महाराजाओं, जमींदारों और बड़े साहिबों का आभामंडल :वीआईपी संस्कृति का समाजशास्त्र: —देवेन्द्र कुमार बुडाकोटी मेरे पड़ोसी कमोडोर (सेनि) रवि नौटियाल जब भी किसी वीआईपी को लाइन तोड़ते, विशेष सुविधाएँ हथियाते या रुतबा दिखाते देखते हैं, खिन्न हो उठते हैं। वे मुझसे कहते हैं, “लिखो इस बीमारी पर।” मैंने सोचा, लिखता हूँ। दरअसल हम सब यही करते हैं—दूसरों के वीआईपी होने पर बिफरते हैं, अपने होने
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