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Saturday, January 7, 2017

उत्तराखण्ड में प्रतिकूल मौसम से जूझना होगा चुनाव आयोग को
Ø  488 हिमाच्छादित मतदान केन्द्र चिह्नित
Ø  हजारों तक पहुंच सकती है हिमाच्छादित केन्द्रों की संख्या
Ø  पोलिंग पार्टियों को बूथों तक पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती
Ø  2002 के चुनाव में 2 मतदान कर्मी वर्फ में मरे थे
-जयसिंह रावत
देहरादून। पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के दौरान निर्वाचन तंत्र को अन्य 4 प्रदेशों में भले ही अराजक और असामाजिक तत्वों के साथ ही भ्रष्ट चुनावबाजों की ओर से चुनौती मिलेगी, लेकिन पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड में उसका असली मुकाबला घोर प्रतिकूल मौसम से होगा। इस प्रदेश में मतदान के दिन 15 फरबरी तक लगभग 500 मतदान केन्द्र तो हिमाच्छादित रहेंगे ही लेकिन अगर कुछ दिन पहले ही मौसम का मिजाज बिगड़ा तो वर्फ से ढके केन्द्रों की संख्या हजारों तक पहुंच सकती है जहां मतदान पार्टियों को पहुंचाना और मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक पहुंचाना एक गंभीर चुनौती होगी।
निर्वाचन आयोग ने राज्य मौसम केन्द्र द्वारा उपलब्ध कराये गये वर्षा के चार दशकों के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुये उत्तराखण्ड में 15 फरबरी को मतदान की तिथि तो घोषित कर दी। लेकिन इस घोषणा से पहले आयोग ने पहाड़ों की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों पर गौर नहीं किया। फरबरी में हुये 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों के कटु अनुभवों को ध्यान में रखते हुये पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस.वाइ.कुरैशी ने 2012 में मतदान की तिथि 30 जनवरी घोषित की थी। कुरैशी ने उस समय इस तिथि के पक्ष में तर्क देते हुये देहरादून में प्रेस कान्फ्रेस में कहा था कि जनवरी की तुलना में फरबरी महीने में 10 से लेकर 20 गुना अधिक वर्फबारी दर्ज होती रही है। मौसम का मिजाज जानने वालों का कहना है कि फरबरी तक धरती काफी ठंडी हो जाती है और हल्की वर्षा के साथ ही निचले स्थानों तक वर्फबारी शुरू हो जाती है। ठण्डी धरती और वातावरण में अधिक ठण्ड के चलते उन दिनों वर्फ काफी समय तक टिकी रहती है।
राज्य निर्वाचन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब तक कुल 488 मतदान केन्द्र ऐसे चिन्हित किये गये हैं जिनकेे हिमाच्छादित रहने की सम्भावना है, जो कि कुल 10854 केन्द्रों में से मात्र 3 प्रतिशत से भी कम हैं। लेकिन जानकारों के अनुसार प्रदेश में फरबरी में प्रदेश में हिमरेखा खिसक कर समुद्रतल से 6 हजार फुट तक जाती है और ठीकठाक वर्षा होने पर वर्फबारी का 4000 फुट की ऊंचाई तक आना सामान्य बात है। प्रदेश में 6 हजार फुट से लेकर 10 हजार फुट तक की ऊंचाई तक बसी हुयी लगभग 7741 बस्तियां उस दौरान हिमाच्छादित रह सकती है। इनमें से लगभग 4500 से अधिक गावों तक जाने के लिये मोटर मार्ग होने के कारण वहां पैदल ही जाना पड़ता है। चमोली जिले के 3 विधानसभा क्षेत्रों में कम से कम 6 पोलिंग पार्टियों को 5 दिन पहले ही दुर्गम क्षेत्रों के लिये रवाना किया जाता है। चमोली में घेस, बलाण, हिमनी, ग्वाण, सुतोल, रामणी, कनेाल, पाना, भयूंडार और डुमक जैसे 20 केन्द्रों के हिमाच्छादित रहने की सम्भावना है। पौड़ी जिले में सबसे दुर्गम बसानी केन्द्र हैं। वहां पहुंचने के लिये 15 किमी पैदल चलना होता है। टीला केन्द्र पोड़ी जिले का सबसे ऊंचाई वाला मतदान केन्द्र है। सन् 2012 के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी प्रचार अभियान के दौरान बर्फ में फंस गये थे। रूद्रप्रयाग जिले में  गौंडार, मदमहेश्वर, चौमासी, चिलौंड एवं त्रिजुगीनारयण सबसे दुर्गम क्षेत्र हैं।
देहरादून  जिले की जनजाति सीट चकराता के 45 मतदेय स्थलों पर मतदान मौसम पर ही निर्भर करेगा। जबकि सीमान्त जिला उत्तरकाशी में ऐसेे 100 से भी अधिक केन्द्र चिन्हित किये गये हैं। पिछली बार पुरौला के 28 मतदान केन्द्र बर्फबारी वाले चिन्हित किये गये थे। इन केन्द्रों तक पहुंचने के लिये पोलिंग पार्टियों को 25 कि.मी तक पैदल वर्फ में चलना पड़ सकता है। सन् 2002 के विधानसभा चुनाव के दौरान इसी क्षेत्र में 2 मतदानकर्मियों की वर्फ में फिसल कर मौत हो गयी थी। इनके अलावा गंगोत्री और यमुनोत्री क्षेत्रों में 13-13 केन्द्रों के हिमाच्छादित रहने की आशंका है। गंगोत्री के हरसिल क्षेत्र में 4 मतदान केन्द्र ऐसे हैं जहां हिमपात होने पर पोलिंग पार्टियों को 45 किमी तक पैदल चलना पड़ सकता है।
कुमायूं मण्डल में भीमताल विधानसभा क्षेत्र के धारी, मुक्तेश्वर एवं रामगढ़ क्षेत्र, अल्मोड़ा विधान सभा क्षेत्र के खूंट, धामस, पनुवानौला क्षेत्र, जागेवर विधानसभा क्षेत्र की लमगड़ा कानूनगो सर्किल, सोमेश्वर की रानीखेत कानूनगो सर्किल, शीतलाखेत पटवारी सर्किल क्षेत्र, रानीखेत विधानसभा क्षेत्र की रानीखेत तहसील, रानीखेत सदर एवं रानीखेत कैंट, लोहाघाट का पाटी और बाराकोट, चम्पावत विधानसभा का तहसील क्षेत्र, द्वाराहाट का पूर्णागिरी क्षेत्र, कपकोट के कांडा तथा कपकोट तहसील क्षेत्र, बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र के गरुड़ तहसील का ऊपरी क्षेत्र संवेदनशील है। धारचूला विधानसभा क्षेत्र के मुनस्यारी धारचूला तहसील, डीडीहाट के सात सिलिंग सर्किल, पिथौरागढ़ के गुरना कानूनगो सर्किल, गंगोलीहाट के बेरीनाग तहसील मौसम के लिहाज से संवेदनशील है। धारचूला विधानसभा क्षेत्र के कई पोलिंग बूथों पर 2007 के चुनाव में पार्टियां हैलीकाप्टर से भेजी गई थी।

जयसिंह रावत
-11- फ्रेंड्स एन्क्लेव, शाहनगर,

डिफेंस कालोनी रोड,
  देहरादून।
उत्तराखण्ड 
jaysinghrawat@gmail.com
09412324999

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