उत्तराखण्ड
में डबल इंजन का वायदा भूल गये मोदी जी
-जयसिंह रावत
भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री पद
के लिये नामित
होने के बाद
नरेन्द्र मोदी ने
2014 के लोकसभा चुनाव अभियान
के दौरान 15 दिसम्बर
2013 को देहरादून के परेड
मैदान में आयोजित
जनसभा को सम्बोधित
करते हुये कहा
था कि उत्तराखण्ड
राज्य को केन्द्र
में भाजपा की
बाजपेयी सरकार ने जन्म
दिया और अब
केन्द्र में फिर
भाजपा की सरकार
आने पर वही
इस नये राज्य
की परवरिश करेगी।
प्रधानमंत्री बनने के
बाद नरेन्द्र मोदी
ने 2017 के विधानसभा
चुनाव अभियान के
दौरान उसी परेड
ग्राउण्ड से जनता
से भाजपा को
प्रदेश में सत्ता
में लाने की
अपील करते हुये
कहा था कि
अगर केन्द्र की
तरह उत्तराखण्ड में
भी भाजपा की
सरकार आ जायेगी
तो राज्य के
विकास की गाड़ी
पर डबल इंजन
लग जायेगा और
राज्य बहुत तेजी
से विकास करने
के साथ ही
राज्य की सारी
समस्याएं हल हो
जायेंगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी जब 5 अप्रैल
को उसी परेड
ग्राउण्ड में फिर
वोट मांगने पहुंचे
तो नये राज्य
की परवरिश और
डबल इंजन के
वायदे को भूल
गये। गलती से
उनके मुंह से
दबी जुबान से
‘‘डबल इंजन’’ निकला भी
तो वह इलाहाबाद
कुम्भ के बारे
में निकला और
यह शब्द भी
इतनी दबी जुबान
जिसे उन्होंने वापस
निगल लिया।
गत दिनों इसी चुनाव
अभियान के दौरान
जब मोदी जी
ने रुद्रपुर में
आयोजित चुनावी सभा में
कहा कि ‘‘मोदी
जो कहता है
करके दिखाता है’’, तो उम्मीद जगी थी
कि जुबान के
पक्के होने का
दावा करने वाले
मोदी जी उत्तराखण्ड
को दिखाये गये
परवरिश और डबल
इंजन के सपने
के बारे में
जरूर कुछ कहेंगे,
मगर उन्होंने अपने
वायदे याद करने
के बजाय इस
सैन्य बाहुल्य प्रदेश
की जनता पर
राष्ट्रवाद और देश
की सुरक्षा का
मोहजाल डाल दिया
ताकि कोई उनसे
उनके वायदों के
बारे में न
पूछ सके। जो
डबल इंजन का
गलती से जिक्र
उन्होंने किया भी
तो वह इलाहाबाद
कुम्भ के बारे
में था। ऐसा
लग रहा था
कि उन्हें ‘‘डबल
इंजन’’ की बात
को जुमला बताये
जाने या मजाक
का विषय बन
जाने की जानकारी
थी इसीलिये वह
मुंह से निकला
शब्द तत्काल वापस
निगल गये। क्योंकि
मोदी सरकार ने
उत्तराखण्ड के लिये
अलग से कुछ
किया ही नहीं
था। उन्होंने एक
बार फिर ’’पहाड़
का पानी और
पहाड़ की जवानी‘‘ की बात कह
कर पहाड़ से
हो रहे पलायन
के लिये कांग्रेस
को जिम्मेदार तो
बता दिया मगर
डबल इंजन की
सरकारों के प्रयासों
का सबूत देने
के बजाय वह
कह गये कि
कांग्रेस ने पलायन
कराया और भाजपा
ने पर्यटन के
जरिये पलायन रोका
ही नहीं बल्कि
लोगों को वापस
पहाड़ पहुंचा दिया।
देश के प्रधानमंत्री
के मुंह से
ऐसा मजाक वास्तव
में कष्टकर है।
उन्होंने आल वेदर
रोड का और
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन
का उल्लेख किया
जो कि स्वाभाविक
ही था। वास्तव
में चारधाम चौड़ीकरण
पर काम हो
रहा है जिसे
गडकरी जी ने
2018 तक पूर्ण करने की
घोषणा की थी।
हालांकि इतना बड़ा
काम इतनी जल्दी
नहीं हो सकता
फिर भी इसे
ऑल वेदर रोड
बताना जनता की
आंख में धूल
झौंकने जैसा ही
है। जिस तरह
सड़क बन रही
है उस हिसाब
से यह ऑल
वेदर रोड कभी
नहीं बन सकती।
2013 में केदारनाथ आपदा के
समय तत्कालीन भूतल
सड़क परिवहन मंत्री
ऑस्कर फर्नांडीज ने
सामरिक दृष्टि से अति
महत्वपूर्ण चारधाम मार्ग को
ऑल वेदर रोड
बनाने की घोषणा
तो की थी
मगर साथ ही
यह भी कहा
था कि कम
से कम 80 प्रतिशत
सड़क सुरंगों से
गुजरने से ही
यह ऑल वेदर
हो सकती है।
जबकि वर्तमान में
लाखों पेड़ काट
कर और
फिर पहाड़ खोद
कर पहाड़ों को
और अधिक कमजोर
किया जा रहा
है। मोदी जी
ने कर्णप्रयाग रेल
लाइन का भी
बखान किया लेकिन
उन्हें किसी ने
यह नहीं बताया
कि तत्कालीन रक्षा
मंत्री ए.के.
एंटनी 9 नवम्बर 2011 को गौचर
में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग
रेल लाइन का
भूमि पूजन एवं
शिलान्यास कर चुके
थे जिसके लिये
मनमोहन सिंह सरकार
ने बजट का
प्रावधान भी कर
दिया था।
अगर आप वर्ष
2018-19 और 2019-20 के राज्य
सरकार के बजट
डॉक्यूमेंट पर गौर
करें तो उसमें
संलग्न वित्तीय समीक्षा से
डबल इंजन की
पोल खुल जाती
है। 2017-18 की वित्तीय
समीक्षा में केन्द्रीय
करों से 28.5 करोड़
और केन्द्र से
मिलने वाली सहायता
और अनुदान से
1460.00 करोड़ रुपये कम मिलने
की बात राज्य
के वित्त मंत्री
द्वारा कही गयी
है। इस साल
के बजट के
साथ 2018-19 की समीक्षा
में केन्द्रीय करों
से राज्य के
अंश में 279.64 करोड़
और केन्द्रीय सहायता
एवं अनुदान में
702.51 करोड़ की कमी
बतायी गयी है।
यही नहीं जब
इस साल 15वें
वित्त आयोग की
टीम देहरादून पहुंची
तो त्रिवेन्द्र सरकार
द्वारा वित्त आयोग के
समक्ष राज्य के
साथ केन्द्र सरकार
द्वारा किये गये
अन्याय का उल्लेख
किया गया। त्रिवेन्द्र
सरकार ने स्वीकार
किया कि मोदी
सरकार द्वारा फंडिंग
पैटर्न बदले जाने
से राज्य को
पिछले वित्त आयोग
से लगभग 2500 करोड़
की चपत लगी
है। जीएसटी से
राज्य की कर
वसूली पर भी
बुरा असर पड़ा
है। नोटबंदी ने
उद्योग और व्यापार
को चौपट कर
दिया। प्रदेश भाजपा
के कार्यालय में
ट्रांसपोर्ट प्रकाश पाण्डे द्वारा
आत्महत्या जीएसटी और नोटबंदी
के प्रकोप का
एक उदाहरण ही
था। मोदी जी
के डबल इंजन
की हकीकत का
पता तब ही
चल चुका था
जबकि राज्य से
तीन-तीन पूर्व
मुख्यमंत्री सांसद होते हुये
भी उनमें से
एक को भी
केन्द्र में मंत्री
नहीं बनाया गया।
जबकि उनमें से
एक भुवन चन्द्र
खण्डूड़ी बाजपेयी सरकार में
मंत्री रह चुके
थे और उनके
अच्छे काम के
कारण वह बाजपेयी
और आडवाणी के
चहेते माने जाते
थे। अगर खण्डूड़ी
और कोश्यारी की
उम्र ज्यादा हो
गयी थी तो
रमेश पोखरियाल निशंक
उनमें सबसे युवा
और अनुभवी थे
जो कि नब्बे
के दशक से
उत्तर प्रदेश और
उत्तराखण्ड में मंत्री
रहने के बाद
मुख्यमंत्री रह चुके
थे। अगर इन
तीनों में से
किसी एक को
भी मंत्री बनाया
जाता तो राज्य
का लाभ ही
होता। मंत्री बनाना
तो रहा दूर
मोदी जी ने
खण्डूड़ी को रक्षा
मामलों की संसदीय
समिति से इसलिये
हटा दिया क्योंकि
खण्डूड़ी की अध्यक्षता
वाली समिति ने
मोदी सरकार की
रक्षा तैयारियों पर
तीखी टिप्पणियां कर
सरकार की पोल
ही खोल दी
थी। पिछले पांच
सालों में उत्तराखण्डवासी
मोदी जी के
हर बजट को
ताकते रहे मगर
डबल इंजन का
वायदा हवा हवाई
ही नजर आया।
इसी परेड मैदान
में चरण सिंह
से लेकर नरेन्द्र
मोदी तक के
भाषण हमने सुने
मगर आज तक
किसी भी प्रधानमंत्री
ने इतनी हल्की
बातें नहीं कीं।
किसी ने भी
अपने राजनीतिक विरोधियों
को राष्ट्रविरोधी नहीं
कहा। कोई जिम्मेदार
राजनीतिक दल कैसे
विरोधी राष्ट्र विरोधी और
पाकिस्तान समर्थक हो सकता
है। अफस्पा के
बारे में भी
मोदी जी ने
जनता को गुमराह
करने का प्रयास
किया। कोई भी
राजनीतिक दल देश
की सेना को
कैसे कमजोर करने
की सोच सकता
है। मोदी जी
कह गये कि
कांग्रेस जम्मू-कश्मीर के
मुख्यमंत्री की जगह
प्रधानमंत्री बनाना चाहती है।
मोदी जी को
पता नहीं कि
कांग्रेस ने ही
1965 में जम्मू-कश्मीर में
प्रधान मंत्री याने कि
बजीरे आजम और
राष्ट्रपति याने कि
सदर -ए- रियासत
के पद समाप्त
कर दिये थे।
राम चन्द्र काक
वहां के पहले
बजीरे आजम और
महाराजा हरिसिंह सदर-ए-रियासत थे। बाद
में 1952 से लेकर
1965 तक कर्णसिंह रियासत के
सदर रहे। सैम
पित्रोदा का जिक्र
भी उन्होंने गलत
ढंग से किया।
पित्रोदा ने कभी
भी मध्यम वर्ग
को गाली नहीं
दी। मोदी जी
भूल गये कि
यह वही पित्रोदा
है जिसकी बदौलत
देश में संचार
महाक्रांति का आगाज
हुआ और देश
हर क्षेत्र मंे
तरक्की के मार्ग
पर बहुत तेजी
से अग्रसर हुआ।
न्याय योजना के
तहत कांग्रेस ने
72 हजार रुपये मिनिमम इंकम
गारण्टी देने की
घोषणा की है।
हो सकता है
कि यह कांग्रेस
का घोषणपत्र सचमुच
ढकोसला ही हो,
मगर मोदी जी
का डबल इंजन
का वायदा भी
तो ढकोसला ही
निकला। विश्व आर्थिक फोरम
की बैठक से
पहले ऑक्सफेम की
रिपोर्ट में कहा
गया था कि
भारत की की
76 प्रतिशत दौलत मात्र
1 प्रतिशत लोगों के पास
है। कांग्रेस का
दावा है कि
उन्हीं दौलतमंदों पर वेल्थ
टैक्स लगा कर
न्याय योजना में
धन की व्यवस्था
की जा सकती
है। वर्ष 2014 तक
केवल 22 प्रतिशत दौलत 1 प्रतिशत
दौलतमंदों के हाथों
में थी जबकि
मोदी राज में
76 प्रतिशत दौलत 1 प्रतिशत की
मुट्ठी
में कैद हो
गयी।
जयसिंह रावत
ई-11,फ्रेण्ड्स एन्कलेव, शाहनगर
डिफेंस कालोनी रोड, देहरादून
मोबाइल-&9412324999
jaysinghrawat@gmail.com
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