Search This Blog

Thursday, August 24, 2017

  
  अदालतों से भी नहीं मिल रहा न्याय विलग दंपत्तियों को

उत्तराखंड के परिवार न्यायालयों पर टूटे परिवारों का बढ़ता बोझ

     सुप्रीम कोर्ट के तलाक पर दिये गये फैसले का लाभ तभी मिल सकता है जब न्यायालयों में वैवाहिक पारिवारिक मामलों का निपटारा शीघ्र हो। देश भर ही अदालतों में बड़ी संख्या में परिवारिक मामले लंबित है। सूचना अधिकार से प्राप्त सूचना के अनुसार अकेले उत्तराखंड में ही साढ़े दस हजार परिवारिक मामले लंबित है।
                काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को हाईकोर्ट के लोेेक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार 31 मार्च 2017 को उत्तराखंड में परिवार सम्बन्धी (विवाह, तलाक, भरण पोषण आदि से संबंधित) मामलों के कुल 10430 केस अदालतों में लंबित है। इसमें से 840 केस हाईकोर्ट में तथा 9590 केस 13 जिलों के न्यायालयों में लंबित हैं। उत्तराखंड के 7 जिलोें में वैवाहिक परिवारिक केसों के लिये अलग से परिवार न्यायालय कार्यरत है। इन 7 परिवार न्यायालयों में 31 मार्च 2017 को 8577 केस लंबित थे। जिसमें 461 केस तीन वर्ष से अधिक समय से, 699 केस 2 से 3 वर्ष से तथा 2172 केस 1 से 2 वर्ष से तथा 2678 केस छः माह से एक वर्ष से तथा 2567 केस छः माह से कम समय से लंबित है। आरटीआइ सूचना के अनुसार 31 दिसम्बर 2014 को उत्तराखंड के 7 परिवार न्यायालया ेंमेें 7360 केस लंबित थे, जो 2015 में बढ़कर 7960 हो गये तथा 2016 में बढ़कर 8431 हो गये।
                उत्तराखंड के जिलों के न्यायालयों में परिवारिक केसों में सर्वाधिक 2848 केस देहरादून जिले में, दूसरे स्थान पर 2212 केस हरिद्वार जिले में, तीसरे स्थान पर 1621 केस उधमसिंह नगर जिले में 31 मार्च 2017 को लंबित है। सबसे कम 51 केस रूद्रप्रयाग, दूसरे स्थान पर 74 केस चम्पावत, तीसरे स्थान पर 84 केस चमोली जिले में लंबित है। अन्य जिलों में लंबित केसों में 187 केस अल्मोड़ा में, 86 केस बागेश्वर में, 1356 केस नैनीताल में, 540 केस पौड़ी गढ़वाल में, 188 केस पिथौरागढ़ में, 164 केस टिहरी गढ़वाल तथा 179 केस उत्तरकाशी जिले में लंबित हैं। सूचना के अनुसार फरवरी मार्च 2017 में उत्तराखंड के जिलों के न्यायालयों में कुल 1609 केस तथा हाईकोर्ट में 47 केस दायर हुये है जबकि इस अवधि में जिलों में 1541 तथा हाईकोर्ट में 21 केस निपटाये गये है। जिलोे मं सर्वाधिक 486 केस देहरादून, 305 हरिद्वार, 240 उधमसिंह नगर, 192 नैनीताल, 94 पौड़ी गढ़वाल, 64 उत्तरकाशी, 53 पिथौरागढ़, 51 टिहरी गढ़वाल, 45 अल्मोड़ा, 28 चमोली, 21 रूद्रप्रयाग, 17 चम्पावत तथा सबसे कम 13 केस बागेश्वर जिले में दायर हुये हैं। परिवार न्यायालय अंधिनियम 1984 की धारा 7 के अन्तर्गत परिवार न्यायालयों को विवाह, तलाक, भरण पोषण, संतानांे की वैधता, विवाह से संबंधित सम्पत्ति तथा संरक्षकता सम्बन्धी केसों को सुनने का अधिकार है और यह केस परिवारिक केस माने जाते हैं।

                

No comments:

Post a Comment