रंगीन मिजाज भाजपाई कर रहे देवभूमि को कलंकित
-जयसिंह रावतहिन्दू संस्कृति के स्वयंभू ध्वजवाहक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आएसएस) के प्रचारकों और इसी गुरुकुल से दीक्षित भाजपा नेताओं की काम वासनाओं से संघ और भाजपा को कोई फर्क पड़े या न पड़े मगर देवभूमि के नाम से जानी जाने वाली उत्तराखण्ड की पवित्र भूमि जरूर कलंकित हो रही है। ये स्कैण्डल तब-तब सामने आये हैं जब-जब भाजपा प्रदेश में सत्ता में रही है। इससे जाहिर है कि इस पार्टी के नेताओं ने सत्ता और अपनी पोजिशन का दुरुपयोग अपनी काम वासनाओं की पूर्ति के लिये भी किया है।
Article of Jay Singh Rawat published in Navjivan Sunday epaper of National Herald on November 25, 2018 |
उत्तराखण्ड में भाजपा नेताओं के सेक्स स्कैण्डल नये नहीं हैं। त्रिवेन्द्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पर बलात्कार की एफआइआर तीन बार दर्ज हो चुकी है। एक बार उन पर असम की कंुवारी लड़की ने उससे बलात्कार कर गर्भधारण कराने का आरोप लगाया था जिस कारण उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में डीएनए जांच में नवजात के साथ हरकसिंह का डीएनए मैच न होने के कारण वह आरोप मुक्त हो गये। उन पर 2014 में भी दिल्ली में एक लड़की ने नौकरी का झांसा देकर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया मगर लड़की बाद में पुलिस के पास बयान देने नहीं आयी। सन् 2003 में हरक सिंह पर आरोप लगाने वाली लड़की ने दुबारा दिल्ली के सफदरजंग थाने में 29 जुलाइ 2016 को दुष्कर्म का मामला दर्ज किया। लेकिन बाद में लड़की ने अपनी रिपोर्ट वापस ले ली। अप्रैल 2007 में दिल्ली में नीलम शर्मा नाम की एक तलाकशुदा महिला द्वारा आत्महत्या किये जाने पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की ओर से हरिद्वार में एक मंत्री के खिलाफ कई दिनों तक धरने प्रदर्शन किये गये। अप्रैल 2008 में खण्डूड़ी सरकार के दौरान एक बारहवीं कक्षा की गरीब छात्रा से नौकरी का झासा देकर सामूहिक बलात्कार के मामले में भाजपा सहकारी प्रकोष्ट के पूर्व जिला अध्यक्ष प्रमोद गुप्ता को आजीवन कारवास की तथा एनजीओ प्रकोष्ठ के अशोक कुमार को 10 साल की सजा हुयी थी।
इस मामले में पीड़िता की पैरवी कर रही समाधान एनजीओ की संचालिका रेनू सिंह का कहना है कि लड़की ने उनसे इस गैंग रेप में शामिल एक बड़े भाजपा नेता और एक आइएएस का नाम भी बताया था मगर भाजपा सरकार के दबाव में पुलिस ने इन बलात्कारियों को बचा लिया। वर्ष 2009 में अल्मोड़ा जिले की एक लड़की ने पीलीभीत में आत्महत्या की थी और उसकी मां ने इस आत्महत्या के लिये खण्डूड़ी सरकार के एक मंत्री को जिम्मेदार बताया था। एक युवती ने 11 अगस्त 2010 को नैनीताल हाइकोर्ट में याचिका दायर कर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुये कोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी। वह लड़की हत्या के मामले में जेल में थी और उन दिनों जमानत पर थी। बाद में लड़की ने मामला वापस ले लिया था।
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भाजपाइयों का यौन रोग नौकरशाही को भी लगा
जब सरकार में बैठे लोग ही रंगरलियों में डूबे हुये हो तो फिर उनके मातहत काम करने वाली नौकरशाही से भी मर्यादापरुषोत्तम बनने की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। अगस्त 2013 में जब सारा प्रदेश आपदाग्रस्त था हजारों लोग केदारनाथ आपदा में मारे गये थे और हजारों अन्य बेघर हो गये थे। इस विनाशलीला से लोगों के बचाव एवं राहत के लिये सचिवालय में देर रात तक काम चल रहा था तो एक अधिकारी ने रात और एकान्त का दुरुपयोग करते हुये अपनी मातहत कर्मचारी के साथ दुराचार का प्रयास किया। उस दुराचारी के चंगुल से बची कर्मचारी ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और मुख्य सचिव सुभाष कुमार से भी की मगर दोषी अधिकारी का बाल बांका तक नहीं हुआ। इसके बाद नवम्बर में दिल्ली में राज्य के अपर सचिव जे. पी. जोशी के खिलाफ नौकरी का झांसा देकर दुराचार करने की श्किायत दर्ज हुयी जिस पर जोशी को 3 दिसम्बर 2013 को गिरफ्तार किया गया। इस काण्ड में जोशी पूरे एक साल बाद फरबरी 2015 में जमानत पर रिहा हुये। कुछ वर्ष पहले सचिवालय का एक संयुक्त सचिव रात को होमगार्ड की महिला कर्मचारी के साथ एक कार में पकड़ा गया।
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