अखण्ड भारत का संकल्प दिवस है 15 अगस्त
-जयसिंह रावत
भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत 15 अगस्त को केवल ब्रिटिश भारत स्वतंत्र हुआ था जबकि भारत का 40 प्रतिशत भूभाग सामंतशाही के अधीन होने के कारण लोकतंत्र के लिये छटपटा रहा था। इसलिये 15 अगस्त का दिन सम्पूर्ण भारत के लिये स्वतंत्रता दिवस के साथ ही अखण्ड भारत के संकल्प का दिवस भी है। संसद ने 5 अगस्त 2019 को धारा 370 एवं 35 ए के प्रावधानों को समाप्त करने के साथ ही केवल इंस्ट्रुमेंट ऑफ एक्सेशन से जुड़े जम्मू-कश्मीर का भारत संघ में पूर्ण विलय कर भारत की अखण्डता को और मजबूत कर दिया।
Hydrabad Nizam greets Sardar Ballabh Bhai Patel after taken over of the estate
15 अगस्त 1947 को जब ब्रिटिश भारत स्वतंत्र हुआ तो उस समय भारत में दो तरह की व्यवस्थाएं थीं। एक व्यवस्था सीधे ब्रिटिश ताज के अधीन और दूसरी व्यवस्था लगभग 562 देशी रियासतों में विभक्त थी। ब्रिटिश भारत भी बंगाल, मद्रास और बम्बई प्रेसिडेंसियों और पूर्वी तथा पश्चिमी पाकिस्तान समेत भारत के 17 प्रोविन्सों में बंटा हुआ था। देशी भारत में बिलबाड़ी जैसी मात्र 27 की जनसंख्या वाली रियासत भी थी तो इटली देश से बड़ी हैदराबाद रियासत भी थी जिसकी जनसंख्या उस समय 1.40 करोड़ थी। इन रियासतों का क्षेत्रफल लगभग 11,40,013 वर्ग किमी था, जो कि कुल भारत का लगभग 40 प्रतिशत था जिसमें राजा-महाराजाओं एवं नवाबों आदि के अधीन लगभग 24 प्रतिशत आबादी ब्रिटिश भारत की तरह लोकतंत्र के लिये अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद (कांग्रेस की ही शाखा) के बैनर तले प्रजामण्डलों के नेतृत्व में लोकतंत्र के लिये लड़ रही थी।
सन् 1921 में चेम्सफोर्ड सुधार के तहत देशी शासकों को अपनी जरूरतों और आकांक्षाओं को प्रकट करने के लिये ’चैम्बर ऑफ प्रिंसज’ का गठन हो चुका था, जिसे ‘नरेन्द्र मण्डल’ भी कहा जाता था। जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत का संविधान बनाने के लिये जब देशी राज्यों से सविधानसभा में अपने प्रतिनिधि भेजने की अपील की तो भोपाल के नवाब, जो कि नरेन्द्र मण्डल का चांसलर भी था, ने अपील ठुकरा दी। जबकि बिकानेर के महाराजा ने सबसे पहले अपना प्रतिनिधि संविधानसभा के लिये मनोनीत किया था। उसके बाद पटियाला, बड़ोदा, जयपुर और कोचीन के प्रतिनिधि भी संविधानसभा में शामिल हो गये। नेहरू के प्रभाव में तत्कालीन गर्वनर जनरल माउंटबेटन ने चैम्बर ऑफ प्रिंसेज की बैठक में साफ कह दिया था कि राज्यों का अपना अलग अस्तित्व बनाये रखना अब व्यवहारिक नहीं है इसलिये उन्हें भारत या पाकिस्तान में से किसी के साथ भौगोलिक सम्बद्धता के अनुसार मिल जाना चाहिये।
अंग्रेजी शासन के जाते ही देशी राज्यों की सम्प्रभुता भी मुक्त हो चुकी थी, लेकिन उनके सामने सुरक्षा और विकास का सवाल फिर भी खड़ा था जिसे अंतरिम सरकार ने तत्काल ‘इंट्रूमेण्ट ऑफ एक्सेशन’ प्रपत्र पर इन राज्यों से हस्ताक्षर करा कर उनकी ब्रिटिश साम्राज्य में निहित पैरामौंट्सी हासिल कर उन्हें एक तरह से पाबंद कर दिया था। प्रपत्र के जरिये देशी राज्यों ने सुरक्षा, यातायात और वैदेशिक मामलों के अधिकार भारत संघ को सौंप कर अपनी आन्तरिक स्वायत्तता बनाये रखी थी। इस तरह 15 अगस्त 1947 तक हैदराबाद और कश्मीर को छोड़कर 136 राज्यों ने इस संधि पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये थे। इससे पहले नेहरू कह चुके थे कि किसी भी राज्य को स्वतंत्र नहीं माना जायेगा और अगर किसी बाहरी देश ने किसी राज्य को मान्यता दी तो उसे भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण कार्यवाही माना जायेगा।
Maharaj Sudarshan Shah of Tehri Garhwal state |
इंस्ट्रूमेण्ट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर के बाद देशी राज्यों का भारत संघ में पूर्ण विलय विभिन्न चरणों में सम्पन्न हुआ। इस प्रकृया में उड़ीसा के 36 राज्यों का विलय 15 दिसम्बर 1947 को तो कोल्हापुर और दक्कन ऐजेंसी के 17 राज्यों का विलय 8 मार्च 1948 को हुआ। सन् 1948 में ही सौराष्ट्र की काठियावाड़ की रियासतों का विलय हुआ। बुन्देलखण्ड और बाघेलखण्ड की 35 रियासतों का 13 मार्च 1948, राजपूताना की 19 रियासतों का विलय भी मार्च 1948 में, जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर, एवं बीकानेर का 19 मार्च 1948, इंदौर, ग्वालियर झबुआ एवं देवास का जून 1949 में पंजाब की 6 रियासतों का 1948 में, उत्तर पूर्व के मणिपुर का 21 सितम्बर 1948 में त्रिपुरा का 9 सितम्बर 1949 में कूच बिहार का 30 अगस्त 1949 में लिय हुआ। बड़े राज्यों में से हैदराबाद को पुलिस कार्यवाही के बाद 18 सितम्बर 1948 को अधिग्रहण किया गया। जबकि त्रावनकोर-कोचीन 27 मई 1949, कोल्हापुर फरबरी 1949 तथा मैसूर का विलय 25 नवम्बर 1949 को तथा हिमालयी राज्य टिहरी का विलय 1 अगस्त 1949 को हुआ। आजादी के बाद भी विलय की यह यह प्रकृया जारी है। आजादी के बाद भी सन् 1975 में सिक्किम का भारत संघ में विलय हुआ जबकि 5 अगस्त 2019 को भारत की संसद ने जम्मू-कश्मीर के लिये विशेषाधिकार वाली संविधान की धारा 370 और 35 को समाप्त कर उस
राज्य की भारत संघ में पूर्ण विलय की जो प्रकृया 1948 में अधूरी रह गयी थी उसे पूरा कर लिया। इसलिये देखा जाय तो 15 अगस्त का दिन स्वतंत्रता दिवस के साथ ही अखण्ड भारत के संकल्प का दिवस भी है।
जयसिंह रावत
पत्रकार/ लेखक
ई-11, फ्रेंड्स एन्कलेव शाहनगर,
डिफेंस कालोनी रोड, देहरादून।
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