पहाड़ के नेताओं की रुचि भी गैरसैण में नहीं रह गयी
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Statement of Jay Singh Rawat published by Amar Ujala in 22, 2018 February issue. |
गैरसैंण (
भराड़ीसैण )
में सत्र
को सप्ताहांत में
आहूत करने पर
भी सवाल उठ
रहे हैं। अगर
सत्र वृहस्पतिवार 7
दिसंबर 2017
की
जगह की जगह
4
दिसंबर सोमवार को आहूत
किया जाता तो
उसे कम से
कम शुक्रवार तक
तो चलाया जा
सकता था। विदित
ही है कि
विधानसभा में सोमवार
को मुख्यमंत्री का
दिन होता है
और मुख्यमंत्री के
पास तीन चिकित्सा
एवं स्वास्थ्य,
पीडब्लुडी,
ऊर्जा और गृह
जैसे महत्वपूर्ण विभाग
हैं। जाहिर है
कि विधानसभा सत्र
का शेड्यूल इस
तरह तय किया
गया ताकि मुख्यमंत्री
तक सवालों की
बौछार न आ सके। लेकिन
ऐसा करके इस
सत्र का महत्व
ही गायब कर
दिया गया। मंगल
और बुधवार को
भी पर्यटन,
सिंचाई,
परिवहन जैसे महत्वपूर्ण
विभागों से संबंधित
सवाल जवाब होने
थे,
वे सवाल
और जवाब भी
गायब हो गये।
इस तरह देखा
जाय तो भराड़ीसैण
का यह सत्र
केवल दिखावे के
लिये ही आहूत
किया गया लग
रहा था। जिस
पर सरकार ने
करोड़ों रुपये फूंक डाले।
भराड़ीसैण के प्रति
सरकार की अनदेखी
अधूरे निर्माण कार्य
से अनुभव की
जा सकती है।
पिछले एक साल
से विधानभवन पर
दरवाजे तक नहीं
लगाये जा सके।
दीवारों पर प्लस्तर
के दौरा नीचे
गिरे सीमेंट को
तक नहीं हटाया
गया था। विधायकों
और मंत्रियों को
टेबल का माइक
हाथ पर उठा
कर बातकरनी पड़
रही थी। सत्ता
पक्ष के मुन्ना
सिंह चौहान और
प्रणव सिंह चैंपियन
जैसे सदस्यों को
विपक्षी सदस्यों के पीछे
बैठना पड़ा। ऐसा
लग रहा था
जैसे सरकार को
अचानक गैरसैण की
याद आ गयी,
इसलिये हड़बड़ी में ही
सत्र आहूत कर
डाला। विधानभवन से
बाहर प्रेस को
संबोधित कर रहे
मुख्यमंत्री से जब
पूछा गया कि
आप जब कमिश्नर
को मंडल मुख्यालय
पौड़ी में नहीं
बिठा पा रहे
हैं और पिछले
सत्रह सालों से
कृषि विभाग को
पौड़ी नहीं भेज
पाये तो कथित
ग्रीष्मकालीन राजधानी में
अधिकारियों को कैसे
भेज पायेंगे। यह
सवाल मुख्यमंत्री के
कानों तक पहुंचना
ही था िकवह बिना
जवाब दिये उठ
कर चले गये।
जयसिंह रावत
ई-11, फ्रेंड्स एन्कलेव, शाहनगर
डिफेंस कालोनी रोड, देहरादून
मोबाइल-
9412324999
jaysinghrawat@gmail.com
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