उत्तराखण्ड के शहीद आश्रितों को भी 15 लाख का झुनझुना मिला
-जयसिंह रावत
केन्द्रीय सशत्र पुलिस बलों में सेवारत् उत्तराखण्ड के शहीद जवानों के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘‘भारत के वीर कोश’’ की 15 लाख की रकम भी भारत के प्रत्येक नागरिक के खाते में विदेशों में जमा काले धन से जमा होने वाले 15-15 लाख की तरह ही हवा-हवा हो गयीे। प्रधानमंत्री ने 2019 के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान उत्तराखण्ड में आयोजित जनसभाओं में सेना एंव अर्धसैनिक बलों के एक-एक शहीद का नाम लेकर उनके आश्रितों की जिम्मेदारी उठाने की घोषणा के साथ ही पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के शहीदों को अलग से ‘‘भारत के वीर कोश’’ से 15-15 लाख रुपये दिलाने की घोषणा की थी जो कि अब तक धरती पर नहीं उतरी।
पुलवामा में 14 फरबरी 2019 को हुये आतंकी हमले में प्रदेश के उधमसिंहनगर जिले की जनजाति बहुल खटीमा तहसील के मोहम्मदपुर भुड़िया गांव के शहीद वीरेन्द्र सिंह राणा की पत्नी श्रीमती रेनू राणा के अनुसार उनके पति की शहादत से द्रवित होकर ध्याड़ी मजदूरों ने तक उनके अनाथ हो चुके परिवार को आर्थिक सहायता भेजी। यहां तक कि अभिनेता अक्षय कुमार की ओर से भी 35 हजार की राशि पहुंची मगर प्रधानमंत्री द्वारा बहुप्रचारित ‘‘भारत के वीर कोश’’ से अब तक उन्हें कोई रकम नहीं मिली। थारू जनजाति के शहीद कांस्टेबल वीरेन्द्र सिंह अपने पीछे विधवा रेनू, 6 साल की पुत्री रूही और 4 साल का बेटा वियान छोड़ गये। रेनू कहती हैं कि मोदी जी के वीर जवान कोश से तो कुछ मिला नही,ं मगर स्थानीय प्रशासन एवं विधायक की ओर से शहीद स्मारक एवं गांव में उनके नाम पर गेट निर्माण के साथ ही गांव की सड़क सुगम यातायात योग्य बनाने के वायदे भी किये गये थे जो कि पूरे नहीं हुये। भरी जवानी में विधवा हो चुकी रेनू अपने और अपने बच्चों के भविष्य के प्रति काफी चिन्ति हैं। यद्यपि रेनू को खटीमा तहसील में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी अवश्य मिल गयी है।
इसी पुलवामा हमले में शहीद हुये सीआरपीएफ के सहायक उप निरीक्षक मोहन लाल रतूड़ी के पुत्र शिव शंकर रतूड़ी को भी उत्तरकाशी कलेक्ट्रेट में क्लर्क की नौकरी तो मिल गयी मगर दो दिन तक बार-बार पूछने पर भी शंकर ‘‘भारत के वीर’’ कोश से मिलने वाले 15 लाख रुपये के बारे में कुछ भी बताने का तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि ‘‘हमको बिना सीआरपीएफ अथारिटी से पूछे कुछ भी बताने को मना कर रखा है।’’ अगर उनको सचमुच यह रकम मिली होती तो इसमें छिपाने वाली तो कोई बात ही नहीं थी। स्वर्गीय माहन लाल अपने पीछे पत्नी सरिता, पुत्र शिव शंकर और श्रीराम तथा बेटियां वैष्णवी तथा गंगा को छोड़ गये हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में देहरादून की चुनावी सभा में मोहन लाल रतूड़ी और वीरेन्द्र के साथ ही सेना के शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट और मेजर विभूति ढौंडियाल का विशेष रूप से नाम लेकर उनको श्रद्धांजलि देने के साथ परिजनों का ध्यान रखने का वायदा किया था।
गौरतलब है कि आठ अर्ध सैनिकबलों में से अकेले केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 1036 जवान और अफसर वर्ष 2000 से लेकर अब तक विभिन्न अभियानों/हमलों में शहीद हो चुके हैं। सबसे अधिक 145 शहादतें वर्ष 2010 में हुयी जिसमें दांतेवाड़ा के 76 जवान भी शामिल हैं। 2017 के बाद से अब तक इस बल के 154 जवान शहीद हुये हैं। इनमें से अधिकांश हमलों में उत्तराखण्ड के जवान शहीद हुये हैं। मोदी सरकार ने 2019 के चुनाव को ध्यान में रखते हुये पुलवामा की शहादतों को भुनाने के लिये ‘‘भारत के वीर कोश’’ का प्रचार इसी घटना के शहीदों के लिये किया था। जबकि यह कोश वर्ष 2018 में बन चुका था जोकि हजारों अर्ध सैनिकों के लिये है जिसमें 250 करोड़ से अधिक की राशि जमा हो चुकी है। इसी कोश से कोरोना वॉरियर शहीद जवानों के लिये भी धन जुटाया जा रहा है, लेकिन कुछ ऐसे भी शहीद हैं जिनके खातों में अभी शून्य रकम जमा हुयी है। इन कोरोना वारियर्स भी उत्तराखण्ड के मदन सिंह (बीएसएफ), ख्ीमसिंह, मनमोहनसिंह (एसएसबी),महिपाल राम (बीएसएफ), बसंत कुमार (बीएसएफ) और मुकेश सिंह (एसएसबी) शामिल हैं इनमें से चार को 2 लाख से कम तथा 2 शहीदों के आश्रितों को 50हजार से कम की राशि मिली है।
जयसिंह रावत
पत्रकार
ई-11,फ्रेंड्स एन्कलेव, शाहनगर
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