अपने सहोदर हिमाचल प्रदेश से आगे निकल गया उत्तराखण्ड
जयसिंह रावत
मात्र 16 साल की आयु वाला उत्तराखण्ड अपने से 69 साल बड़े अपने सहोदर हिमालयी भाई हिमाचल प्रदेश से कई मायनों में आगे निकल गया है। विकास के मामले में हिमालयी राज्यों का रोल मॉडल माने जाने वाला हिमाचल प्रदेश हालांकि बागवानी के मामले में अब भी सबसे आगे है लेकिन बावजूद इसके उत्तराखण्ड मात्र डेढ दशक में ही सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिमाचल से काफी आगे निकल चुका है। हिमाचल प्रदेश का गठन 1948 में तथा उसे पूर्ण राज्य का दर्जा 1971 में मिला था। उत्तराखण्ड और हिमाचल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध रहे हैं।
उत्तराखण्ड के अर्थ एवं सांख्यकी निदेशालय द्वारा हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश के बीच किये गये एक तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार 2014-15 में उत्तराखण्ड की प्रति व्यक्ति आय 1,39,184 रुपये तथा हिमाचल प्रदेश की 1,19,720 रुपये थी। इसी प्रकार 2014-15 की दरों के आधार पर उत्तराखण्ड का सकल घरेलू उत्पाद 1,64,931 रुपये तथा स्थिर दरों पर 1,43,639 रुपये था। जबकि हिमाचल प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद उस समय की दरों के आधार पर 1,01,108 रुपये तथा स्थिर दरों के आधार पर 89,050 रुपये था। सांख्यकी निदेशालय के सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2014-15 में नव गठित उत्तराखण्ड का राजस्व 17320.53 करोड़ रुपये तथा हिमाचल प्रदेश का राजस्व 15711.07 करोड़ रुपये था। वर्ष 2015-16 के अग्रिम आंकड़ों में राज्य की आर्थिक विकास दर 8.70 फीसद आंकी गई है। इससे पीछे वित्तीय वर्ष 2014-15 की तुलना में यह 3.70 फीसद अधिक है। वहीं प्रति व्यक्ति आय में 16,435 रुपये का इजाफा होने के साथ यह 1,51,219 रुपये सालाना आंकी गई है। हिमाचल प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 2015-16 तक 1,30,067 तक ही पहुंची थी।
उत्तराखण्ड का सालाना बजट 40,422 करोड़ तक पहुंच गया है जबकि पूर्ण राज्य बनने के 46 साल बाद भी हिमाचल प्रदेश का बजट चालू वित्तीय वर्ष तक 32,593 करोड़ तक ही पहुंच पाया है। लेकिन कर्ज के मामले में भी उत्तराखण्ड अपने सहोदर से काफी आगे निकल गया है। उत्तराखण्ड पर मात्र 16 साल की आयु में लगभग 46 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ चुका है, जिसका व्याज ही लगभग 4500 करोड़ सालाना बैठता है, जबकि हिमाचल प्रदेश का कर्ज चालू वर्ष तक 35,151 करोड़़ और सालाना ब्याज भार 3,400 करोड़ रुपये ही था।
उत्तराखण्ड के अर्थ और सांख्यकी विभाग के ताजा सर्वे के अनुसार उत्तराखण्ड साक्षरता के मामले में अपने पड़ोसी से कुछ पीछे चल रहा है। इसकी साक्षरता 78.8 प्रतिशत है, जबकि हिमाचल प्रदेश की साक्षरता 82.80 प्रतिशत तक पहुंच गयी है। हिमाचल में उत्तराखण्ड की तुलना में अधिक बेसिक, सीनियर बेसिक और हायर सेकेण्डरी स्कूल अधिक हैं। स्वास्थ्य के मामले में मिली जुली स्थिति है। उत्तराखण्ड में भले ही कुल मिला कर ऐलोपैथिक अस्पताल हिमाचल के 75 के मुकाबले 390 हैं। लेकिन यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हिमाचल से कम हैं। दोनों पहाड़ी राज्यों की सिंचाई के मामले में तुलना करें तो हिमाचल का कुल सिंचित क्षेत्र 1,09,930 हेक्टेअर है। जबकि उत्तराखण्ड का सिंचित क्षेत्र 1,31,226 हैक्टेअर तक पहुंच गया है। उत्तराखण्ड में सड़कों की लम्बाई 40,686 किमी तक और हिमाचल प्रदेश में सड़कों की लम्बाई अभी 35,583 किमी तक ही पहुंची है। उत्तराखण्ड में प्रति हजार वर्ग किमी पर 760.34 किमी सड़कें तथा हिमाचल में 639.14 किमी सड़कें बनी हुयी है। उत्तराखण्ड में प्रति लाख जनसंख्या पर 381.46 किमी और हिमाचल में 498.76 किमी सड़कें हैं।
उत्तराखण्ड का गठन 9 नवम्बर 2000 को देश के 27वें राज्य के रूप में हुआ था, जबकि हिमाचल प्रदेश देश के 18वें राज्य के रूप में 25 जून 1971 को अस्तित्व में आ गया था। लेकिन लगभग 28 पहाड़ी रियासतों के राजाओं द्वारा 8 मार्च 1948 को एकीकरण प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद 15 अप्रैल 1948 को इसे मुख्य आयुक्त के अधीन एक अलग प्रशासनिक इकाई का दर्जा दे दिया गया था। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के लागू होने के साथ ही हिमाचल प्रदेश को उप राज्यपाल के अधीन एक सी श्रेणी के राज्य का दर्जा दे दिया गया था। सन् 1956 में हिमाचल प्रदेश को केन्द्र शासित राज्य बनाया गया और 1971 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में भौगोलिक समानताएं ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक समानताएं भी हैं। इन दोनों के बीच ऐतिहासिक सम्बन्ध रहे हैं। कभी टिहरी रियासत भी हिमाचल प्रदेश की लगभग 35 रियासतों में से एक थी तथा ब्रिटिशकाल में जब ब्रिटिश शासित भारत में कांग्रेस सक्रिय थी तो देशी रियासतों में कांग्रेस का ही संगठन अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद सक्रिय था। उस परिषद में रियासतों के प्रजामण्डल शामिल थे। उसी परिषद के अधीन हिमालयी राज्यों के लिये हिमालयन हिल रिजनल काउंसिल बनायी गयी थी जिसमें टिहरी समेत हिमाचल की 35 रियासतों के प्रजामण्डल शामिल थे। इस काउंसिल के अध्यक्ष टिहरी प्रजा मण्डल के अध्यक्ष परिपूर्णानन्द पैन्यूली भी रहे। पैन्यूली ने कांउसिल के चुनाव में डा0 यशवन्त सिंह परमार को हराया था।
-जयसिंह रावत
ई-11 फ्रेंड्स एन्क्लेव, शाहनगर
डिफेंस कालोनी रोड, देहरादून
उत्तराखण्ड।
जयसिंह रावत
मात्र 16 साल की आयु वाला उत्तराखण्ड अपने से 69 साल बड़े अपने सहोदर हिमालयी भाई हिमाचल प्रदेश से कई मायनों में आगे निकल गया है। विकास के मामले में हिमालयी राज्यों का रोल मॉडल माने जाने वाला हिमाचल प्रदेश हालांकि बागवानी के मामले में अब भी सबसे आगे है लेकिन बावजूद इसके उत्तराखण्ड मात्र डेढ दशक में ही सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिमाचल से काफी आगे निकल चुका है। हिमाचल प्रदेश का गठन 1948 में तथा उसे पूर्ण राज्य का दर्जा 1971 में मिला था। उत्तराखण्ड और हिमाचल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध रहे हैं।
उत्तराखण्ड के अर्थ एवं सांख्यकी निदेशालय द्वारा हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश के बीच किये गये एक तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार 2014-15 में उत्तराखण्ड की प्रति व्यक्ति आय 1,39,184 रुपये तथा हिमाचल प्रदेश की 1,19,720 रुपये थी। इसी प्रकार 2014-15 की दरों के आधार पर उत्तराखण्ड का सकल घरेलू उत्पाद 1,64,931 रुपये तथा स्थिर दरों पर 1,43,639 रुपये था। जबकि हिमाचल प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद उस समय की दरों के आधार पर 1,01,108 रुपये तथा स्थिर दरों के आधार पर 89,050 रुपये था। सांख्यकी निदेशालय के सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2014-15 में नव गठित उत्तराखण्ड का राजस्व 17320.53 करोड़ रुपये तथा हिमाचल प्रदेश का राजस्व 15711.07 करोड़ रुपये था। वर्ष 2015-16 के अग्रिम आंकड़ों में राज्य की आर्थिक विकास दर 8.70 फीसद आंकी गई है। इससे पीछे वित्तीय वर्ष 2014-15 की तुलना में यह 3.70 फीसद अधिक है। वहीं प्रति व्यक्ति आय में 16,435 रुपये का इजाफा होने के साथ यह 1,51,219 रुपये सालाना आंकी गई है। हिमाचल प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 2015-16 तक 1,30,067 तक ही पहुंची थी।
उत्तराखण्ड का सालाना बजट 40,422 करोड़ तक पहुंच गया है जबकि पूर्ण राज्य बनने के 46 साल बाद भी हिमाचल प्रदेश का बजट चालू वित्तीय वर्ष तक 32,593 करोड़ तक ही पहुंच पाया है। लेकिन कर्ज के मामले में भी उत्तराखण्ड अपने सहोदर से काफी आगे निकल गया है। उत्तराखण्ड पर मात्र 16 साल की आयु में लगभग 46 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ चुका है, जिसका व्याज ही लगभग 4500 करोड़ सालाना बैठता है, जबकि हिमाचल प्रदेश का कर्ज चालू वर्ष तक 35,151 करोड़़ और सालाना ब्याज भार 3,400 करोड़ रुपये ही था।
उत्तराखण्ड के अर्थ और सांख्यकी विभाग के ताजा सर्वे के अनुसार उत्तराखण्ड साक्षरता के मामले में अपने पड़ोसी से कुछ पीछे चल रहा है। इसकी साक्षरता 78.8 प्रतिशत है, जबकि हिमाचल प्रदेश की साक्षरता 82.80 प्रतिशत तक पहुंच गयी है। हिमाचल में उत्तराखण्ड की तुलना में अधिक बेसिक, सीनियर बेसिक और हायर सेकेण्डरी स्कूल अधिक हैं। स्वास्थ्य के मामले में मिली जुली स्थिति है। उत्तराखण्ड में भले ही कुल मिला कर ऐलोपैथिक अस्पताल हिमाचल के 75 के मुकाबले 390 हैं। लेकिन यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हिमाचल से कम हैं। दोनों पहाड़ी राज्यों की सिंचाई के मामले में तुलना करें तो हिमाचल का कुल सिंचित क्षेत्र 1,09,930 हेक्टेअर है। जबकि उत्तराखण्ड का सिंचित क्षेत्र 1,31,226 हैक्टेअर तक पहुंच गया है। उत्तराखण्ड में सड़कों की लम्बाई 40,686 किमी तक और हिमाचल प्रदेश में सड़कों की लम्बाई अभी 35,583 किमी तक ही पहुंची है। उत्तराखण्ड में प्रति हजार वर्ग किमी पर 760.34 किमी सड़कें तथा हिमाचल में 639.14 किमी सड़कें बनी हुयी है। उत्तराखण्ड में प्रति लाख जनसंख्या पर 381.46 किमी और हिमाचल में 498.76 किमी सड़कें हैं।
उत्तराखण्ड का गठन 9 नवम्बर 2000 को देश के 27वें राज्य के रूप में हुआ था, जबकि हिमाचल प्रदेश देश के 18वें राज्य के रूप में 25 जून 1971 को अस्तित्व में आ गया था। लेकिन लगभग 28 पहाड़ी रियासतों के राजाओं द्वारा 8 मार्च 1948 को एकीकरण प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद 15 अप्रैल 1948 को इसे मुख्य आयुक्त के अधीन एक अलग प्रशासनिक इकाई का दर्जा दे दिया गया था। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के लागू होने के साथ ही हिमाचल प्रदेश को उप राज्यपाल के अधीन एक सी श्रेणी के राज्य का दर्जा दे दिया गया था। सन् 1956 में हिमाचल प्रदेश को केन्द्र शासित राज्य बनाया गया और 1971 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में भौगोलिक समानताएं ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक समानताएं भी हैं। इन दोनों के बीच ऐतिहासिक सम्बन्ध रहे हैं। कभी टिहरी रियासत भी हिमाचल प्रदेश की लगभग 35 रियासतों में से एक थी तथा ब्रिटिशकाल में जब ब्रिटिश शासित भारत में कांग्रेस सक्रिय थी तो देशी रियासतों में कांग्रेस का ही संगठन अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद सक्रिय था। उस परिषद में रियासतों के प्रजामण्डल शामिल थे। उसी परिषद के अधीन हिमालयी राज्यों के लिये हिमालयन हिल रिजनल काउंसिल बनायी गयी थी जिसमें टिहरी समेत हिमाचल की 35 रियासतों के प्रजामण्डल शामिल थे। इस काउंसिल के अध्यक्ष टिहरी प्रजा मण्डल के अध्यक्ष परिपूर्णानन्द पैन्यूली भी रहे। पैन्यूली ने कांउसिल के चुनाव में डा0 यशवन्त सिंह परमार को हराया था।
-जयसिंह रावत
ई-11 फ्रेंड्स एन्क्लेव, शाहनगर
डिफेंस कालोनी रोड, देहरादून
उत्तराखण्ड।