ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित गैरसैण में कभी सरकार पहुंचेगी भी या नहीं यह तो वक्त ही बतायेगा, मगर उससे पहले वहां जमीनों के सौदागर अवश्य पहुंच गये हैं। मजेदार बात तो यह है कि जमीनों के सौदे की पहल स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कर दी है। उनके मंत्रिमण्डल के सहयोगी डा0 धनसिंह रावत सहित कई सत्ता और साधन सम्पन्न लोगों ने उनका अनुशरण करना शुरू कर दिया है। जबकि 2012 में विजय बहुगुणा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस क्षेत्र में जमीनों की बिक्री पर इसलिये प्रतिबंध लगाया था ताकि बाहरी लोग ग्रामीणों को प्रलोभन देकर या दबाव बनाकर उनकी भावी पीढ़ियों को भूमिहीन न बना लें। त्रिवेन्द्र सरकार ने यह कार्य बहुत नियोजित ढंग से कर डाला। इससे पहले नारायण दत्त तिवारी और फिर भुवनचन्द्र खण्डूड़ी की सरकारों द्वारा ग्रामीणों की जमीनें भूमाफिया से बचाने के लिये बनाये गये भूकानून में छेद कर पहाडियों की जमीनें बाहरी लोगों के लिये परोसी गयी फिर गैरसैण क्षेत्र में लगे प्रतिबंध को हटा दिया गया।
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