उत्तराखंड आंदोलन की पगार चाहते हैं ये उत्तराखंड आंदोलनकारी
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी अब खुद के हक के लिए आंदोलनरत हैं... लगता है इन लोगों ने उत्तराखंड राज्य के लिए नहीं बल्कि अपनी पेंशन के लिए धरने प्रदर्शन किये थे और नारे लगाए थे। इनको ये चिंता नहीं कि राज्य कहाँ जा रहा है....... इनको ये चिंता नहीं कि यहाँ सत्ताधारियों और सत्ता के दलालों के साथ ही भ्रष्ट नौकरशाहों ने लूट मचा रखी है...... इनको ये चिंता है कि उनको राज्य के दुर्लभ संसाधनों की बंदरबांट में हिस्सा क्यों नहीं मिल रहा है.... अगर ये आंदोलन का भाड़ा मांग रहे हैं तो क्या ये भाड़े के आंदोलनकारी थे ? उत्तराखंड के निर्माण में प्रदेश के हर नागरिक ने भाग लिया था... लेकिन अब 1 दिन भी राज्य निर्माण के आंदोलन के दौरान जेल में रहने वाले आंदोलनकारी खुद को सात दिन जेल में रहने वालों के समान दर्जा और सुविधा देने की मांग कर रहे हैं... आंदोलनकारियों की ये मांगें लेकिन कहां तक जायज हैं... जब सभी ने अपना सहयोग राज्य निर्माण में दिया है तो इस तरह कि मांगें क्यों रखी जा रही हैं…..
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