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Wednesday, November 25, 2015

प्रख्यात छायाकार थ्रीश कपूर सम्मानित

बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री आवास पर कवि गोष्ठी एवं प्रसिद्ध छायाकार थ्रीश कपूर के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। रचनापाठ के क्रम में गढ़वाली के रचनाकार श्री बलोदी जी ने मामतामयी रचना - ----------------तुम झपन्याळी डाळ्ी हम तेरि चखुली, फुर्र उड़ी जाण बाबा छोड़ी तेरी खुकली------कख बटी अयां बाबा कख छै अटारी, आंखि खोलिन बाबा देखि खुकली तुम्हारी---------- बडुली लागली मांजी आग भबराली, डंडाळि द्यखणु मांजी आंखि टपरालि.... थामी सक्यां बाबा आशा की लागुलि फुर्र उड़ी जाण बाबा छोड़ी तेरी खुकली------------ - प्रस्तुत की।
कवि गोष्ठी में अन्य रचनाकारों डॉली डबराल, हृदयनारायण दीक्षित, डॉ0 दिनेश चमोली] डॉ0 रामविनय] डॉ0 बसन्ती मठपाल] कौशल्य अग्रवाल] राजेश कुमारी] अजीज हसन]\ अशोक सैनी] राजेन्द्र लोढी] के सी सकलानी] ओम खण्डूडी] राजेन्द्र निर्मल] अशोक शर्मा] मुकेश नौटियाल] रोशनी कुकरेती आदि ने कवितापाठ किया। रचनापाठ से पूर्व कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वंदना से हुआ। रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध छायाकार थ्रीश कपूर को माल्यार्पण और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ0 निशंक ने कहा कि थ्रीश कपूर ने सही मायनों में हिमालय की कंदराओं को जिया है। और एक सच्चे कलाकार और साहित्यकार की पहचान होती है कि वह समाज, संस्कृति एवं प्रकृति जीता है। उन्होंने कहा कि रचनाओं में ताकत होती है कि वे वातावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती हैं एवं मनुष्य में संस्कारों को जन्म देती हैं। शब्दों में बड़ी ताकत होती है वे सृजन भी करती हैं और वक्त आने पर क्रांति भी लाती है।
थ्रीश कपूर के आग्रह पर निशंक ने आश्वासन दिया कि आने वाले समय में कौसानी में भी कवि गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि साहित्यिक एवं रचनात्मक गतिविधियों के लिए मेरा आवास रचनाकारों और साहित्यकारों हेतु सदैव खुला है। अब से प्रत्येक माह के तीसरे रविवार को मेरे आवास पर कवि गोष्ठी, सम्मेलन एवं कलात्मक रचनात्मक गतिविधियां नियमित तौर पर संचालित की जाएंगी। इस अवसर पर थ्रीश कपूर ने कहा कि यह दिन उनके लिए गौरव का दिन है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में रचना प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि युवा और बच्चे भी रचनात्मक गतिविधियों से जुड़ें ताकि एक रचनात्मक समाज, प्रदेश और देश का निर्माण किया जा सके। उन्होंने कहा कि कवि गोष्ठी और सम्मेलन की यह श्रृंखला सराहनीय पहल है इससे कला संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक जयसिंह रावत ने कहा कि कैमरे की आंख के पीछे वह आंख होती है, जो कि निर्जीव वस्तुओं को भी जीवंत देखती और दिखाती है। कैमरे के पीछे से प्रख्यात छायाकार थ्रीश कपूर की उन पारखी आखों से आज सारा संसार उत्तराखंड के अप्रतिम नैसर्गिंग सैंदर्य को देख रहा है। आयोजन में मौजूद हिंदुस्तान अखबार के संपादक श्री गुरूरानी ने कहा कि आज के डिजिटल दौर में नियमित तौर पर ऐसी साहित्यिक गतिविधियों का अयोजन मानवीय संवेदनाओं को जीवित रखता है। डॉ0 निशंक के सानिध्य में यह एक सराहनीय पहल है। इस अवसर पर विधायक चन्द्रशेखर भट्टेवाला, विनसर प्रकाशन के निदेशक कीर्ति नवानी, बेचैन कण्डियाल आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन जगदीश बावला ने किया।

विशेष कार्याधिकारी

 पूर्व मुख्यमंत्री डॉनिशंक 

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