Search This Blog

Sunday, November 29, 2020

सूर्यधार झील में डूबी त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी 

सूर्यधार झील में गोते खाने लगीं कई अटकलें मुख्य मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के ड्रीम Þ
सूर्यधार झील’’ प्रोजेक्ट का रविवार को भव्य उद्घाटन हो गया। मुख्यमंत्री जी के अपने निर्वाचन क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट का आर्थिक या पर्यटन सम्बन्धी महत्व चाहे जितना भी हो मगर 50.25 करोउ़ के इस प्रोजेक्ट का भारी राजनीतिक महत्व है। इसीलिये इसे उत्तराखण्ड को त्रिवेन्द्र जी की ओर से महानतम् और ऐतिहासिक सौगात के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। पिछले 14 साल से बन रहे डोबरा चंाठी पुल को भी मीडिया ने त्रिवेन्द्र जी को ही समर्पित कर दिया। मगर हैरानी का विषय यह है कि सूर्यधार के भव्य उद्घाटन समारोह से सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज नदारद रहे। जबकि यह उन्हीं के सिंचाई विभाग का प्रोजेक्ट है और महाराज पर्यटन मंत्री होने के नाते भी इस प्रोजेक्ट पर विशेष रुचि दिखा रहे थे और बार-बार प्रोजक्ट साइट पर जा कर कार्य की गुणवत्ता और प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। इस समारोह से विभागीय मंत्री के नदारद रहने से सूर्यधार झील की गहराइयों में कई अटकलें गोते खाने लगी हैं। कुछ बुलबुलों की तरह तैर भी रही हैं। झील से बुलबुले की तरह एक स्वाभाविक अटकल यह भी है कि सतपाल महाराज शुरू से मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे हैं और काफी समय से कुर्सी खाली होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। झील में तैर रही एक अटकल का सम्बन्ध सतपाल महाराज की उस घोषणा से जोड़ा जा रहा है जिसमें उन्होंने सूर्यधार प्रोजेक्ट से सम्बन्धित विवादों की जांच की बात कही थी। सूर्यधार झील की लहरें एक बार फिर उस पत्रकार के मन को अशांत करने लगी हैं जो कि काफी समय से त्रिवेन्द्र जी के पीछे हाथ धो कर पड़ा था। बहरहाल आज के उद्घाटन कार्यक्रम से इतना तो लगभग साफ होने लगा है कि त्रिवेन्द्र सरकार में कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है जहां विभागीय मंत्रियों को कानों कान खबर नहीं हो रही है और मुख्यमंत्री उनके विभाग में बड़े-बडे फैसले कर रहे हैं। सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धान्त भी सूर्यधार की झील में डूब गया है। हरक सिंह के बाद सतपाल महाराज और फिर किसकी बारी आयेगी? इसके लिये नयी अटकलों की जमीन भी तैयार हो गयी है। इधर बात यहां तक पहुंचने लगी है कि क्या त्रिवेन्द्र रावत बिना सतपाल महाराज और हरक सिंह आदि के अकेले ही भाजपा की नय्या 2022 के चुनाव में पार लगाने की सोच कर अभियान में जुट गये हैं।

No comments:

Post a Comment