Search This Blog

Monday, June 19, 2017

एक चिट्ठी बद्रीनाथ के विधायक के मार्फ़त सरकार के नाम

एक चिट्ठी बद्रीनाथ के विधायक के मार्फ़त सरकार के नाम 
Twin villages Sankari left and sem right in pokhari block of Chamoli Garhwal.
-----------------------------------------------------------------------------
विधायक जी आप समारोहों में मस्त हैं और हमारे गांव  के लोग रोपाई न हो पाने से संकट में हैं।  आपको पता भी नहीं होगा कि  सांकरी  की नहर के क्षतिग्रस्त होने के कारण सेम सांकरी  में इस साल रोपाई होना मुश्किल लग रहा है। सिंचाई विभाग वाले होश में ही नहीं होते. मेरे गांव में ७५ प्रतिशत जमीन रोपाई वाली है। रोपाई न होने के कारण  अब वहां जमीन का  दूसरा उपयोग भी नहीं हो सकता।  फसल बोने  का समय निकल गया. आप बड़े आदमी हो गए इसलिए   आप फ़ोन उठाना तक जरुरी नहीं समझते. आपके कृषिमंत्री के पास भी मैं  गांव  जाने से पहले मिला था मगर मंत्री जी तबादलों  के पत्ते फेंट रहे थे. उन्होंने बात सुनना तक जरुरी नहीं समझा। मैं   कल सिंचाई मंत्री जो की पर्यटन मंत्री भी हैं  के घर गया था तो पता चला वह सपत्नीक पर्यटन पर पहाड़ों की रानी मसूरी में बरसात की फुहारों का आनंद ले रहे हैं. मुख्यमंत्री मेरे पडोशी हैं लेकिन अब उनसे मिलना आसमान को छूने जैसा हो गया. भाई त्रिवेंद्र के दरबारी और बगलगीर भी पहले वालों की तरह खुद को खुदा समझ बैठे हैं.  आप लोग गाय बचाने  की  बात तो करते हैं मगर गांव और गांव वालों को बचाने  की नहीं सोचते. मेरे गांव वाले कह रहे थे की आखिर हमें गांव के नेता राजू भंडारी को ठुकरा कर  क्या मिला?  बिना पानी के राजू के खेत भी  सूख  गए।  अपने गांव  का लड़का जैसा भी था इस वक्त जरूर काम आता।  उनके समर्थक अब गांव वालों का तमाशा देख रहे हैं।  इस हाल में गांव का काश्तकार आत्महत्या या पहाड़ से पलायन  नहीं करेगा तो क्या करेगा ?  पलायन के नाम पर भी सरकार गंभीर नहीं है।  आप अपने कृषि  बागवानी मंत्री से पूछो की मैंने उनसे पहाड़ की जमीन की उत्पादकता पर क्या कहा था. इतना असंवेदनशील नेता मैंने आज तक नहीं देखा।  मैं विधानसभा में उनके अंतःपुर के चैम्बर में बात कर ही रहा था की मंत्री खिसक गए।  मेरे सामने कुछ उत्साही प्रवासी एक मंत्री को सुझाव दे रहे थे और मंत्री जी किसी अन्य कागज में खये हुए थे और उन  लोगों आप लिख कर मझे दे दो. वे पलायन रोकने पर प्रेजेंटेशन देना कहते थे. उनमे कुछ रिटायर्ड टेक्नोक्रेट और bureaucrat भी थे. मंत्री कहने लगे की आप कहते रहो मैं सुन रहा हूँ। उनमे से एक बुजुर्ग अपनी बात कहने की जिद करने लगे तो मंत्री जी ने कहा की आप अपना बायोडाटा  दे दो।  भाई महेंद्र ! अगर आपकी सरकार इसी तरह चली तो आपका भी वही हश्र होगा जो कांग्रेस का हुवा।  अहंकार आदमी को दुश्मन होता है और आप लोग उस दुश्मन के निशाने पर आते जा रहे हैं। 
आपका शुभ चिंतक 
जय सिंह रावत 
९४१२३२४९९९
-----------------------

आज मैंने देहरादून में इस सम्बन्ध में विभाग के अफसरों और मंत्री जी के दफ्तर के चक्कर लगाए तो मुझे जवाब मिला की  लघु सिंचाई विभाग केवल लघु नहरें या गूलें ही बनाता है।  मरम्मत की जिम्मेदारी उसकी नहीं है। लघु सिंचाई वालों का कहना है की उनके पास मरम्मत का बजट ही नहीं होता।  पहाड़ों में ज्यादातर गूलों की हालत यही है।  कागजों में ही सिंचाई हो रही है।  हम एशिया के वाटर टावर की गोद में बसे हैं।  ये गंगा यमुना जैसी नदियों का मायका है और हमारे खेत फिर भी प्यासे हैं।  नदी पास और पानी दूर।   कैसी विडंबना है ? अभी अभी भाई महेंद्र भट्ट का फ़ोन आ गया है. पर मुझे नहीं लगता की समाधान निकलेगा।  जब मंत्री के बस में कुछ नहीं है तो विधायक जी भी क्या करेंगे ?

No comments:

Post a Comment