भराड़ीसैण में दो दिन के तमाशे से कोई फायदा नहीं
हर साल गैरसैण के निकट भराड़ीसैण में संक्षिप्त विधानसभा सत्र के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। नेता और नौकरशाह सैरसपाटा कर वापस देहरादून लौट जाते हैं। राजधानी के नाम पर कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा जनता को भरमा रही है। कांग्रेस ने भराड़ीसैण में विधानसभा तो बनवा दी मगर उस जगह को स्थाई या अस्थाई राजधानी का नाम देने से ठिठक गयी। भाजपा ने गत चुनाव में वहां ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का वायदा किया था। लेकिन वहां दो सत्र आयोजित हो गये मगर वह अपने वायदे से ही कतरा रही है। भाजपा के नेता भराड़ीसैण में विधानसभा के बाहर कुछ कहते हैं और विधानसभा के अंदर जा कर कुछ और ही सुर में बात करते हैं। विधानसभा के बाहर गाल बजाने का कोई महत्व नहीं है। अगर सचमुच कुछ करना चाहते हो तो विधानसभा के अंदर बोलो। भाराड़ीसैण में हर साल दो दिनी सत्र के आयोजन पर करोड़ों रुपये बरबाद करने से कोई लाभ नहीं है। अगर सरकार इस मामले में सचमुच ईमानदार है तो उसे तत्काल कुछ विभागों के मुख्यालय भराड़ीसैण स्थानांतरित करने चाहिये। देहरादून में आइएएस, आइपीएस और आइएफएस के शीर्ष पदों पर इतने नौकरशाह बिठा रखे हैं कि उनका बोझ विभागों पर भारी पड़ रहा है। फिलहाल वन विभाग का मुख्यालय वहां शिफ्ट किया जा सकता है। जितने भी प्रमुख वन संरक्षक हैं उनके कार्यालय भराड़ीसैण सहित पहाड़ी जिलों में तैनात किये जाने की जरूरत है। भराड़ीसैण में मिनी सचिवालय स्थापित कर वहां एक अपर मुख्य सचिव तैनात किया जा सकता है ताकि कुमाऊं और गढ़वाल के लोगों की समस्याएं वहीं हल हो जांय। अपर पुलिस महानिदेशक का एक पद भी भराड़ीसैण में फिलहाल होना चाहिये ताकि वह कुमाऊं की कानून व्यवस्था पर सीधे नजर रख सके। कृषि, बागवानी, ग्रामीण विकास आदि विभागों के मुखिया भी भराड़ीसैण भेजे जाने चाहिये। अगर सरकार वहां सरकारी कामकाज शुरू नहीं करती है तो वहां हर साल विधानसभा सत्र का ढकोसला करने से कोई लाभ नहीं है।
----जयसिंह रावत
09412324999
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