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Tuesday, May 7, 2019

लापरवाही से मरीना बोट टिहरी झील में डूबी



लापरवाही से मरीना बोट झील में डूबी

पर्यटन विभाग और टिहरी झील विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण की लापरवाही टिहरी के पर्यटन पर भारी पड़ रही है। झील में करोड़ों रूपए की परिसंपत्तियां डूबने और टूटने की कगार पर है। झील में पर्यटन गतिविधियों के लिए तैनात मरीना बोट (चलता-फिरता रेस्तारां) का आधा हिस्सा कुप्रबंधन के चलते झील मे समा गया है। 
 टिहरी झील को साहसिक खेल गतिविधियों का केंद्र बनाने की कवायद वर्ष 2015 में शुरू की थी। इसी उद्देश्य से झील में मरीना बोट और बार्ज बोट भी उतारे गए। मरीना जहां झील के बीच में आधुनिक रेस्तरां की भांति खाने-पीने और मनोरंजन के लिए उपयोग किया जाना था वहीं बार्ज बोट को टिहरी से प्रतापनगर जाने वाले बांध प्रभावितों और यात्रियों को वाहनों समेत आरपार करवाना था। मरीना की लागत करीब ढाई करोड़ और बार्ज बोट दो करोड़ 17 लाख की लागत से तैयार किया गया था। सरकार उद्देश्य था कि इन दोनों परिसंपत्तियों को लीज पर देकर यात्रियों को झील में आकर्षित कर लाभ कमाना था। लेकिन कुप्रबंधन के चलते न तो कोई पीपीपी पार्टनर बार्ज और मरीना के संचालन के आया और न ही टाडा (टिहरी झील विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण) ही इनका संचालन कर पाया। मंगलवार तड़के मरीना बोट का आधा हिस्सा टिहरी झील में समा गया है। हालांकि पर्यटन विभाग और टाडा के कर्मचारी रस्सों के सहारे इसे बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
एसडीएम व टिहरी झील विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण के एसीईओ अजयवीर सिंह का कहना है कि झील का जल स्तर कम होने से मरीना का एक हिस्सा टेढ़ा हो गया था और यह हिस्सा पानी में डूब गया। रस्सियों, तारों और पॉवर बोट के सहारे मरीना को खड़ा कर सुरक्षित स्थान पर रखने की कोशिश की जा रही है। फिलहाल प्रशासन इस बाहर निकालने के बाद यह घटना कैसे हुई इसकी समीक्षा करेगा। 

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