वरिष्ठ पत्रकार सुनील छंइयां नहीं रहे।
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बड़े दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि हमारे प्रिय मित्र, वरिष्ठ पत्रकार सुनील छइयां का आज प्रातः मेरठ के एक अस्पताल में निधन हो गया है। वह जनवरी से अस्पताल में भर्ती थे।मुझे अभी-अभी उनके पुत्र डा0 सुशान्त भटनागर ने यह दुखद समाचार दिया है। ब्रेन हैमरेज के बाद दिल्ली के दो अस्पतालों में उनके दिमाग के दो आपरेशन हुये थे। आपरेशनों के बाद वह बिस्तर पर तो थे मगर होशोहवास में थे और मेरठ में ही सुभारती के परिसर में अपने पुत्र डा0 सुशान्त के साथ रह रहे थे।
सुनील छंइयां उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के जानेमाने पत्रकारों में से एक थे। वह अमर उजाला अैर दैनिक जागरण जैसे लोकप्रिय अखबारों में ब्यूरो चीफ जैसे पदों पर रहे। उन्होंने आगरा के डीएनए अखबार का भी संपादन किया। वह मेरठ से प्रकाशित दैनिक प्रभात अखबार के समूह सम्पादक भी रहे। उसी दौरान काम के बोझ के चलते एक रात उनका ब्रेन हैमरेज हो गया। उसके इस झटके से तो वह बच गये मगर फिर कभी बिस्तर से नहीं उठ सके। वह एक कवि और अच्छे कलाकार भी थे। खेद का विषय तो यही है कि इस पेशे में सुनील जैसे समर्पित पत्रकार जीवन की दुश्वारियों से लड़ते-लड़ते इस तरह दम तोड़ रहे हैं और दलाल किस्म के लोग पत्रकारिता की आड़ में रातोंरात मालोमाल हो रहे हैं। समाज और व्यवस्था से भी ऐसे दलालों और ब्लैकमेलरों को सम्मान मिल रहा है। सुनील मेरे अभिन्न मित्रों में से एक थे। मेरे घर उनका आनाजाना लगा रहता था। मुझे उनके निधन से गहरा आघात पहुंचा है।
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