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Thursday, November 17, 2016

Dehradun away and Gairsain nearer to Uttarakhandis

उत्तराखण्डियों के लिये देहरादून दूर और गैरसैण पास है
-जयसिंह रावत
देहरादून। पूरे 8 साल का वक्त जाया करने और लगभग 2 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी के चयन हेतु गठित दीक्षित आयोग की राय भले ही गैरसैण के बारे बेहद प्रतिकूल रही हो मगर इस हिमालयी राज्य की भागोलिक सच्चाई यह है कि प्रदेश के 13 में से 12 जिलों के मुख्यालय देहरादून से काफी दूर और गैरसैण से काफी करीब हैं। इन जिलों की देहरादून से अधिकतम् दूरी 500 किमी से अधिक तथा गैरसैंण से 300 किमी से कम होने के कारण गैरसैण अगर राजधानी बनती है तो यह स्थान सभी जिलों के सबसे कम दूरी का होगा।
उत्तराखण्ड राज्य के गठन के बाद राजसत्ता लखनऊ से देहरादून तो अवश्य गयी मगर अब भी इस पहाड़ी राज्य के आम नागरिकों के लिये सत्ता का यह केन्द्र दूर की कौड़ी बना हुआ है। हरिद्वार के अलावा बाकी सारे जिला मुख्यालय देहरादून से काफी दूरी बनाये हुये हैं। जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ तो देहरादून से 578 किमी की दूरी पर है। इसी तरह चम्पावत भी देहरादून से 503 किमी, बागेश्वर 482 किमी और अल्मोड़ा 409 किमी की दूरी पर है। जबकि देहरादून समेत प्रदेश का एक भी जिला मुख्यालय ऐसा नहीं जो कि गैरसैण से 300 किमी से अधिक दूरी पर हो।
नित्यानन्द स्वामी के नेतृत्व में बनी प्रदेश की पहली सरकार द्वारा प्रदेश की स्थाई राजधानी के चयन हेतु गठित दीक्षित आयोग ने 8 साल की लेटलतीफी के बाद जो रिपोर्ट  17 अगस्त 2008 कोतत्कालीन खण्डूड़ी सरकार को सौंपी थी उसमें गैरसैण को सीधे-सीधे ही रिजेक्ट कर दिया गया था। मात्र 6 माह के लिये गठित इस आयोग ने इस मामले का 8 सालों तक लटकाये रखा और इस लेटलतीफी के लिये उसे एक के बाद एक कुल 11 विस्तार दिये गये। यह रिपोर्ट जब 13 जुलाइ 2009 को विधानसभा के पटल रखी गयी तो वह 2 करोड़ के व्यय से तैयार रद्दी का पुलिन्दा निकली। दीक्षित आयोग ने गैरसैण के साथ ही रामनगर तथा आइडीपीएल ऋषिकेश को द्वितीय चरण के अध्ययन के दौरान ही विचारण से बाहर कर दिया था और उसके बाद आयोग का ध्यान केवल देहरादून और काशीपुर पर केन्द्रित हो गया था। हालांकि दीक्षित आयोग ने गैरसैण के विपक्ष में और देहरादून के समर्थन में जो तर्क दिये थे वे कुतर्क ही थे। जैसे कि उसने गैरसैण का भूकंपीय जोन में और देहरादून को सुरक्षित जोन में बताने के साथ ही गैरसैंण में पेयजल का संभावित संकट बताया था। आयोग का यह अवैज्ञानिक तर्क किसी के गले नहीं उतरा था। आयोग ने मानकों की वरीयता के आधार पर गैरसैंण को केवल 5 नम्बर और देहरादून को 18 नंबर दिये थे। यही नहीं आयोग ने देहरादून के नथुवावाला-बालावाला स्थल के पक्ष में 21 तथ्य और विपक्ष में केवल दो तथ्य बताये थे, जबकि गैरसैण के पक्ष में 4 और विपक्ष में 17 तथ्य गिनाये गये थे। फिर भी आयोग ने जनमत को गैरसैण के पक्ष में और देहरादून के विपक्ष में बताया था। जम्मू-कश्मीर से लेकर उत्तर पूर्व के मणिपुर नागालैंड तक सभी हिमालयी राज्यों की राजधानियां जब उनके केन्द्रीय स्थानों पर हैं तो केवल इस पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ से दूर रखे जाने का का औचित्य आम उत्तराखण्डी की समझ में नहीं रहा है।



गैरसैण करीब और देहरादून दूर
प्रदेश के 13 जिला मुख्यालयों से गैरसैण और देहरादून की दूरी इस प्रकार हैः-
जिला           गैरसैण           देहरादून
उत्तरकाशी       266 किमी        208 किमी
पौड़ी           150 किमी         182 किमी
नयी टिहरी      202 किमी         115 किमी
रुद्रप्रयाग        46 किमी          186 किमी
चमोली, गोपेश्वर  95 किमी          259 किमी
हरिद्वार          255 किमी          55 किमी
पिथौरागढ़       280 किमी          578 किमी
चम्पावत        261 किमी           503 किमी
बागेश्वर        156 किमी           482 किमी
अल्मोड़ा       135  किमी           409 किमी
नैनीताल       155  किमी           357 किमी
उधमसिंह नगर        213           270 किमी
गैरसैण  से देहरादून    272




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