भारत की संसद में एन. एस. ख्रुश्चेव का भाषण (21 नवंबर 1955): माननीय सभापति महोदय! माननीय सांसदगण! सबसे पहले मुझे यह महान सम्मान प्राप्त हुआ है कि मैं भारत गणराज्य की संसद में आपसे संबोधित कर रहा हूँ, इसके लिए मैं अपना हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। हम भारत के प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू के सादर निमंत्रण पर मैत्री की जवाबी यात्रा पर आपके देश आए
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