Article of Jay Singh Rawat published in Navjivan (Associated Journals Ltd) on 17 March 2019 |
फर्जी निकली उत्तराखण्ड को खुले में शौच मुक्त करने की घोषणा
-जयसिंह रावत
उत्तराखण्ड
की जनता को
बरगलाने और राष्ट्रीय
स्तर पर वाहवाही
लूटने के लिये
त्रिवेन्द्र सिंह रावत
सरकार ने लगभग
दो साल पहले
राज्य को खुले
में शौच मुक्त
(ओडीएफ) करने की
जो घोषणा की
थी उसकी पोल
पट्टी भारत के
नियंत्रक एवं महालेखा
परीक्षक (कैग) की
रिपोर्ट में खुल
जाने के बाद
अब राज्य सरकार
ने स्वयं ही
विधानसभा में अपने
झूट को कबूल
कर लिया है।
विधानसभा में पेयजल
मंत्री प्रकाश पंत ने
स्वीकार किया है
कि राज्य में
अभी 19 हजार से
अधिक परिवार शौचालय
विहीन रह गये
हैं। पेयजल मंत्री
ने भी केवल
हरिद्वार जिले का
उल्लेख किया जबकि
उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, चमोली और
बागेश्वर जिलों में भी
बड़ी संख्या में
परिवारों के शौचालय
विहीन होने का
खुलासा हुआ है।
गांव गली तो
रहे दूर, राज्य
का विधानसभा भवन
तक खुले में
शौच की दुर्गंध
से घिरा हुआ
रहता है। यही
नहीं इस देवभूमि
को अब तक
सिर पर पराया
पखाना ढोने की
मजबूरी से मुक्त
नहीं किया जा
सका।
Author and Journalist Jay Singh Rawat |
मुख्यमंत्री
त्रिवेन्द्र सिंह रावत
ने वाहवाही लूटने
के लिये 22 जून
2017 को उतावली में उत्तराखण्ड
के खुले में
शौच मुक्त होने
की घोषणा कर
देश में 29 प्रदेशों
और 7 केन्द्र शासित
राज्यों में हरियाणा
के बाद चौथा
स्थान तो प्राप्त
कर लिया लेकिन
राज्य सरकार की
इस झूठी घोषणा
ने उसी को
मजाक का पात्र
बना दिया है।
भारत के नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक
ने सरकारी आंकड़ों
को फर्जी मानने
के बाद अब
विधानसभा में अपने
ही दल के
सदस्य कुंवर प्रणवसिंह
चम्पियन के एक
प्रश्न के उत्तर
में प्रदेश
के पेयजल एवं
वित्त मंत्री प्रकाश
पन्त ने स्वीकार
किया है कि
हरिद्वार जिले में
अब भी 19,375 परिवार
शौचालय विहीन रह गये
हैं। पन्त के
अनुसार बेस लाइन
सर्वे 2012 के उपरान्त
8203 परिवार छूट गये
थे और उसके
बाद 11,172 परिवार बाद में
बढ़ गये। यक
सवाल केवल हरिद्वार
जिले के बारे
में पूछा गया
था इसलिये जवबा
भी हरिद्वार जिले
के ही बारे
में मिला जबकि
कैग ने अपनी
रिपोर्ट में राज्य
सरकार के दावे
को एक तरह
से तार-तार
ही कर डाला।
विधानसभा में रखी
गयी कैग की
रिपोर्ट में त्रिवेन्द्र
सरकार के दावे
की पोल खोलते
हुये कहा गया
है कि राज्य
सरकार ने 1.8 लाख
लाभार्थियों को खुले
में शौच मुक्त
(ओडीएफ) के ऐक्शन
प्लान में शामिल
ही नहीं किया
था। वहीं दावे
के विपरीत सरकार
की खुले में
शौचमुक्ति की उपलब्धि
महज 67 फीसदी थी। 22 दिसंबर,
2016 तक अल्मोड़ा जिले में
5,672 शौचालयों का निर्माण
नहीं हो पाया
था। वहीं 546 सामुदायिक
स्वच्छता परिसर में से
63 परिसर ही बने
थे। मार्च, 2017 तक
इनकी प्रगति महज
11.54 फीसदी थी। प्रधानमंत्री
के इस मिशन
के तहत राज्य
में 4,89,108 व्यक्तिगत घरेलू शौचालय,
831 सामुदायिक स्वच्छता परिसर और
7,900 ठोस एवं तरल
अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं का
निर्माण किया जाना
था। इसके अलावा,
ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन
के तहत राज्यों
को हर वर्ष
अप्रैल में लाभार्थियों
के आंकड़ों को
अपडेट करना था
परन्तु राज्य परियोजना प्रबंधन
इकाई ऐसा करने
में विफल रही।
इस वजह से
1,79,868 अतिरिक्त परिवार योजना में
शामिल ही नहीं
किए गए।
कैग की जांच
में व्यक्तिगत घरेलू
शौचालयों के निर्माण
के संबंध में
सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता
भी संदिग्ध पायी
गयी। क्योंकि जांच
में पाया गया
कि 22 दिसंबर, 2016 को
खुले में शौच
से मुक्त घोषित
की गई अल्मोड़ा
जिले की 241 ग्राम
पंचायतों को 5,672 शौचालयों के
निर्माण के लिए
चार दिन बाद
यानी 26 दिसंबर, 2016 से 3 जनवरी,
2017 के बीच दो
करोड़ रु. की
धनराशि जारी की
गई। खुले में
शौच मुक्त (ओडीएफ)
होने के दावे
की पोल अल्मोड़ा
जिले के सल्ट
विकासखंड का भ्याड़ी
गांव भी खोल
रहा है। इस
गांव में 30 परिवार
शौचालय विहीन हैं। गांव
के मुख्य मार्ग
गंदगी से पटे
रहते हैं। प्रदेश
सरकार पिथौरागढ़ जिले
में झूलाघाट क्षेत्र
के मजिरकांडा ग्राम
पंचायत में 54 परिवारों के
पास आज भी
शौचालय नहीं है।
मूनाकोट विकासखण्ड की मजिरकांडा
ग्रामसभा के ओजस्वी
तोक में 54 परिवारों
के पास शौचालय
नहीं हैं। अठखोला
में 7, सेठीगांव में 5, लेक
में 10, तल्ली मजिरकांडा में
4, मल्ली मजिरकांडा में 10, बनाड़ा
में 5 और झूलाघाट
के 13 परिवार खुले
में शौच करते
हैं।
खुले में शौच
से मुक्त (ओडीएफ)
घोषित हुए उत्तरकाशी
जनपद को दो
साल से अधिक
का समय हो
चुका है, लेकिन
अभी जिले में
2 हजार 151 परिवार के शौचालय
बनने से छूटे
हुए हैं। जबकि
परिवारों के बढ़ने
से 4664 शौचालयों के निर्माण
अभी और होने
बाकी है। ऐसे में
खुले से शौच
से मुक्त उत्तरकाशी
जिले में खुले
में शौच मुक्ति
का मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र
रावत का दावा
मजाक बन कर
रह गया है।
महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण
अफ्रीका से लौटने
के बाद पहली
बार हरिद्वार पहुंचे
थे तो उन्हें
वहां खुले में
शौच की प्रवृत्ति
से काफी दुख
हुआ था जिसका
जिक्र उन्होंने अपनी
डायरी में किया
है। विधानसभा भवन
मुख्यमंत्री की सपनों
की ऋषिपर्णा (रिस्पना)
के किनारे बना
हुआ है और
इस बरसाती नाले
में खुले में
शौच के कारण
इतनी दुर्गन्ध फैलती
है कि विधानसभा
भवन के चारों
ओर चक्कर लगाते
समय नाक बंद
करनी पड़ती है।
इसी पवित्र कुम्भ
नगरी हरिद्वार खुले
में शौच मुक्त
करना तो रहा
दूर राज्य सरकार
सिर पर मैला
ढोने की व्यवस्था
से तक मुक्त
नहीं करा पायी।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
के समक्ष गत
दिनों हरिद्वार में
सिर पर मैला
ढोने वालों की
संख्या 135 बतायी गयी। हरिद्वार
तो रहा दूर
राज्य सरकार की
नाक के नीचे
राजधानी देहरादून में भी
सिर पर दूसरों
का पखाना ढोने
वालों की संख्या
8 बतायी गयी।
जयसिंह रावत
ई-11,फ्रेंड्स एन्क्लेव, शाहनगर,
डिफेंस कालोनी रोड, देहरादून।
मोबाइल-9412324999
ईमेल-jaysinghrawat@gmail.com
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