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Friday, April 5, 2019

खंडूड़ी अब कांग्रेस के लिए जरुरी और भाजपा के लिए गैर जरुरी

खंडूड़ी अब कांग्रेस के लिए जरुरी और भाजपा के लिए गई गैर जरुरी 
भाजपा के पोस्टर बैनरों से खंडूड़ी  गायब. यह चित्र रुद्रप्रयाग की एक सभा का है 


पिता के संसदीय क्षेत्र में खण्डूड़ी के बेटे ने ललकारा भाजपा को
-जयसिंह रावत
नरेन्द्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कहा था कि उत्तराखण्ड राज्य का जन्म भाजपा ने ही कराया था और अब केन्द्र में भाजपा की सरकार आयेगी तो वही इसकी सही ढंग से परवरिश भी करेगी। उसके तीन साल बाद 2017 में हुये राज्य विधानसभा के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कांग्रेस का शासन होने के कारण इस पहाड़ी राज्य के विकास की गाड़ी पटरी पर नहीं सकी इसलिये केन्द्र के साथ ही राज्य में भी भाजपा की सरकार आने से विकास की गाड़ी को डबल इंजन लगने से राज्य दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करेगा। लेकिन खुदा ही मिला बिसाले सनम अपने सभी वायदों को भूल कर भाजपा ने इस सैन्य बाहुल्य राज्य में जनभावनाओं को भुनाने के लिये पुलवामा का बदला लेने के लिये पाकिस्तान में घुस कर एयर स्ट्राइक का कार्ड तो चल दिया मगर कांग्रेस ने पौड़ी गढ़वाल से भाजपा सांसद मेजर जनरल (से.नि) भुवन चन्द्र खण्डूड़ी के बेटे मनीष खण्डूड़ी को मैदान में उतार कर भाजपा की किरकिरी कर डाली। जनरल खण्डूड़ी को मोदी सरकार की रक्षा सम्बन्धी तैयारियों की पोल पट्टी खोलने वाली रिपोर्ट देने पर रक्षा सम्बन्धी संसदीय समिति के चेयरमैन पद से हटा दिया था और उनका बेटा अब उसी अपमान का बदला लेने के लिये मैदान में डट गया है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने नये राज्य की परवरिश करने का वायदा निभाने के बजाय 14 वें वित्त आयोग से फण्डिंग पैटर्न बदलवा कर अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों सहित उत्तराखण्ड को मिलने वाली केन्द्रीय सहायता में लगभग 2500 करोड़ की चपत लगा दी। उस समय भाजपाइयों ने कहा था कि वित्त आयोग ने कोई कटौती नहीं की और राज्य की कांग्रेस सरकार बेबुनियाद आरोप लगा रही है। लेकिन जब 15 वां वित्त आयोग देहरादून पहुंचा तो अब भाजपा की सरकार भी वही रोना रोने लगी है। भाजपा के केन्द्रीय एवं राज्य स्तर के नेताओं ने जीएसटी का खूब प्रचार किया लेकिन इससे राज्य सरकार को गत वित्तीय वर्ष में केन्द्रीय करों से मिलने वाले करांश में 279.64 करोड़ की तथा राज्य जीएसटी में 200 करोड़ की चपत लग गयी। राज्य के विकास की गाड़ी पर डबल इंजन कीपावरलगाने का वायदा करने वाले मोदी जी ने केन्द्र से मिलने वाले केन्द्रीय सहायता एवं अनुदान में ही 702.51 करोड़ की कटौती कर डाली। राज्य को केन्द्र सरकार की बेरुखी और त्रिवेन्द्र सरकर के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण प्रदेश की सामाजिक सेवाओं पर 1027.47 करोड़ और आर्थिक सेवाओं पर 104.93 करोड़ खर्च करने को नहीं हो सके। यही नहीं नाबंदी और जीएसटी के सताये हुये हल्द्वानी के ट्रांसपोर्टर प्रकाश पाण्डे को भाजपा के दफ्तर में कृषिमंत्री द्वारा आयोजित जनता दरबार में जहर खा कर आत्महत्या करनी पड़ी।
सन् 2000 में जब राज्य बना था उस समय राज्य में बेरोजगारों की संख्या 3 लाख के आसपास थी जो कि आज बढ़ कर 9 लाख तक पहुंच गयी है। भाजपा शासनकाल में नोटबंदी और जीएसटी के कारण छोटे उद्योगों और कारोबार बंद होने से जो रोजगार कांग्रेस शासन में श्रृजित हुये भी थे वे भी बहुत घट गये। इस पहाड़ी राज्य में पहली बार कर्ज के बोझ तले दबे आधा दर्जन से अधिक किसान आत्महत्याएं कर चुके हैं। ये आत्महत्याएं हरिद्वार जिले के रुड़की, उधमसिंहनगर, पिथौरागढ़ एवं टिहरी जिले में हुयी हैं। भाजपा के शासन काल में 15 अप्रैल 2017 को अल्मोड़ा जिले के खजुरानी गांव में एक 17 साल की लड़की की भूख से मौत हो गयी। राज्य की यह पहली घटना थी। प्रधानमंत्री मोदी स्वयं को देश का चौकीदार बताते हैं। मोदी जी ने अपने मन की बात देशभर के चौकीदारों को तो सुना दी मगर उनकी मन की व्यथा नहीं सुनीं। उत्तराखण्ड के ग्राम चौकीदारों (ग्राम प्रहरी या पासवान) को पिछले एक साल से 1200 रु0 प्रतिमाह मिलने वाला मानदेय नहीं मिला। पहाड़ों के अस्पतालों में आज भी डाक्टर और स्कूलों में मास्टर नहीं हैं। इसलिये लोग सरकारी स्कूलों से बच्चे हटा रहे हैं। प्रसूताओं द्वारा सड़क पर बच्चे जनने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। अटल आयुष्मान योजना में 23 लाख परिवारों को सरकारी खर्चे पर निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की घोषणा तो कर दी मगर अभी तक उन पांच लाख लोगों को भी यह सुविधा नहीं मिल पायी जिनको सीधे मोदी जी की चिð के साथ हेल्थ कार्ड मिले थे। बीमार लोग आयुष्मान कार्ड लेकर अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा एक भी ऐसी योजना नहीं है जा कि सही सफल हो गयी हो।
उत्तराखण्डवासियों से कोई भी वायदा पूरा करने वाली भाजपा के पास पाकिस्तान में घुस कर बालाकोट के आतंकी कैम्प पर हमले को चुनावों में भुनाने का मौका बचा था लेकिन उसके इस चुनावी ब्रह्मास्त्र की हवा उन्हीं के सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल (से.नि.) भुवन चन्द्र खण्डूड़ी ने अपने पुत्र मनीष खण्डूड़ी को अपनी जगह पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतार कर निकाल ली है। खण्डूड़ी 1991 से लेकर 2014 तक वर्ष 1996 में हुये चुनाव को छोड़ कर निरन्तर इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं। वर्ष 2008 में जब खण्डूड़ी ने राज्य के मुख्यमंत्री बनने पर यह सीट खाली की तो उनके लिये धूमाकोट विधानसभा सीट खाली करने वाले जनरल टीपीएस रावत को उन्होंने बदले में इस सीट से चुनाव जितवा दिया था। गत वर्ष मोदी सरकार की रक्षा तैयारियों पर कठोर टिप्पणियां करने पर जनरल खण्डूड़ी को संसद की रक्षा समिति से हटा दिया गया था। इस समिति से अब तक खण्डूड़ी की तरह किसी अन्य अध्यक्ष को नहीं हटाया गया था। मोदी निरन्तर जनरल खण्डूड़ी ही नहीं बल्कि उत्तराखण्ड के वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा करते रहे हैं। राज्य से खण्डूड़ी, भगतसिंह कोश्यारी और रमेश पोखरियाल निशंक तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके वरिष्ठ सांसदों को मोदी सरकार में जगह नहीं मिली थी। जबकि बाजपेयी सरकार में उत्तराखण्ड से दो मंत्री थे। इस सैन्य बाहुल्य क्षेत्र में खण्डूड़ी के निरादर और प्रतिकार स्वरूप उनके बेटे का कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरना भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरने के लिये काफी है। वैसे भी प्रदेश के लाखों पूर्व सैनिक वन रैंक वन पेशन के नाम पर स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं।
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