पूर्व मुख्यमंत्रियों ने उत्तराखण्ड पर डाला 13 करोड़ का बोझ
नैनीताल हाइकोर्ट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास खाली कराने के लिये दी गयी 15 फरबरी की समय सीमा से पहले नारायण दत्त तिवारी ने आवास खाली कराने के बजाय आगामी 31 मार्च तक की मोहलत अदालत से मांगी है, जबकि विजय बहुगुणा ने समयावधि से एक दिन पहले आवास खाली कर दिया मगर बकाया भुगतान अभी नहीं किया। इन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर राज्य सरकार द्वारा पिछले 16 सालों में 13 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है।
नैनीताल हाइकोर्ट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को 15 फरबरी तक देहरादून स्थित सरकारी आवास खाली करने की समयावधि से पहले ही विजय बहुगुणा ने मंगलवार को बीजापुर हाउस स्थित आवास खाली कर दिया गया है। उनसे पहले भगत सिंह कोश्यारी, भुवनचन्द्र खण्डूड़ी और रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आवास खाली कर दिये थे। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने आवास खाली करने के बजाय अदालत में शपथपत्र दाखिल कर अदालत से प्रार्थना की है कि वह स्वतंत्रता सेनानी और राज्यपाल रहे हैं, इसलिए उन्हेें फिलहाल वहां रहने की अनुमति दी जाए। उनका कहना है कि अभी सर्दियों के समय तथा उनकी वृद्धावस्था एवं कमजोरी के कारण वह किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए असमर्थ हैं, इसलिए उन्हें वन अनुसंधान संस्थान परिसर स्थित आवास पर आगामी 31 मार्च तक रहने दिया जाय।
इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ रहे स्वेच्छिक संगठन रूरल लिटिगेशन एण्ड एन्टाइटिलमेंट केन्द्र (रुलक) पूर्व मुख्यमंत्रियों को किसी भी तरह की रियायत देने के खिलाफ है। रुलक के अध्यक्ष पद्मश्री अवधेश कौशल के अनुसार इन पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों की गाड़ियों के रखरखाव, देहरादून से बाहर के लिए पेट्रोल, टैक्सी, ड्राइवर, माली, रसोइया, स्टेनो, टेलीफोन अनुचर के वेतन, बिजली, टेलीफोन के खर्चे, बागेश्वर, हरिद्वार में सुरक्षाकर्मी पर खर्च एवं नैनीताल में ईंधन पर राज्य सरकार के 13,03,34,160 रुपये खर्च हो चुके हैं। यह राशि भी इनसे वसूल की जानी चाहिये। इनमें से भगत सिंह कोश्यारी पर 3,70,08,661 रुपये नारायण दत्त तिवारी पर 2,39,62,088 रुपये, रमेश पोखरियाल निशंक पर 2,17,90,220 रुपये, भुवनचन्द्र खण्डूड़ी पर 2,81,52,434 रुपये, सबसे बाद में पद से हटने वाले विजय बहुगुणा पर 1,11,91,690 रुपये एवं नित्यानन्द स्वामी पर 1,56,442 रुपये खर्च हुये हैं। बहुगुणा 31 जनवरी 2014 को पद से हटे हैं और तब से लेकर अब तक बीजापुर स्थित वीआइपी गेस्टहाउस पर स्थाई निवास बना कर रह रहे थे।
राज्य सरकार ने इन भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों से इन शानदार भवनों के लिए एक हजार रुपये प्रतिमाह देने के लिए कहा है, जबकि उच्च न्यायालय ने यह साफ कहा है कि इनका किराया बाजार भाव पर निर्धारित किया जाना चाहिए, जबकि देहरादून में एक टीनशेड का कमरा भी 1,000 रूपये प्रतिमाह के हिसाब से नहीं मिलता है। इन मुख्यमंत्रियों के घरों के फर्नीचर तथा रखरखाव के खर्च को इस में नहीं जोड़ा गया है जोकि प्रत्येक मुख्यमंत्री पर 2 करोड़ रूपये से भी अधिक है। पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में रमेश पोखरियाल एवं भुवनचन्द्र खण्डूड़ी पर सर्किट हाउस एनेक्सी में बिजली का खर्च 22 लाख रूपये से अधिक का बकाया है। रमेश पोखरियाल तथा विजय बहुगुणा के टेलीफोन के खर्चे तथा सहायक, माली, सफाई कर्मचारी के खर्चे इस में शामिल नहीं है।
नारायण दत्त तिवारी तथा विजय बहुगुणा के अलावा सभी भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपने अधिकारिक भवन खाली कर दिए है। कौशल का कहना है कि सभी भूतपूर्व मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए है और चुनावो के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। यदि भारतीय जनता पार्टी जीतती है तो पार्टी इनके पक्ष में खड़ी हो सकती और उन्हें घर नहीं खाली करना पड़ेगा। इसी उम्मीद से एन.डी. तिवारी ने 31 मार्च तक का समय मांगा है। नैनीताल उच्च न्यायालय में 15 फरवरी को अन्तिम आदेश की सुनवाई की तारीख तय है।
जयसिंह रावत
09412324999
नैनीताल हाइकोर्ट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास खाली कराने के लिये दी गयी 15 फरबरी की समय सीमा से पहले नारायण दत्त तिवारी ने आवास खाली कराने के बजाय आगामी 31 मार्च तक की मोहलत अदालत से मांगी है, जबकि विजय बहुगुणा ने समयावधि से एक दिन पहले आवास खाली कर दिया मगर बकाया भुगतान अभी नहीं किया। इन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर राज्य सरकार द्वारा पिछले 16 सालों में 13 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है।
नैनीताल हाइकोर्ट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को 15 फरबरी तक देहरादून स्थित सरकारी आवास खाली करने की समयावधि से पहले ही विजय बहुगुणा ने मंगलवार को बीजापुर हाउस स्थित आवास खाली कर दिया गया है। उनसे पहले भगत सिंह कोश्यारी, भुवनचन्द्र खण्डूड़ी और रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आवास खाली कर दिये थे। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने आवास खाली करने के बजाय अदालत में शपथपत्र दाखिल कर अदालत से प्रार्थना की है कि वह स्वतंत्रता सेनानी और राज्यपाल रहे हैं, इसलिए उन्हेें फिलहाल वहां रहने की अनुमति दी जाए। उनका कहना है कि अभी सर्दियों के समय तथा उनकी वृद्धावस्था एवं कमजोरी के कारण वह किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए असमर्थ हैं, इसलिए उन्हें वन अनुसंधान संस्थान परिसर स्थित आवास पर आगामी 31 मार्च तक रहने दिया जाय।
इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ रहे स्वेच्छिक संगठन रूरल लिटिगेशन एण्ड एन्टाइटिलमेंट केन्द्र (रुलक) पूर्व मुख्यमंत्रियों को किसी भी तरह की रियायत देने के खिलाफ है। रुलक के अध्यक्ष पद्मश्री अवधेश कौशल के अनुसार इन पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों की गाड़ियों के रखरखाव, देहरादून से बाहर के लिए पेट्रोल, टैक्सी, ड्राइवर, माली, रसोइया, स्टेनो, टेलीफोन अनुचर के वेतन, बिजली, टेलीफोन के खर्चे, बागेश्वर, हरिद्वार में सुरक्षाकर्मी पर खर्च एवं नैनीताल में ईंधन पर राज्य सरकार के 13,03,34,160 रुपये खर्च हो चुके हैं। यह राशि भी इनसे वसूल की जानी चाहिये। इनमें से भगत सिंह कोश्यारी पर 3,70,08,661 रुपये नारायण दत्त तिवारी पर 2,39,62,088 रुपये, रमेश पोखरियाल निशंक पर 2,17,90,220 रुपये, भुवनचन्द्र खण्डूड़ी पर 2,81,52,434 रुपये, सबसे बाद में पद से हटने वाले विजय बहुगुणा पर 1,11,91,690 रुपये एवं नित्यानन्द स्वामी पर 1,56,442 रुपये खर्च हुये हैं। बहुगुणा 31 जनवरी 2014 को पद से हटे हैं और तब से लेकर अब तक बीजापुर स्थित वीआइपी गेस्टहाउस पर स्थाई निवास बना कर रह रहे थे।
राज्य सरकार ने इन भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों से इन शानदार भवनों के लिए एक हजार रुपये प्रतिमाह देने के लिए कहा है, जबकि उच्च न्यायालय ने यह साफ कहा है कि इनका किराया बाजार भाव पर निर्धारित किया जाना चाहिए, जबकि देहरादून में एक टीनशेड का कमरा भी 1,000 रूपये प्रतिमाह के हिसाब से नहीं मिलता है। इन मुख्यमंत्रियों के घरों के फर्नीचर तथा रखरखाव के खर्च को इस में नहीं जोड़ा गया है जोकि प्रत्येक मुख्यमंत्री पर 2 करोड़ रूपये से भी अधिक है। पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में रमेश पोखरियाल एवं भुवनचन्द्र खण्डूड़ी पर सर्किट हाउस एनेक्सी में बिजली का खर्च 22 लाख रूपये से अधिक का बकाया है। रमेश पोखरियाल तथा विजय बहुगुणा के टेलीफोन के खर्चे तथा सहायक, माली, सफाई कर्मचारी के खर्चे इस में शामिल नहीं है।
नारायण दत्त तिवारी तथा विजय बहुगुणा के अलावा सभी भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपने अधिकारिक भवन खाली कर दिए है। कौशल का कहना है कि सभी भूतपूर्व मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए है और चुनावो के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। यदि भारतीय जनता पार्टी जीतती है तो पार्टी इनके पक्ष में खड़ी हो सकती और उन्हें घर नहीं खाली करना पड़ेगा। इसी उम्मीद से एन.डी. तिवारी ने 31 मार्च तक का समय मांगा है। नैनीताल उच्च न्यायालय में 15 फरवरी को अन्तिम आदेश की सुनवाई की तारीख तय है।
जयसिंह रावत
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