Shrimad
Bhagvad Gita translated into Grahwali titled “ Shri Garh Gita Ji”
Uttarakhand Chief Minister Mr. Trivendra
Singh Rawat released the Garhwali version of ‘Shrimad Bhagvad Gita’ translated
by late Jagdish Prasad Thapliyal titled “ Shri Garh Gita Ji” at his residence
on Thursday. Speaking on the occasion, Chief Minister said that the teachings
of Gita has shown the realistic direction and set the significance of human
life. He said that the knowledge acquired by our saints after deep penance and
study is contained in Vedas. The Gita contains the summary of Vedas and Upnishads
that is why our mystics termed “Bhagvad Gita” as the most useful text for
humans.
Chief Minister Mr. Trivendra Singh
Rawat said that “ Bhagvad Gita” not only gives the message of worldy activities
to the humans but also gives a philosophical approach and gives a message of
selfless service. He said that “Bhagvad Gita” shows the way to get
over the troubles, disappointments and uncertainties of the world. Being one of
the famous books in the world point towards its’ acceptability.
He said that Uttarakhand government has
making effective steps to promote public culture and local languages of the
state. The Chief minister said that Garhwali version of Shrimad Bhagvad Gita
translated by late Jagdish Prasad Thapliyal in poetry and prose in the form of
“ Shri Garh Gita Ji” is a great service of our language.
Speaking on the occasion PadamShri
Leeladhar Jagudi said that late Jagdish Prasad Thapliyal was not only a
teacher but despite being a teacher he tried to spent his life being like a
thoughtful and curious student.
Gita remained his guide in his life and
he did a great favour by resolving to translate the great thoughts of Gita in
his own language. “It is his great favour on us, He said. Leeladhar
Jagudi said that by translating the ‘Shalokas’ of ‘Gita’ in Garhwali
language Late Jagdish Prasad Thapliyal has marked his presence in the society.
Munna Singh Chauhan, Legislator, former Director Rajbhasa Vishwanath
Kailkhuri, Dr. Ram Vinay Singh, senior journalist Jay Singh Rawat, Chander Kala
Thapliyal wife of late Jagdish Prasad Thapliyal and his daughter Jyotsna
Thapliyal and their family members were present on the occasion.
“ Shri Garh Gita Ji” has been published
by Winsar Publishing and financied by Culture department of Uttarakhand
government. The book is edited by Officer on Special Duty, Information
department Malkeshwar Prasad Kailkhuri. Kirti Navani, Director of Winsar
publishing proposed a vote of thanks.
मुख्यमंत्री ने किया श्रीमद् भगवद्गीता के गढवाली में रूपान्तरित पुस्तक ‘श्री गढ़गीता जी’ का लोकार्पण।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास में स्व.जगदीश प्रसाद थपलियाल द्वारा श्रीमद् भगवद्गीता के गढ़वाली में रूपान्तरित पुस्तक ‘‘श्री गढ़गीता जी’’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता के उपदेशों में मनुष्य जीवन की वास्तविक दिशा एवं सार्थकता निर्धारित की गई है। हमारे ऋषियों ने गहन तपस्या व अध्ययन के पश्चात जिस ज्ञान को आत्मसात किया उसे उन्होंने वेदों का नाम दिया। भगवद् गीता में वेदों, उपनिदषदों का सार निहित है, इसीलिये हमारे मनीषियों ने ‘‘भगवद्गीता’’ को मनुष्य मात्र के लिये सबसे उपयोगी ग्रन्थ बताया है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि ‘‘भगवद्गीता’’ मनुष्य को सांसारिक सक्रियता का उपदेश ही नहीं देती बल्कि जीवन के प्रति दार्शनिक दृष्टिकोण व निष्काम कर्म का भी सन्देश देती है। जीवन की उलझनों, हताशा व अनिश्चितताओं से पार पाने में भी भगवद्गीता हमारा मार्गदर्शन करती है। विश्व की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में भगवद्गीता को सम्मिलित होना इस ग्रन्थ की वैश्विक स्वीकार्यता को भी दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा प्रदेश की लोक संस्कृति एवं लोक भाषा को बढ़ावा देने के लिये प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व0जगदीश प्रसाद थपलियाल द्वारा भगवद्गीता का गढ़वाली भाषा में पद्यात्मक व गद्यात्मक दोनों रूपों में ‘‘श्री गढ़गीता जी’’ के रूप में लिपिबद्ध करना वास्तव में हमारी लोकभाषा की भी बडी सेवा है।
इस अवसर पर पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि स्व0 जगदीश प्रसाद थपलियाल महज एक शिक्षक ही नहीं थे, वे गुरू होकर भी जीवन भर जिज्ञासु छात्र जैसा विचारपूर्ण, कर्ममय जीवन बिताने की चेष्टा में संलग्न रहे। गीता ने उनके जीवन में मार्ग दर्शक का कार्य किया और उन्होंने गढ़वाली भाषा पर यह उपकार किया कि उन सूक्तिपरक महान विचारों की प्रस्तुति अपनी लोक बोली में करने की ठानी। यह उनका हम पर उपकार है। उन्होंने कहा कि गढ़वाली भाषा में गीता के श्लोकों का अविकल अनुवाद करके स्व0 जगदीश प्रसाद थपलियाल ने विशेष रूप से समाज के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज की है।
इस अवसर पर विधायक श्री मुन्ना सिंह चौहान, पूर्व राजभाषा निदेशक श्री विश्वनाथ कैलखुरी, डॉ. राम विनय सिंह, वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री जय सिंह रावत, स्व.जगदीश प्रसाद थपलियाल की पत्नी श्रीमती चन्द्रकला थपलियाल व उनकी पुत्री श्रीमती ज्योत्सना थपलियाल के साथ ही उनके परिजन आदि उपस्थित थे।
श्री गढ़गीता जी का प्रकाशन विनसर पब्लिसिंग द्वारा उत्तराखण्ड संस्कृति विभाग द्वारा प्रदत्त आर्थिक सहयोग से किया गया है। पुस्तक का सम्पादन विशेष कार्याधिकारी, सूचना श्री मलकेश्वर प्रसाद कैलखुरी द्वारा किया गया है। विनसर पब्लिसिंग के निदेशक श्री कीर्ति नवानी द्वारा आभार व्यक्त किया गया।
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