अफवाहों ने केदार घाटी की शांत फिजाओं में घोला सांप्रदायिक जहर
पौड़ी गढ़वाल के सतपुली
कस्बे के बाद
अब जाहिल और
बीमार मानसिकता का
कहर पवित्र केदार
घाटी के अगस्त्यमुनी
में भी बरपा
हो गया। कोटद्वार
में भी इसी
साल इसी तरह
साम्प्रदायिक विद्वेष फैला कर
दो समुदायों के
बीच वैमनस्यता फैलाने
का प्रयास किया
गया। दुनियां चांद
तारों पर पहुंच
गयी है और
हम आपस में
ही एक दूसरे
के दुश्मन बने
हुये हैं। हमारे
पहाड़ी समाज में
जिस तरह से
यह संक्रामक रोग
फैल रहा है
वह बेहद चिन्ता
का विषय है।
इस युग में
इस तरह की
घटनाओं की खबर
सुनते ही सिर
शर्म से झुक
जाता है। जबकि
शर्म उनको आनी
चाहिये जो कि
समाज में इस
तरह का साम्प्रदायिक
विद्वेष का जहर
घोल रहे हैं।
इस तरह धर्म
के नाम पर
नफरत फैलाने वाले
जाहिल ही होते
हैं और जाहिल
चाहे किसी भी
मजहब का हो,
वह समाज और
देश पर बोझ
हैं। बेहद खेद
का विषय है
कि ऐसी जाहिल
मानसिकता को कुचलने
के बजाय राजनीतिक
दल वोटों के
लिये ऐसी संकीर्णता
को बढ़ावा देते
हैं।
Comunal tension errupted in the holly town of Agastymuni in Kedar valley on Friday following a rumor mongered by some anti social elements in social media |
सोशल मीडिया में वायरल
हुई एक अफवाह ने
अगस्त्यमुनि की शांत
फिजाओं में सांप्रदायिक
जहर घोल दिया।
हजारों आक्रोशित छात्र छात्राओं,
व्यापारियों एवं स्थानीय
निवासियों का सैलाब
सड़कों पर उतर
आया। हजारों की
संख्या में भीड़
ने अगस्त्यमुनि से
बेड़ूबगड़ तक जुलूस
निकालकर जोरदार प्रदर्शन किया।
पुलिस की व्यवस्था
चाक चौबंध न
होने से अनियंत्रित
भीड़ ने न
केवल समुदाय विशेष
की पन्द्रह से
अधिक दुकानों में
तोड़ फोड़ की,
बल्कि आठ से
अधिक दुकानों को
आग के हवाले
कर दिया। बाद
में प्रदर्शनकारियों ने
थाने का घेराव
कर आरोपियों के
खिलाफ कड़ी कार्यवाही
की मांग की।
प्रदर्शनकारी आरोपियों को उनके
हवाले करने की
मांग कर रही
थी। पुलिस ने
बड़ी मुश्किल से
उन्हें रोका। पुलिस ने
तीन आरोपियों को
गिरफ्तार कर उन
पर महिलाओं पर
अश्लील फब्तियां कसने तथा
महिला अस्तित्व विरूपण
अधिनियम की धाराओं
में मुकदमा दर्ज
कर दिया है।
पूरे मामले में
रोचक तथ्य यह
रहा कि जिन
आरोपियों को सुमदाय
विशेष का बताकर
बबाल मचाया गया
वे हिन्दू निकले।
घटना गुरूवार सांय की
बताई जा रही
है। बताया जा
रहा है कि
पीजी कॉलेज अगस्त्यमुनि
में निर्माणाधीन छात्रावास
में कार्य कर
रहे मजदूरों द्वारा
एक नाबालिग लड़की
से छेड़छाड़ की
जा रही थी,
जिसका कुछ छात्रों
ने विरोध किया।
छात्रों का आरोप
था कि ये
चार लोग थे।
जिनमें से एक
फरार हो गया।
छात्रों ने तीनों
आरोपियों के साथ
मारपीट कर उन्हें
पुलिस को सौंप
दिया। थाने में
जब तीनों से
पूछताछ हुई तो
उन्होंने अपना नाम
मेहकार सिंह पूत्र
शिवचरण सिंह ग्राम
नवादा थाना गजरौला,
जिला अमरोहा यूपी,
सोनिक कुमार पुत्र
रकम सिंह ग्राम
रोहालकी, थाना खानपुर,
जिला हरिद्वार तथा
शिण्टू पुत्र समरपाल ग्राम
शेरपुर, थाना धनौरा,
जिला अमरोहा, यूपी
बताया। छात्रों का आरोप
था कि तीनों
ने चौथे युवक,
जो दूसरे सम्प्रदाय
का था को
फरार करा दिया।
इसी पर बहस
होती रही। रात
में ही किसी
ने सोशल मीडिया
पर अगस्त्यमुनि में
समुदाय विशेष के युवकों
द्वारा बालिका से गैंग
रेप की खबर
वायरल कर दी,
जिसमें लड़की की
उम्र दस वर्ष
बताई गई, जिससे
माहौल गर्मा गया।
असल में पूरा
मामला ही उलझा
हुआ नजर आया।
लड़की की उम्र
एवं घटना की
सत्यता पर संशय
बना रहा। किसी
को भी मामले
की पूरी जानकारी
नहीं थी, फिर
भी शुक्रवार को
प्रातः से ही
आंदोलन की सुगबुगाहट
हो गई। पूरा
बाजार स्वतः स्फूर्त
बन्द हो गया।
छात्रों ने कालेज
से तथा व्यापारियों
तथा बाजार से
जुलूस प्रदर्शन प्रारम्भ
कर दिया। जुलूस
बेड़ुबगड़ होते हुए
वापस थाने पर
आकर रूका। इसी
बीच अनियंत्रित भीड़
ने समुदाय विशेष
की दुकानों को
निशाना बनाकर तोड़फोड़ शुरू
कर दी। प्रदर्शकारियों
ने पुलिस प्रशासन
के खिलाफ जमकर
नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी
आरोपियों को उनके
हवाले करने की
मांग कर रहे
थे। थाने के
सुरक्षा के लिए
भारी पुलिस दल
मौजूद था। थानाध्यक्ष
सुबोध ममगाई ने
प्रदर्शनकारियों से आरोपियों
के खिलाफ रिपोर्ट
दर्ज कराने को
कहा, मगर कोई
भी तैयार नहीं
हुआ। इस दौरान
थाने में बहस
होती रही। इसी
बीच किन्ही असामाजिक
तत्वों द्वारा सुमदाय विशेष
की दुकानों में
आग लगा दी
गई।। इससे अफरा
तफरी मच गई।
तब तक जनपद
से भी अतिरिक्त
पुलिस फोर्स आ
चुका था। एसडीएम
सदर देवानन्द एवं
सीओ रुद्रप्रयाग एसपी
बुडोला ने भी
घटना स्थल का
दौरा किया, मगर
तब तक असामाजिक
तत्व आठ से
अधिक दुकानों को
आग के हवाले
कर चुके थे।
बाद में एसपी
चमोली तृप्ति भट्ट
ने भी घटनास्थल
का दौरा कर
थानाध्यक्ष से विस्तृत
जानकारी लीं उन्होंने
सभी लोगों से
शान्ति बनाये रखने अपील
की। उधर, प्रदर्शनकारियों
का आरोप था
कि पिछले पांच
माह में इस
प्रकार की पांच
घटनायें प्रकाश में आई
हैं, जिसमें इसी
समुदाय के लोगों
का हाथ था।
जिन्हें पकड़ा भी
गया, लेकिन पुलिस
ने उचित कार्यवाही
न कर उन्हें
छोड़ दिया। इसी
से इनके हौसले
बुलन्द हो गये
हैं। यदि पहले
ही उन्हें सजा
मिल जाती तो
आज इस तरह
की घटना नहीं
होती। प्रदर्शन करने
वालों मे छात्र
नेताओं के साथ
ही अगस्त्यमुनि, विजयनगर,
जवाहरनगर, चन्द्रापुरी आदि जगहों
के व्यापारी शामिल
थे।
अगस्त्यमुनि
में हुईघटना से
केदारघाटी शर्मशार हुई। यहां
की शांत वादियों
में जो सांप्रदायिक
जहर घुला उसकी
किसी को भी
कल्पना नहीं थी,
मगर विगत दिनों
हुई कुछ घटनाओं
से कुछ संकेत
तो मिलने लगे
थे कि अगस्त्यमुनि
शहर कभी भी
दंगों की आग
में झुलस सकता
है, लेकिन शासन-प्रशासन
का सूचना तंत्र
इसे सूंघ नहीं
पाया। यह शासन-प्रशासन की सबसे
बड़ी विफलता है,
जिसकी वजह से
न केवल कई
दुकानों में तोड़
फोड़ हुई, बल्कि
कईयों को तो
आग के हवाले
कर दिया गया।
इससे निःसंदेह कई
परिवारों पर न
केवल गम्भीर आर्थिक
संकट भी आ
गया होगा, बल्कि
इन परिवारों में
असुरक्षा की भावना
भी घर कर
गई होगी।
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