहाड़ी खेतों में तीन महीने का राशन भी पैदा नहीं हो पा रहा है उन अनुपजाऊ खेतों से नेताओं की पत्नियां सोना उगलवा रही हैं।
किच्छा सुनाव लड़ रहे राजेश शुक्ला की सम्पत्ति सन् 2007 के चुनाव में 87,57,000 रुपये के बराबर थी जो कि 2012 में बढ़कर 26,63,70,517 हो गयी। शुक्ला की सम्पत्ति में 2017 में कोई खास वृद्धि तो नहीं हुयी फिर भी उन्होंने उसे 25,97,86,332 घोषित कर रखा है। जसपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे डा0 शैलेन्द्र मोहन सिंघल की कुल सम्पत्ति 1,50,29,118 रुपये के बराबर थी जो कि 2012 में बढ़कर 3,19,53,804 रुपये हो गयी और उनकी यह सम्पत्ति 2017 तक बढ़ कर 35,63,50,376 रुपये हो गयी। कैंट से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी हरबंश कपूर की सम्पत्ति सन् 2007 में 35,79,000 रुपये जो कि 2012 में बढ़ कर 84,50,984 हुयी मगर उनकी सम्पति 2017 बढ़ने के बजाय घट कर 37,48,200 रुपये रह गयी मगर उनकी पत्नी की सम्पत्ति बढ़ कर 84,18,124 रुपये हो गयी।
सामान्यतः पतियांे की आय एवं उनके नाम की सम्पत्तियां अधिक और पत्नियों की कम होती हैं। लेकिन इस बार के चुनाव में दाखिल हलफनामों पर गौर करें तो कई पत्याशी ऐसे भी हैं जिनकी अपनी सम्पत्ति तो कम हो गयी मगर उनकी पत्नियों की सम्पत्तियां बढ़ गयीं। नरेन्द्रनगर से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुबोध उनियाल की सम्पत्ति 2012 में 30,84,362 रुपये और उनकी पत्नी की सम्पत्ति 8,87,402 रुपये थी। 2017 में सुबोध उनियाल की सम्पत्ति 53,20,605 हो गयी और उनकी पत्नी की सम्पत्ति छलांग लगा कर 1,05,18,429 रुपये हो गयी। सुबोध उनियाल ने अपनी पत्नी की आमदनी का श्रोत विविध लिखा है। जाहिर है कि आय का एक निश्चित श्रोत नहीं है। प्रतापनगर से कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम सिंह नेगी की कुल सम्पत्ति 2012 में 70,75,400 रुपये के बराबर और उनकी पत्नी की सम्पत्ति 15,59,984 दर्शायी गयी थी। 2017 में दाखिल हलफनामें के अनुसार विक्रम नेगी की सम्पत्ति 13,65,333 और उनकी पत्नी की सम्पत्ति बढ़ कर 50,00,000 रुपये के बराबर हो गयी। श्रीमती नेगी अध्यापिका हैं। प्रतापनगर से ही भाजपा प्रत्याशी विजय सिंह पंवार की स्वयं की सम्पति का ब्यौरा तो उपलब्ध नहीं हुआ मगर उनकी पत्नी की सम्पति उस समय 19,16,336 रुपये दिखाई गयी थी, जो कि 2017 में बढ़ कर 6,35,73,574 रुपये के बराबर हो गयी। विजय सिंह पंवार ने इस बार अपनी स्वयं की सम्पत्ति 2,07,30,537 दिखा रखी है। उन्होंने अपनी पत्नी को कृषक बता रखा है। टिहरी जिले के प्रतापनगर जैसे क्षेत्र में खेती से इतनी आमदनी होना भी आश्चर्य का विषय है।
देहरादून के मसूरी क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी गणेश जोशी ने 2012 के चुनाव में अपनी स्वयं की सम्पतित्त 1,47,01,413 रुपये तथा पत्नी की सम्पत्ति 1,19,39,559 बतायी थी। 2017 तक आते आते गणेश जोशी की अपनी सम्पत्ति घट कर 1,03,74,122 हो गयी मगर पत्नी की सम्पत्ति बढ़ कर 2,79,15,042 रुपये हो गयी। जोशी ने अपनी पत्नी का व्यवसाय कृषि बता रखा है। भारत में अगर इस तरह खेती सोना उगलती तो हजारों किसान आत्महत्या न करते। सन् 2007 से लेकर 2012 तक गणेश जोशी की सम्पत्तियों में 196 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुयी थी। हरिद्वार से भाजपा के ही मदन कौशिक की सम्पति 2012 में 97,53,108 रु0 तथा पत्नी की 72,45,244रु0 थी। 2017 में कौशिक की सम्पत्ति 60,25,857 रु0 तथा पत्नी की सम्पत्ति 1,60,38,118 रुपये हो गयी। कोटद्वार से चुनाव लड़ रहे हरक सिंह रावत की सम्पत्ति 2012 में 1,97,10,408 रुपये तथा उनकी पत्नी की 24,75,477 रुपये थी। 2017 के हलफनामें के अनुसार हरक सिंह की सम्पत्ति घटकर 91,07,558 रुपये हो गयी लेकिन उनकी पत्नी की सम्पत्ति बढ़ कर 1,77,74,442 रुपये के बराबर हो गयी।
एडीआर संस्था के एक सर्वेक्षण के अनुसार 2007 से लेकर 2012 के बीच बिशन सिंह चुफाल की सम्पत्तियों में 8433 फीसदी, बंशीधर भगत की सम्पत्तियों में 2968 फीसदी, राजेन्द्र सिंह भण्डारी 388 फीसदी, सुरेन्द्र राकेश 618 फीसदी, हिमेश खर्कवाल फीसदी, अजय टमटा 1329 फीसदी, दिनेश धनै 315 फीसदी, जीतराम की 313 फीसदी एवं अजय भट्ट की सम्पत्तियों में 903 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुयी।
उत्तराखण्ड में आम आदमी की आमदनी बढ़े या न बढ़े मगर विधायकों और उनकी पत्नियों की आमदनी दिन दूनी और रात चौगुनी अवश्य हो रही है। प्रदेश विधानसभा के इन चुनावों में प्रत्याशियों द्वारा घोषित सम्पत्तियों की जांच से तो यही लग रहा है। एक रोचक तथ्य यह भी सामने आया है कि कुछ प्रत्याशियों की तुलना में उनकी पत्नियों की आमदनी में ज्यादा इजाफा हुआ है। सबसे चौंकाने वाली बात यह भी सामने आयी है कि जिन पहाड़ी खेतों में तीन महीने का राशन भी पैदा नहीं हो पा रहा है उन अनुपजाऊ खेतों से नेताओं की पत्नियां सोना उगलवा रही हैं।
किच्छा सुनाव लड़ रहे राजेश शुक्ला की सम्पत्ति सन् 2007 के चुनाव में 87,57,000 रुपये के बराबर थी जो कि 2012 में बढ़कर 26,63,70,517 हो गयी। शुक्ला की सम्पत्ति में 2017 में कोई खास वृद्धि तो नहीं हुयी फिर भी उन्होंने उसे 25,97,86,332 घोषित कर रखा है। जसपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे डा0 शैलेन्द्र मोहन सिंघल की कुल सम्पत्ति 1,50,29,118 रुपये के बराबर थी जो कि 2012 में बढ़कर 3,19,53,804 रुपये हो गयी और उनकी यह सम्पत्ति 2017 तक बढ़ कर 35,63,50,376 रुपये हो गयी। कैंट से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी हरबंश कपूर की सम्पत्ति सन् 2007 में 35,79,000 रुपये जो कि 2012 में बढ़ कर 84,50,984 हुयी मगर उनकी सम्पति 2017 बढ़ने के बजाय घट कर 37,48,200 रुपये रह गयी मगर उनकी पत्नी की सम्पत्ति बढ़ कर 84,18,124 रुपये हो गयी।
सामान्यतः पतियांे की आय एवं उनके नाम की सम्पत्तियां अधिक और पत्नियों की कम होती हैं। लेकिन इस बार के चुनाव में दाखिल हलफनामों पर गौर करें तो कई पत्याशी ऐसे भी हैं जिनकी अपनी सम्पत्ति तो कम हो गयी मगर उनकी पत्नियों की सम्पत्तियां बढ़ गयीं। नरेन्द्रनगर से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुबोध उनियाल की सम्पत्ति 2012 में 30,84,362 रुपये और उनकी पत्नी की सम्पत्ति 8,87,402 रुपये थी। 2017 में सुबोध उनियाल की सम्पत्ति 53,20,605 हो गयी और उनकी पत्नी की सम्पत्ति छलांग लगा कर 1,05,18,429 रुपये हो गयी। सुबोध उनियाल ने अपनी पत्नी की आमदनी का श्रोत विविध लिखा है। जाहिर है कि आय का एक निश्चित श्रोत नहीं है। प्रतापनगर से कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम सिंह नेगी की कुल सम्पत्ति 2012 में 70,75,400 रुपये के बराबर और उनकी पत्नी की सम्पत्ति 15,59,984 दर्शायी गयी थी। 2017 में दाखिल हलफनामें के अनुसार विक्रम नेगी की सम्पत्ति 13,65,333 और उनकी पत्नी की सम्पत्ति बढ़ कर 50,00,000 रुपये के बराबर हो गयी। श्रीमती नेगी अध्यापिका हैं। प्रतापनगर से ही भाजपा प्रत्याशी विजय सिंह पंवार की स्वयं की सम्पति का ब्यौरा तो उपलब्ध नहीं हुआ मगर उनकी पत्नी की सम्पति उस समय 19,16,336 रुपये दिखाई गयी थी, जो कि 2017 में बढ़ कर 6,35,73,574 रुपये के बराबर हो गयी। विजय सिंह पंवार ने इस बार अपनी स्वयं की सम्पत्ति 2,07,30,537 दिखा रखी है। उन्होंने अपनी पत्नी को कृषक बता रखा है। टिहरी जिले के प्रतापनगर जैसे क्षेत्र में खेती से इतनी आमदनी होना भी आश्चर्य का विषय है।
देहरादून के मसूरी क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी गणेश जोशी ने 2012 के चुनाव में अपनी स्वयं की सम्पतित्त 1,47,01,413 रुपये तथा पत्नी की सम्पत्ति 1,19,39,559 बतायी थी। 2017 तक आते आते गणेश जोशी की अपनी सम्पत्ति घट कर 1,03,74,122 हो गयी मगर पत्नी की सम्पत्ति बढ़ कर 2,79,15,042 रुपये हो गयी। जोशी ने अपनी पत्नी का व्यवसाय कृषि बता रखा है। भारत में अगर इस तरह खेती सोना उगलती तो हजारों किसान आत्महत्या न करते। सन् 2007 से लेकर 2012 तक गणेश जोशी की सम्पत्तियों में 196 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुयी थी। हरिद्वार से भाजपा के ही मदन कौशिक की सम्पति 2012 में 97,53,108 रु0 तथा पत्नी की 72,45,244रु0 थी। 2017 में कौशिक की सम्पत्ति 60,25,857 रु0 तथा पत्नी की सम्पत्ति 1,60,38,118 रुपये हो गयी। कोटद्वार से चुनाव लड़ रहे हरक सिंह रावत की सम्पत्ति 2012 में 1,97,10,408 रुपये तथा उनकी पत्नी की 24,75,477 रुपये थी। 2017 के हलफनामें के अनुसार हरक सिंह की सम्पत्ति घटकर 91,07,558 रुपये हो गयी लेकिन उनकी पत्नी की सम्पत्ति बढ़ कर 1,77,74,442 रुपये के बराबर हो गयी।
एडीआर संस्था के एक सर्वेक्षण के अनुसार 2007 से लेकर 2012 के बीच बिशन सिंह चुफाल की सम्पत्तियों में 8433 फीसदी, बंशीधर भगत की सम्पत्तियों में 2968 फीसदी, राजेन्द्र सिंह भण्डारी 388 फीसदी, सुरेन्द्र राकेश 618 फीसदी, हिमेश खर्कवाल फीसदी, अजय टमटा 1329 फीसदी, दिनेश धनै 315 फीसदी, जीतराम की 313 फीसदी एवं अजय भट्ट की सम्पत्तियों में 903 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुयी।
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