Article of Jay Singh Rawat appeared in Nav Jivan |
अमरमणि
का बेटा चला था योगी के पिता का पिण्डदान करने
-जयसिंह रावत
पत्नी की हत्या
के मामले में
जमानत पर चल
रहे उत्तर प्रदेश
के नौतनवा के
निर्दल विधायक अमन मणि
त्रिपाठी को अति
महत्वपूर्ण व्यक्तियों की तरह
सदल बल योगी
आदित्यनाथ के पिता
का पिण्डदान करने
के नाम पर
कपाट खुलने से
पहले ही बदरीनाथ
जाने के लिये
लॉकडाउन पास जारी
किये जाने से
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री
त्रिवेन्द्र रावत के
चहेते अपर मुख्य
सचिव ओम प्रकाश
ने अपने साथ
ही मुख्यमंत्री की
छिछालेदर तो कर
ही दी लेकिन
इस बचकानी हरकत
से मधुमिता शुक्ला
हत्याकाण्ड में आजीवन
कारावास की सजा
भुगत रहे अमरमणि
त्रिपाठी को लेकर
पक रही खिचड़ी
की भी पोल
खुलवा दी है।
कोराना महामारी के संक्रमण
के भय से
एक ओर उत्तराखण्ड
की त्रिवेन्द्र सरकार
ने धर्माधिकारियों और
शंकराचार्य के भारी
विरोध के बावजूद
बदरीनाथ के कपाट
खोलने की 30 अप्रैल
को तय तिथि
बदल कर 15 मई
कर दी और
बदारीनाथ के रावल
ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी को
ऋषिकेश में ही
रोक कर क्वारेंटाइन
में रख दिया,
वहीं दूसरी ओर
उत्तर प्रदेश के
नौतनवा के निर्दल
विधायक अमन मणि
त्रिपाठी को कपाट
खुलने से पहले
ही 11 लोगों के
काफिले के साथ
बदारीनाथ और केदारनाथ
जाने के लिये
लॉकडाउन पास जारी
करवा दिये। अनुमति
पत्र जारी करने
का आधार योगी
आदित्य नाथ के
स्वर्गीय पिता आनन्द
सिंह बिष्ट का
बदरीनाथ में पिण्डदान
कराना बताया गया।
जबकि पिण्डदान पुत्र
या पुत्री या
फिर निकट संबंधी
द्वारा ही कराया
जाता है। पिण्डदान
करने का भी
अभी समय नहीं
हुआ, क्योंकि योगी
के बड़े भाई
क्रिया संस्कार में बैठे
हुये हैं और
अभी तेरहवीं होनी
बाकी है। जबकि
पिण्डदान या तर्पण
वार्षिक श्राद्ध के बाद
ही कराया जाता
है। यही नहीं
बदरीनाथ में ब्रह्म
कपाल में पिण्डदान
भी कपाट खुलने
के बाद तीर्थ
पुरोहितों की मौजूदगी
में ही कराया
जाता है और
फिलहाल बदरीनाथ निर्जन स्थान
है। योगी आदित्य
नाथ स्वयं लॉक
डाउन के कारण
अपने पिता की
अंत्येष्टि में भाग
न ले सके
थे। लॉकडाउन पास
के लिये इस
अविश्वसनीय और बचकाने
बहाने से हमेशा
विवादों में रहे
और आजीवन कारावास
की सजा भुगत
रहे अमरमणि त्रिपाठी
के परिवार और
योगी आदित्यनाथ एवं
त्रिवेन्द्र सरकार के संबंधों
की पोल तो
खुल ही गयी
है। अमनमणि और
उनकी दबंग टीम
को देहरादून से
बाकायदा पुलिस एस्कोर्ट कर
ले जाया जा
रहा था और
अगर अमनमणि तथा
उनके साथी चमोली
जिले के अधिकारियों
को धौंस पट्टी
नहीं दिखाते तो
वे लॉक डाउन
का उल्लंघन करते
हुये सीधे बदरीनाथ
और केदारनाथ पहुंच
जाते। यद्यपि ओम
प्रकाश ने 11 लोगों को
पास जारी करने
एवं उनकी आवभगत
करने के आदेश
दिये थे लेकिन
पास केवल 8 लोगों
के ही जारी
हुये थे। इसलिये
यह लॉकडाउन का
खुला उल्लंघन था।
फिलहाल अमनमणि त्रिपाठी की
दबंगई के कारण
चमोली पुलिस ने
राज्य के सबसे
शक्तिशाली नौकरशाह के फरमान
के बावजूद त्रिपाठी
और उसके 11 अन्य
साथियों को कर्णप्रयाग
से पहले ही
वापस लौटा दिया
और बवाल होने
पर मजबूरी में
टिहरी पुलिस ने
मुनी-की-रेती
थाने में अमनमणि
और उसके साथियों
के खिलाफ मजबूरी
में आपदा प्रबंधन
अधिनियम 2005 के तहत
मुकदमा तो दर्ज
कर दिया मगर
गिरफ्तारियां या उन्हें
क्वारेंटीन में भेजने
की हिम्मत कोई
नहीं जुटा पाया
जबकि बदरीनाथ के
रावल को ऋषिकेश
से आगे जाने
से रोकने के
साथ ही उन्हें
क्वारेंटीन में रख
दिया गया था।
गौरतलब है कि
स्वयं अमनमणि त्रिपाठी
अपनी पत्नी सारा
सिंह की 9 जुलाइ
2015 को फीरोजाबाद में हुयी
हत्या के आरोपी
है और इलाहाबाद
हाइकोर्ट से जमानत
पर हैं। उनके
पिता अमरमणि त्रिपाठी
तथा माता मधुमणि
त्रिपाठी कवियत्री मधुमिता शुक्ला
की 2003 में हुयी
हत्या के अपराध
में आजीवन कारावास
की सजा भुगत
रहे हैं। अमनमणि
और ओम प्रकाश
के संबंधों की
कड़ी को उनके
पिता अमरमणि की
सजा माफी की
कोशिसों से जोड़ा
जाना भी स्वाभाविक
ही है। सजायाफ्ता
अमरमणि त्रिपाठी द्वारा उत्तराखण्ड
के राज्यपाल समक्ष
दाखिल दया याचिका
विचाराधीन है। चूंकि
सुप्रीम कोर्ट के आदेश
पर मधुमिता शुक्ला
हत्या का मामला
देहरादून की सीबीआइ
अदालत में ही
चला था और
2007 में इसी अदालत
द्वारा अमरमणि और उनकी
पत्नी को आजीवन
कारावास की सजा
सुनाई गयी थी
जिसकी पुष्टि सुप्रीम
कोर्ट से भी
हो गयी थी।
इसलिये उनकी सजा
को उत्तराखण्ड के
राज्यपाल द्वारा ही माफ
किया जा सकता
है और राज्यपाल
भी राज्य सरकार
की सिफारिश पर
ही ऐसा कदम
उठा सकते हैं।
वैसे भी वर्तमान
राज्यपाल भाजपा पृष्ठभूमि की
हैं और आम
धारणा है कि
शासन प्रशासन के
मामले में मुख्यमंत्री
त्रिवेन्द्र रावत अपर
मुख्य सचिव और
अपने सबसे अधिक
विश्वासपात्र नौकरशाह ओम प्रकाश
पर पूर्णतः निर्भर
हैं। जानकारों के
अनुसार योगी के
पिता का पिण्डदान
का नाटक भी
योगी से करीबी
बढ़ाने का प्रयास
ही है ताकि
उनके माता-पिता
को गोरखपुर में
ही टिके रहें।
सजायाफ्ता अमरमणि दम्पति को
देहरादून की जेल
में होना चाहिये
था लेकिन वह
2012 से गोरखपुर में ही
कभी मण्डलीय जेल
में तो कभी
गोरखपुर मेडिकल कालेज अस्पताल
में टाइम पास
कर रहे हैं।
अमरमणि 2012 में अपनी
माता के अंतिम
संस्कार के लिये
गोरखपुर गये तो
फिर समाजवादी पार्टी
से अपने संबंधों
का लाभ उठा
कर वहीं ठहर
गये। जबकि इससे
पहले मायावती अपने
शासनकाल में अमरमणि
को वापस देहरादून
भेज चुकीं थीं।
लखनऊ स्थित एक
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन
ठाकुर ने अमनमणि
त्रिपाठी को अनुमति
दिए जाने के
मामले में उत्तराखंड
के मुख्यमंत्री के
अपर मुख्य सचिव
ओम प्रकाश के
खिलाफ कार्यवाही की
मांग की है।
गृह मंत्रालय एवं
डीओपीटी, भारत सरकार
को भेजी शिकायत
में नूतन ने
कहा है कि
अमनमणि त्रिपाठी का काम
किसी तरह अपरिहार्य
नहीं था, फिर
भी ओम प्रकाश
ने अमनमणि के
साथ 11 तथा 3 वाहन को
देहरादून से श्रीनगर,
बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि जाने
की अनुमति देने
के निर्देश दिए,
जो लॉकडाउन कानून
का स्पष्ट उल्लंघन
है।
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