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Tuesday, June 11, 2019

उत्तराखंड जाम : सरकार मस्त , जनता, यात्री और पर्यटक त्रस्त


उत्तराखंड जाम : सरकार  मस्त , जनता, यात्री और पर्यटक त्रस्त 

-जयसिंह रावत

दे के मैदानी इलाकों में पड़ रही भयंकर गर्मी से निजात पाने और इसी बहाने हिमालयी तीर्थों में पुण्य लाभ कमाने के लिये इस वर्ष उत्तराखण्ड के विख्यात चार धामों और पर्यटन स्थलों पर अत्यधिक भीड़ उमड़ रही है जिसे संभालना उत्तराखण्ड सरकार के बूते से बाहर हो गया है। आशा से अधिक जनसमुदाय के हिमालय पर उमड़ पड़ने के कारण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से लेकर परिवहन, आवास एवं शौचालय की जैसी सुविधाएं नाकाफी हो गयी हैं। बदरीनाथ एवं केदारनाथ में क्षमता से कहीं अधिक तीर्थ यात्रियों के पहुंचने से आवासीय व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। नैनीताल में तो हालत इतनी खराब है कि पर्यटकों के वाहनों को 10 किमी पीछे ही रोक दिया जा रहा है। चारों धामों में इस बार एक माह की अवधि में ही हृदय गति रुकने और ठण्ड आदि से मरने वाले की संख्या 41 तक पहुंच गयी है। इन मौतों में सड़क दुघटनाओं में मरने वाले शामिल नहीं हैं। इस अव्यवस्थित भीड़ को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत अपनी उपलब्धि बता रहे हैं और प्रदेशवासियों, तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को इस मुसीबत से मुक्ति दिलाने के बजाय इस विफलता पर पछताने के बजाय इतरा रहे हैं।
हिमालय पर तीर्थयात्रियों की बाढ़
जून का महीना शुरू होना ही था कि उत्तराखण्ड में विश्व विख्यात हिमालयी तीर्थों के लिये तीर्थयात्रियों की बाढ़ सी गयी है। मैदानी इलाकों में आसमान से आग बरसने के कारण भी लोग शीतलता और शांति की चाह लेकर मध्य हिमालय की ओर उमड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 18 एवं 19 मई की बहुचर्चित बदरी-केदार यात्रा ने तो चारधाम यात्रा पर चार चान्द लगा दिये। आम श्रद्धालुओं में यह संदेश गया कि जिस तरह बदरीनाथ और केदारनाथ के दर्शन करने से प्रधानमंत्री मोदी की मनोकामना पूरी हुयी उसी तरह उनकी मनोकामनाओं को पंख लग जायेंगे। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बी.डी. सिंह के अनुसार 8 जून तक इन दोनों धामों में देश -विदेश के 9,64,809 तीर्थ यात्री दर्शन लाभ कर चुके थे। रमजान का महीना निपटते ही रोजदार रहे साधन सम्पन्न लोग भी इन दिनों भारी संख्या में नैनीताल और मसूरी जैसे पर्यटन स्थलों की ओर रुख कर रहे हैं। यही नहीं जब पंजाब जैसे प्रदेशों में सूरज आग उगल रहा हो तो फिर हेमकुड साहिब जैसा शांत और शीतल तीर्थ और कहां हो सकता हैं। समुद्रतल से 4,633 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हेमकुण्ड साहिब विश्व का सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा है जो कि हिमालय की स्थाई हिमरेखा की दहलीज पर है। कुल मिला कर देखा जाय तो इन दिनों लगभग 1350 किमी लम्बे चार धाम यात्रा मार्ग एवं समुद्रतल से लगभग 2 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी पर्यटन नगरों में मानव बाढ़ जैसी गयी है। चंूकि तीर्थाटन और पर्यटन राज्य की आर्थिकी के प्रमुख आधारों में से एक होने के कारण राज्य सरकार भी चाहती है कि यहां मानव सैलाब उमड़ता रहे मगर सरकार केपास वर्तमान मे इतनी भीड़ को संभालने की तो क्षमता है और ना ही कोई विजन है। यहीं नही मूुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत इसे अपनी सफलता मान रहे हैं। तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के रूप् में आने वाले मेहमानों की भारी परेशानियों पर पछताने और माफी मांगने के बजाय इस पर इतरा रहे हैं।
ऋषिकेश में ही जवाब दे गयी व्यवस्थाएं
 ऋषिकेश में ही वाहनों के लिए जद्दो जहद, यात्री परेशान 

 शासन प्रशासन द्वारा पर्यटन और तीर्थाटन के लिये की गयी तमाम व्यवस्थाऐं यात्रा मार्ग के आधार ऋषिकेश में ही जवाब दे गयी हैं। केदार आपदा के दौरान यात्रियों का पूरा डेटा होने के कारण मृतकों या लापता यात्रियों की सही संख्या का पता नहीं लग पाया था। इसलिये अब ऋषिकेश में राज्य सरकार द्वारा यात्रियों के लिये बायोमीट्रिक रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गयी है। इस रजिस्ट्रेशन केन्द्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक वहां पर 4,77,598 यात्रियों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। इनमें सर्वाधिक 9 जून तक  3,60,669 रजिस्ट्रेशन केदारनाथ के लिये, 3,53,741 बदरीनाथ के लिये, 2,19,165 गंगोत्री और 2,11694 यमुनोत्री के लिये पंजीकृत हुये थे। केदारनाथ आपदा के बाद यात्रियों के लिये बायोमीट्रिक पंजीकरण जरूरी है मगर भारी भीड़ के कारण लोग लाइनों में खड़े होने के बजाय अपने निजी वाहनों से सीधे यात्रा पर निकल जाते हैं। ऋषिकेश के
अलाया चारधाम यात्रा मार्ग पर 10 बायोमीट्रिक रजिस्ट्रेशन केन्द्र बनाये गये हैं। भारी भीड़ के कारण चारधाम यात्रा के आधार केन्द्र ऋषिकेश में यत्रियों को चारधाम ले जाने वाली बसों का भारी टोटा पड़ गया है। गढ़वाल की दो सबसे बड़ी परिवहन कंपनियों में से एक टीजीएमओ कम्पनी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह नेगी के अनुसार कंपनी की कुल 600 बसों में से लगभग 300 बसें यात्रा में लगी हुयी हैं। नेगी के अनुसार लोग अब प्रायः अपने निजी वाहनों से ही चारधाम यात्रा कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार वहां पर आजकल हर रोज यात्रियों को भेजने के लिये लगभग 200 बसों की जरूरत है, मगर इतनी बसों की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। कुमाऊं मण्डल से भी बसें मगाने पर समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। मजबूरन यात्रियों को या तो होटल और धर्मशालाओं में बसें मिलने तक शरण लेनी पड़ रही हैं या फिर ऊंची दरों पर टैक्सियां और जीपें लेनीं पड़ रही हैं। ऋषिकेश में सफाई व्यवस्था चरमरा रही है और स्वच्छ पेयजल के लिये आम यात्रियों को बोतलबन्द पानी का सहारा लेना पड़ रहा है। इतनी भीड़ के लिये टीकाकरण की व्यवस्था भी नाममात्र की रह गयी है। अधिकांश बसें तीर्थ यात्रियों को ढोने पर लगा दिये जाने से प्रदेश के स्थानीय यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मोदी जी का गुफा में फोटो सेशन भी  लुभा गया यात्रियों को 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 18 मई को केदारनाथ की गुफा में साधना और 19 मई को बदरीनाथ में पूजा अर्चना करनी ही थी कि देशभर से तीर्थ यात्रियों का एक सैलाब सा इन हिमालयी तीर्थों की ओर उमड़ने लगा। यात्रियों की अप्रत्याशित भीड़ को देख कर लगता है कि मोदी का केदारनाथ की गुफा में 15 घण्टों तक साधनालीन  फोटो सेशन भी  यात्रियों को लुभा गया . केदारनाथ आपदा से पहले और उसके बाद स्थिति सामान्य होने पर पूरे 6 माह के यात्रा सीजन में 6 लाख के आस पास यात्री केदारनाथ पहुंचते थे। लेकिन इस बार एक महीने में ही लगभग 16 किमी की पैदल यात्रा के बावजूद केदारनाथ पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 8 जून तक 4,58,637 तक पहुंच गयी थी। केदारनाथ के लिये ऋषिकेश में अब तक बदरीनाथ की तुलना में अधिक रजिस्ट्रेशन हुये हैं। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के अनुसार 7 जून को एक दिन में 36,179 तथा 8 जून को 35,122 शिव भक्त केदारनाथ पहुंचे थे। केदारनाथ में लगभग 8 हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था है, लेकिन जब वहां चार गुना से अधिक तीर्थ यात्री पहुंचेंगे तो आवासीय संकट पैदा होना स्वाभाविक ही है।
केदारनाथ में  अव्यवस्थाओं में बदली सरकारी व्यवस्थाएं   
महिलाओं के लिए यात्रा मार्ग पर शौचालय भी आसानी से उपलब्ध नहीं 
केदारनाथ यात्रा तथा दर्शन व्यवस्था सुव्यवस्थित करने के लिये जिला प्रशासन ने इस बार टोकन की व्यवस्था शुरू की थी। लेकिन तीर्थयात्रियों का रेला इस तरह उमड़ पड़ा कि टोकन व्यवस्था भी ध्वस्त हो गयी। इस अव्यवस्था के कारण प्रशासन की भरपूर कोशिशों के बावजूद यात्रियों को उपलब्ध कराई जाने वाली चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवहन, पेयजल, खाद्य एवं आवास जैसी मूलभूत सुविधाएं ध्वस्त हो गयी हैं। स्थिति ये है कि केदारनाथ में दर्शन के लिये लम्बी कतारें लगाने से पहले रास्ते में बनाये गये अस्थाई शौचालयों में महिला यात्रियों को लम्बी लाइनें लगानी पड़ रही हैं। रामबाड़ा से लेकर केदारनाथ तक के 16 किमी के पैदल ट्रैक पर
पेयजल और चिकित्सा की व्यवस्थाओं पर भारी दबाव के चलते वे नाकाफी हो रही हैं, जिस कारण कमजोर और उम्र दराज तीर्थयात्रियों की जान पर बन रही है। इस साल एक महीने की तीर्थ यात्रा में हुयी 41 मौतों में से 27 यात्रियों की मौत अकेले इसी पैदल मार्ग पर हुयी है। पैदल यात्रा से बचने के लिये आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों के लिये फाटा से हैली सेवाऐं संचालित की जा रही हैं, मगर अत्यधिक भीड़ का लाभ उठाते हुये ब्लैकिये वहां भी मजबूर यात्रियों का शोषण करने से बाज नहीं रहे हैं। रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल एक अधिकारी ही नहीं बल्कि एक जुनूनी एक्टिविस्ट ही हैं जो कि रात दिन यात्रा मार्ग पर पसीना बहा रहे हैं, वह व्यवस्थाओं को परखने के लिए वेश बदल कर रात  को पैदल यात्रा बह कर रहे हैं , मगर एक अकेला चना कैसे  भाड़ फोड़ सकता?
बैकुण्ठ धाम बदरीनाथ में भी यात्रियों का सैलाब
19 मई को बाराणसी में मतदान के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केदारनाथ में साधना करने के बाद बदरीनाथ पहुंचे थे। उनकी इस सफल यात्रा का असर केदारनाथ के साथ ही बदरीनाथ यात्रा पर भी नजर रहा है। इस वर्ष बदरीनाथ के कपाट 10 मई को खुले थे। इस एक माह से भी कम अवधि में 8 जून तक बदरीनाथ पहुंचने वाली तीर्थ यात्रियों की संख्या 5,06,172 तक पहुंच गयी थी। मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बी.डी. सिंह के अनुसार 8 जून को एक ही दिन में 20,121 तीर्थ यात्री बदरीनाथ पहुंचे थे। बदरीनाथ और केदारनाथ के तीर्थ यात्रियों के आगमन की तुलना करें तो केदारनाथ यात्रा पर मोदी की 15 घण्टों की साधना का चमत्कारिक असर नजर आता है। कुछ वर्षांे पहले तक जोशीमठ से बदरीनाथ जाने के लिये गेट व्यवस्था थी जिसमें निश्चित समय पर वाहनों को छोड़ा जाता था। लेकिन अब कभी भी यात्री अपने वाहनों या सार्वजनिक परिवहन से सीधे बदरीनाथ जा रहे हैं। बदरीनाथ में भी यात्रियों की अत्यधिक भीड़ का दबाव आवासीय तथा अन्य व्यवस्थाओं पर पड़ रहा है। बदरीनाथ मार्ग पर अभी से जाम की समस्या पैदा होने लगी है।
सारे उत्तराखंड में ट्रैफिक जाम, स्थानीय जनता भी हलकान 
 तंग सड़कें बेशुमार गाड़ियां , जहां तहां  जाम ही जाम 
यात्रियों और पर्यटकों की भारी भीड़ के कारण राज्यभर में ट्रैफिक की गंभीर समस्या खड़ी हो गयी है। चारधाम यात्रा मार्ग तो आये दिन ट्रैफिक समस्या से जूझ ही रहे हैं लेकिन टाउन प्लानिंग और बेहतर नागरिक सुविधाओं पर ध्यान दिये जाने से देहरादून जैसे नगरों में भी आम आदमी का समय से अपने गंतव्य तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। यमुनोत्री से लेकर बदरीनाथ तक का यातायात घोर अव्यवस्था का शिकार हो गया है। ऋषिकेश से लेकर चार धामों तक जाने वाले लगभग 1350 किमी लम्बे मार्गों पर एक भी व्यवस्थित बस अड्डा होने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बस स्टेशनों पर स्थानाभाव के कारण वाहनों को प्रमुख नगरों में रुकने नहीं दिया जाता जिस कारण यात्री अपनी जरूरत की वस्तु तक नहीं खरीद पाते। राज्य गठन के 19 साल बाद भी राज्य सरकार ने एक भी बस अड्डा नहीं बनाया।  यमुनोत्री के लिये जानकी चट्टी से पैदल मार्ग पर जहां तहां कीचड़ की शिकायत है। चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में केदारनाथ की ही तरह यमुनोत्री मार्ग भी यात्रियों के लिये जानलेवा साबित हो रहा है। गत 23 मई तक यमुनोत्री मार्ग पर 14 यात्रियों की मौत हो चुकी थी। गंगोत्री के यात्रियों को भी घण्टों तक ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में बदरीनाथ मार्ग पर पेट्रोल मिलने के कारण कई किमी तक वाहनों की कतार लगी रही। नैनीताल में पार्किंग सुविधा के अभाव में 10 किमी पीछे बल्दियाखान में पर्यटक वाहनों को रोका जा रहा है तथा वहां से पर्यटकों को सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था के तहत जीप आदि से नैनीताल नगर तक छोड़ा जा रहा है। इस तरह वहां रोके गये वाहनों की कई किमी लम्बी कतार देखी जा सकती है। वहां होटलों की ऑनलाइन बुकिंग तो होती ही हैं लेकिन अत्यधिक भीड़ के कारण रोपवे की सैर करने के लिये भी तीन दिन पहले बुकिंग करानी पड़ रही है। इस अव्यवस्था से नाराज होटल-रेस्तरां मालिकों ने  विरोध स्वरूप एक रात्रि के लिये कुछ समय के लिये ब्लैक आउट भी किया था। इस अव्यवस्था के कारण नैनीताल के स्थानीय निवासी भी काफी परेशान हैं। उनका भी घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। उत्तराखंड सरकार  की इतनी बड़ी नाकामयाबी आज तक कभी सामने नहीं आयी।  
यात्रा मार्ग पर पेट्रोल-डीजल की किल्लत
चार धाम मार्ग पर पेट्रोल की सामान्य उपलब्धता से कहीं अधिक खपत बढ़ जाने से भी अक्सर पेट्रोल और डीजल का संकट खड़ा हो रहा है। केदारनाथ मार्ग की जड़ पर तथा बदरीनाथ मार्ग के एक मुख्य नगर रुद्रप्रयाग में तथा उसके आसपास के 9 पेट्रोल पम्पों पर सामान्य दिनों में औसतन 10 हजार लीटर पेट्रोल और 30 हजार लीटर डीजल की खपत होती है मगर इन दिनों वहां पेट्रोल की मांग 30 हजार और डीजल की मांग 80 हजार लीटर तक पहुंच गयी है। बदरीनाथ मार्ग पर स्थित 9 पेट्रोल पम्पों पर सामान्य दिनों औसतन 10 हजार लीटर 
पेट्रोल डीजल के लिए भी मारा-मारी  और ब्लैक 
पेट्रोल और 25 हजार लीटर डीजल की खपत होती है, मगर इन दिनों पेट्रोल की मांग सवा लाख लीटर और
डीजल की मांग 45 हजार लीटर तक पहुंच गयी है। मैदानी क्षेत्र से इतना तेल समय से इन पेट्रोल पम्पों पर नहीं पहुंच पाता है। जिस कारण पेट्रोल पम्पों से सीमित मात्रा में ही तेल दिया जा रहा है। इस किल्लत का लाभ भी ब्लैकिये उठा रहे हैं। पेट्रोल की किल्लत के कारण गत दिनों जोशीमठ से नीचे कई  वाहनों की किमी लम्बी कतार लगने से यात्रा बाधित रही। ऑल वेदर रोड के निर्माण कार्य के कारण भी पेट्रोल आपूर्ति में विम्ब हो रहा है। सड़क निर्माण के कारण भी रास्ते में कभी-कभी घण्टों तक जाम लग जाता है।
सरकार को  यात्रियों की मौतों के रिकार्ड  का गम  नहीं 
इस साल मध्य हिमालय की चारधाम यात्रा के दौरान पहले एक महीने में कोई बड़ी सड़क दुर्घटना तो नहीं हुयी मगर मगर हार्ट अटैंक जैसी बीमारियों से यात्रियों के मरने की संख्या का रिकार्ड अवश्य ही टूट गया है। इस साल 8 जून तक चारों धामों के यात्रा मार्गों पर मरने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 41 तक पहुंच गयी है जबकि गत वर्ष 2018 की यात्रा में पहले एक महीने में 27 यात्रियों की जानें गयीं थीं। इतने यात्रियों की मौतें तो  इस बार अकेले केदारनाथ यात्रा के दौरानएक महीने में हो गयी हैं। डाक्टरों के अनुसार यात्रियों की ज्यादातर मौतें हाइपोक्सेमिया (रक्त में ऑक्सीजन का न्यूनतम स्तर) के कारण हार्ट अटैक होने से हुयी हैं। पिछले साल 6 माह के पूरे यात्रा सीजन में 65 यात्रियों की मौतें हुयीं थीं। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार तीर्थ यात्री अपनी स्वास्थ्य सम्बन्धी शरीरिक क्षमता की अनदेखी कर यात्रा कर रहे हैं जिस कारण उनकी लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। इस एक महीने के अन्दर सर्वाधिक 14 मौतें महाराष्ट्र के यात्रियों की हुयीं। उसके बाद कर्नाटक के 10, मध्य प्रदेश के 9 और गुजरात के 6 यात्रियों की मौतें हुयी हैं। लेकिन  मुख्यमंत्री इन मौतों पर पछताने के बजाय यात्रियों की बेकाबू भीड़ से गदगद नजर रहे हैं। 
हिमालय के पारितंत्र पर भीड़ का धावा
इतनी विशाल अनियंत्रित भीड़ का हिमालय पर पहुंचना पारितंत्र के लिये नुकशानदेह माना जा रहा है। पर्यावरणविदों के अनुसार हिमालय पर ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने की लालसा केदारनाथ जैसी एक अरैर आपदा का निमंत्रण दे सकती है।  गढ़वाल गजेटियर के अनुसार 20 वीं सदी के मध्य तक प्रति वर्ष लगभग 50 से लेकर 60 हजार तक तीर्थयात्री बदरीनाथ आते थे। लेकिन आज लाखों की संख्या में यात्री अपने वाहनों समेत बदरीनाथ और गंगोत्री तक जा रहे हैं। तीर्थयात्रा के नाम पर इस तरह लाखों की संख्या में वाहनों के सीधे सतोपन्थ ग्लेशियर और गंगोत्री ग्लेशियर के एकदम निकट पहुंचने से उत्पन्न लोकल वार्मिंग से भी पारितंत्र प्रभावित हो रहा है।
- जयसिंह रावत
-11 फ्रेंड्स एन्क्लेव, शाहनगर,
डिफेंस कालोनी रोड, देहरादून।
मोबाइल- 09412324999
jaysinghrawat@gmail.com

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