क्या भारतीय राजनीति बेरोज़गारों को संतुष्ट करने तक सीमित रह गई है?: -देवेंद्र कुमार बुडाकोटी- एक भारत में नेता या अभिनेता बनने का सपना देखता है, तो दूसरा मंत्री या संतरी बनने की दौड़ में लगा है। लेकिन अंततः इन सबकी आकांक्षा एक जैसी है — चार "पी": पावर (सत्ता), प्रेस्टिज (प्रतिष्ठा), पैसा और पहचान। राजनीतिक विचारक थॉमस हॉब्स ने सत्ता की इच्छा को एक लगातार
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