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Saturday, February 23, 2019

किसान सम्मान निधि में चवन्नी अठन्नी बंटेगी



किसान सम्मान निधि में चवन्नी अठन्नी बंटेगी उत्तराखण्ड में
-जयसिंह रावत
देशभर के नाराज किसानों को मनाने के लिये ठीक लोकसभा चुनाव से पहले प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की जा रही किसान सम्मान निधि योजना पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड में भाजपा के लिये जी का जंजाल साबित होने जा रही है। अगर त्रिवेन्द्र सरकार ने सचमुच कृषिभूमि के सभी हिस्सेदारों को निधि का लाभ बांटने का प्रयास किया तो लोगों के हिस्से में चवन्नी अठन्नी भी नहीं आयेगी और अगर एक खाते के एक खातेदार को ही निधि दी गयी तो लाखों वंचित हिस्सेदार सरकार के खिलाफ खड़े हो जायंेगे। अपने ही राज्य की जमीनों की जमीनी हकीकत से अनविज्ञ राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं उनके कृषिमंत्री सुबोध उनियाल अपने ऊलजलूल बयानों से राज्य में स्थिति और अधिक उलझाने पर लगे हुये हैं।
Article of Jay Singh Rawat published in
Navjivan Sunday magzine( Associated
journals Ltd) on 24 February 2019
Jay Singh Rawat 
केन्द्र सरकार के अंतरिम बजट में किसान सम्मान निधि की घोषणा से अति उत्साहित उत्तराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार ने इस योजना के तहत राज्य के 92 प्रतिशत किसानों के खातों में सीधे 6 हजार रुपये तीन किश्तों में पहुंचने का लालच तो दे दिया मगर यह राशि कैसे और कितने कृषकों को मिलेगी इस मुद्दे पर स्वयं राज्य सरकार दिगभ्रमित है। राज्य 84.37 प्रतिशत भाग पहाड़ी है और इस पहाड़ी क्षेत्र में लगभग 80 प्रतिशत जोतें आधा हेक्टेअर से छोटी हैं, इसलिये मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का 92 प्रतिशत किसानों को लाभ मिलने का अनुमान तो सही है लेकिन पहाड़ी जिलों में भूमि प्रबंधन के लिये विशिष्ट कानून, कुमाऊं उत्तराखण्ड जमींदारी विनास एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1960 (कूजा ऐक्ट) लागू होने के कारण वहां छोटी जोतों का कानूनन विभाजन नहीं हो सकता, इसलिये भूमि के एक ही खाते में दर्जनों खातेदारों और उनके भी कई हिस्सेदारों के नाम दर्ज हैं। जो त्रिवेन्द्र सरकार केवल 10-12 लाख किसानों को किसान सम्मान निधि देने की तैयारी कर रही है उसके लिये लगभग 70 लाख हिस्सेदारों को निधि की पूरी किश्त अदा की जानी व्यवहारिक नहीं है और अगर उसने एक खाते में  एक खातेदार को 2000 रुपये की पहली किश्त दी तो शेष लाखों हिस्सेदार केवल अपने भाई-बान्धवों और रिश्तेदारों के बल्कि सरकार के खिलाफ भी खड़े हो जायेंगे।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के अनुसार राज्य में 2 हेक्टेअर से कम वाली 92 प्रतिशत जोतें हैं इसलिये केन्द्र सरकार की इस योजना का लाभ प्रदेश के इन सभी 92 प्रतिशत कृषकों को मिलेगा। मुख्यमंत्री का ध्यान जब पहाड़ों में कूजा ऐक्ट लागू होने के कारण एक ही जोत के खाते में कई हिस्सेदार होने की बात कही गयी गयी तो उन्होंने जमीनी हकीकत से अनजान मुख्यमंत्री ने सारे खोतदारों को सम्मान निधि देने की घोषणा कर डाली। यही बात राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने भी कही है। उनियाल के अनुसार प्रदेश में कुल 8.81 लाख जोतें हैं और इनमें से 7 लाख छोटी जोत के खातेदारों और उनके हिस्सेदारों को मिला कर कुल 9.72 लाख लोगों को केन्द्र की किसान सम्मान निधि का लाभ मिलने जा रहा है। हैरानी का विषय यह है कि मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री तथा उनके सलाहकारों ने उन्हें राज्य सरकार के ही राजस्व विभाग द्वारा भूरिकार्ड के लिये संचालित देवभूमि भूअभिलेख वेबसाइट नहीं देखी। प्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा संचालित भू अभिलेखों की 12 फरबरी को अपडेट की गयी वेबसाइट में दिये गये विवरण के अनुसार प्रदेश में जमीनों के कुल 12,97,686 खाते हैं जिनमें से गढ़वाल मण्डल में 6,89,313 तथा कुमाऊं में 6,08,373 खाते शामिल हैं। दोनों मण्डलों के इन खातों में कुल 79,47,127 खातेदार हैं। इनमें गढ़वाल के 35,34,518 तथा कुमाऊं के 44,12,609 खातेदार शामिल हैं। प्रदेश के कृषिमंत्री को प्रदेश की जमीनों की वास्तविक स्थिति की जानकारी होना भी अपने आप में बहुत ही हास्यास्पद स्थिति है। अगर 92 प्रतिशत कृषिभूमि के मालिकों को मोदी का चुनावी तोहफा मिलना है तो राज्य में यह संख्या 70 लाख से भी ऊपर चली जायेगी जबकि कृषिमंत्री की केवल 9.72 लाख कृषकों को किसान निधि का लाभ देने की योजना है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के गृह जनपद पौड़ी के परगना मल्ला सलाण, तहसील थलीसैण में खेड़ा-ढौंडियाल नाम का एक गांव है जिसके भूअभिलेखों में खाता संख्या 00038 में 23 खातेदारों के नाम के साथ ही 288 हिस्सेदारों का उल्लेख किया गया है। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के गृह जनपद टिहरी गढ़वाल की धनोल्टी तहसील के उनियाल गांव के भूखाता संख्या 63 और खसरा संख्या 122 में 19 खातेदारों के नाम  तथा तहसील मदन नेगी के ग्राम चांठी के खाता संख्या 00038 में 15 खातेदार दर्ज हैं। इसी प्रकार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के गृह जनपद अल्मोड़ा की चौखुटिया तहसील के अखोड़िया गांव के भूखाता संख्या 00035 में जीवन सिंह, गणेश सिंह, सोबन सिंह, कुंती देवी, नरेन्द्र सिंह, कैलाश सिंह, देवकी देवी, त्रिलोकसिंह, खुशहाल सिंह, वीरेन्द्र सिंह, पूरन सिंह, राजेन्द्र सिंह, जसुली देवी, पूरण सिंह, बचे सिंह एवं चन्दन सिंह के नाम दर्ज हैं। अल्मोड़ा की ही द्वाराहाट तहसील के असगोली गांव के भूखाता संख्या 00022 में 17 खातेदारों के नाम दर्ज हैं। वित्त मंत्री प्रकाश पन्त के गृह जनपद पिथौरागढ़ की गंगोलीहाट तहसील के आगर गांव के खाता संख्या 00029 में भी 17 खातेदारों या हिस्सेदारों के नाम दर्ज हैं। कुल मिला कर राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में एक ही जोत के एक ही खाते में कई खातेदारों के नाम दर्ज हैं जो कि तकनीकी रूप से कृषक ही हैं। ‘‘बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय और काम बिगारे आपनों जग में होत हंसाय’’ वाले कबीरदास के दोहे पर अगर उत्तराखण्ड की त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने जरा भी विचार किया होता तो राज्य सरकार क्षणिक लाभ के लिये प्रदेश की जनता से कभी पूरे हो सकने वाले झूठे वायदे नहीं करती।
जयसिंह रावत
-11, फ्रेंड्स एन्कलेव,
शाहनगर, डिफेंस कालोनी रोड,
देहरादून.
Mobile-9412324999
jaysinghrawat@gmail.com



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