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Sunday, January 19, 2020

नेता पुत्र को जेल जाने से बचा रही है त्रिवेंद्र सरकार 


नेता पुत्र हजम कर गया दलित जनजाति बच्चों के हिस्से के करोड़ों रुपये
-जयसिंह रावत
सत्ता का संरक्षण प्राप्त उत्तराखण्ड के भाजपा नेताओं एवं मंत्रियों के बेटे-बेटियों के आयुर्वेदिक मेडिकल कालेजों की मनमानियां अब तक तो जनाक्रोश का विषय बनी ही हुयी थी, लेकिन राज्य के 500 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में हाइकोर्ट के दबाव के कारण वरिष्ठतम् भाजपा नेता एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र के 3 कालेजों के खिलाफ जालसाजी से अनुसूचित जाति  और जनजाति के छात्रों के हिस्से की छात्रवृत्ति के करोड़ों रुपये हड़पने के मामले दर्ज होने के बाद त्रिवेन्द्र सरकार की जीरो टॉलरेंस एवं स्वच्छ प्रशासन के दावों की पोल एक बार फिर खुल गयी है। राज्य सरकार पिछले एक साल से नेता पुत्र के घोटाले से जानकर भी अनजान बनी हुयी थी। अभी भी एसआइटी ने भाजपा नेता के पुत्र के कालेजों के खिलाफ तो एफआइआर दर्ज की मगर कालेजों के संचालक का नाम उसमें शामिल नहीं किया ताकि नेता पुत्र अपने बचाव में कोई नया तिकड़म कर गिरफ्तारी से बच सके।
बीहाईव कॉलेज ऑफ एडवांस स्टडीज सेलाकुई
राज्य एवं केन्द्र सरकार के मंत्रियों के पुत्र-पुत्रियों के निजी आयुर्वेदिक कालेजों द्वारा हाइकोर्ट के आदेशों के बावजूद शुल्क घटाने और छात्रों से वसूली गयी बढ़ी हुयी फीस लौटाने के विरोध में देहरादून में पिछले डेढ महीने से चला रहा आयुर्वेदिक छात्रों का धरना चल ही रहा था कि इस दौरान उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखण्ड में लगातार 8 बार विधायक तथा दोनों राज्यों में मंत्री और नये राज्य उत्तराखण्ड में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके भाजपा के वरिष्ठतम् विधायक हरवंश कपूर के बेटे अमित कपूर द्वारा संचालित तीन कालेजों, बीहाईव कॉलेज ऑफ एडवांस स्टडीज सेलाकुई, बिहाईव कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और बिहाईव कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के खिलाफ धारा 409, 420, 467, 468 और 471 के तहत एसआइटी ने लगभग 5 करोड़ का गोलमाल करने का मुकदमा दर्ज कर दिया।
भारतीय दंड संहिता की धारा 420 धोखाधड़ी की है जिसमें दोषी पाये जाने पर 5 से 7 साल तक और जुर्माना। इसी तरह  धारा 467 मूल्यवान प्रतिभूति को बनाने या हस्तांतरण की कूटरचना के लिये जिसकी सजा आजीवन या 10 साल कारावास या जुर्माना धारा 468 धोखे के लिए कूटरचना के लिये है जिसकी सजा सात साल एवं आर्थिक दंड। धारा 471 के अनुसार, जो कोई किसी दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख को कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रूप में उपयोग करता है, तो उसे उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा, मानो उसने ही उन दस्तावेजो या इलैक्ट्रानिक अभिलेखों की कूटरचना की है। ये आरोप समाज के दबे कुचले वर्ग के अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों से सम्बंधित होने के कारण मामला और भी गंभीर हो जाता है। सरकार का अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों के नाम पर की गयी इतनी बड़ी धोखाधड़ी और जालसाजी पर मौन रहना और भी गंभीर विषय बन जाता है।
एसआईटी जांच में पाया गया कि छात्रवृत्ति की धनराशि छात्रों के खातों के बजाय सीधे संस्थान को दी गई है, जो नियमानुसार गलत है। जिन छात्रों के खाते बैंक में पाए गए है, उनमें एक ही नंबर दर्ज है। शैक्षणिक सत्र में अलग-अलग संस्थानों में एक ही छात्र का एक दो बार एडमीशन भी पाया गया। थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार बीहाईव कॉलेज ऑफ एडवांस स्टडीज सेलाकुई के खाते में समाज कल्याण विभाग द्वारा मिलीभगत कर एक करोड़ 22 लाख 29 हजार आठ सौ रुपये, बीहाईव कॉलेज आफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी के खाते में लगभग एक करोड़ 17 लाख 72 हजार आठ सौ रुपये तथा बीहाईव कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट के खाते में दो करोड़ 71 लाख 90 हजार सात सौ रुपये ट्रांसफर किये गये। 
एसआइटी ने हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर बीहाइब कालेजों की जांच में पाया कि 2013-14 में अनुसूचित जाति एवं जनजा ि के बी.बी.. के 32 छात्रों का एडमिशन दिखाया गया मगर  विश्वविद्यालय में 24 छात्रों का ही पंजीकरण पाया गया। बीएससी (आइटी) के 34 में से केवल दो छात्रों का ही पंजीकरण मिला। बाकी छात्र फर्जी पाये गये। एम.एस.सी (आइटी) के 15 में से केवल 3 छात्रों का पंजीकरण मिला। 2014-15 में भी बी.बी.. के 39 छात्रों में से 17 का पंजीकरण मिला जिनमें से केवल दो छात्र ही उत्तीर्ण हुये। अगले साल बीएससी के 16 में से केवल 12 का ही पंजीकरण मिला, जिनमें से एक भी छात्र उत्तीर्ण नहीं हुआ। बीहाइब के तीनों कालेजों में इस तरह का फर्जीवाड़ा पाया गया। पूर्व छात्र नेता एवं इस मामले को नैनीताल हाइकोर्ट ले जाने वाले रवीन्द्र जुगराण का कहना है कि अब भी सरकार बड़ी मछलियों को बचा रही है। कांग्रेस के प्रदेशउपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना का कहना है कि स्वयं मुख्यमंत्री एवं उनके परिजनों पर समय-समय पर आरोप लग रहे हैं, इसलिये उनसे निष्पक्ष जांच की आशा कम ही है। इसलिये इसकी जांच सीबीआइ या किसी सेवारत् जज से कराये बिना निष्पक्ष नहीं हो सकती है। वैसे भी इस छात्रवृत्ति में लगभग 90 प्रतिशत सहयोग केन्द्र सरकार का है।
छात्रवृत्ति घोटाले में अमित कपूर अकेले नेता पुत्र नहीं हैं। इससे पहले 7 मार्च 2019 को रुड़की के पूर्व भाजपा विधायक सुरेश चन्द जैन के भतीजे चैरब जैन गिरफ्तार हो चुके हैं। उनके संस्थान फोनिक्स ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स रुड़की द्वारा भी छात्रवृति घोटाला किये जाने का आरोप है। मंगलौर में चल रहे एक अन्य संस्था के संचालक नूरुद्दीन, एक नेता का भाई है, को भी पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। इस मामले में विख्यात शैक्षिक संस्था से संबंधित जाने माने शिक्षाविद् जोगेन्द्र स्वरूप के पुत्र मानवेन्द्र स्वरूप लगभग 40 दिन बाद जमानत पर रिहा हुये थे। इसमें समाज कल्याण विभाग के दो आला अधिकारी गीताराम नौटियाल और अनुराग शंखधर भी सलाखों के पीछे हैं। जानकारों के अनुसार इस घोटाले में और भी बड़ी मछलियां हैं मगर उनकी पहुंच के कारण एसआइटी उन पर हाथ डालने से कतरा रही है। माना जा रहा है कि अगर हरबंश कपूर भाजपा के अंदर विरोधी खेमे में नहीं होते तो शायद एसआइटी जांच की आंच उनके बेटे के कालेजों तक नहीं पहुंचती।
जयसिंह रावत
-11, फ्रेंड्स एन्कलेव,
शाहनगर, डिफेंस कालोनी रोड
देहरादून।
मोबाइल- 9412324999
jaysinghrawat@gmail.com





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