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Wednesday, December 28, 2011

SNOW DURING UTTARAKHAND POLLS

हिमपात की आ”ांका से कांपने लगे राजनीतिक दल
-जयसिंह रावत-
उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव के दौरान भारी हिमपात की आ”ांका से राजनीतिक दल और खासकर सत्ताधारी भाजपा के नेता अभी से कांपने लग गये हैं। इन नेताओं को हिमपात के कारण बहुत कम मतदान का अंदे”ाा है। उस दौरान प्रदे”ा के 7 हजार से अधिक गांव वर्फ की चाद ओढ़ सकते हैं।ं
मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी और राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा 30 जनवरी के लिये घो’िात मतदान की तिथि को आगे बढ़ाने की मांग को निर्वाचन आयोग द्वारा खारिज किये जाने के बाद अब चुनाव तैयारियों में जुटे प्रत्या”िायों और उनके दलों के अभियान संचालकों की कंपकपी छूटने लगी है। आयोग की घो’ाणा से हतप्रभ मुख्यमंत्री खण्डूड़ी स्वीकार कर चुके हैं कि अगर मतदान के दौरान हिमपात हुआ तो मतदान का प्रति”ात काफी गिर सकता है, जो कि भाजपा के लिये ठीक नहीं है। भाजपा के प्रदे”ा अध्यक्ष वि”ानसिंह चुफाल सहित कई नेता 30 जनवरी की तिथि को घोर असुविधाजनक बता कर उसका विरोध कर चुके हैं। जबकि कांग्रेस अपना डर छिपा कर भाजपा के सार्वजनिक हो चुके भय को यह प्रचारित कर कै”ा करने में जुट गयी है कि भाजपा चुनाव से पहले ही डर गयी है और उसके नेताओं का मनोबल गिर गया है। चर्चा तो यह भी है कि जिस तरह उत्तराखण्ड में मतदाताओं को रिझााने के लिये जिस तरह कैबिनेट की ताबड़तोड़ बैठकें हो रही थी और उनमें बेतहासा घो’ाणाऐं हो रही थी उसे देख कर ही आयोग को जनवरी में ही चुनाव कराने का फैसला लेना पड़ा ताकि उतावली में की गयी घो’ाणाओं का असर न हो सके। कहा तो यहां तक जा रहा है कि भाजपा इसीलिये परे”ाान है। भाजपा यह मान कर चल रही थी कि पूर्व की ही भांति चुनाव फरबरी अन्त में होंगे।
हालांकि निर्वाचन विभाग द्वारा द्वारा सम्भावित हिमाच्छादित क्षेत्रों की जानकारी जुटाई जा रही है ताकि उसी हिसाब से पोलिंग पार्टियों को भेजने की व्यवस्था की जा सके। लेकिन जानकारों का कहना है कि अगर मतदान के दिन 30 जनवरी को मौसम साफ रहता है तो भी लगभग 7 से लेकर आठ हजार फुट की उंचाई तक बसे गांव हिमाच्छादित रह सकते हैं जहां पोलिंग पार्टियों को पहुंचाना भी काफी चुनौती पूर्ण होगा। जानकारी के अनुसार अकेले उत्तरका”ाी जिले के विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे 54 मतदान केन्द्र हैं जहां उस दौरान वर्फ रह सकती है। जानकारी के अनुसार पुरौला के 28 मतदान केन्द्र बर्फबारी वाले चिन्हित किये गये हैं। इन केन्द्रों तक पहुंचने के लिये पोलिंग पार्टियों को 25 कि.मी तक पैदल वर्फ में चलना पड़ सकता है। सन् 2002 के विधानसभा चुनाव के दौरान इसी क्षेत्र में 2 मतदानकर्मियों की वर्फ में फिसल कर मौत हो गयी थी। इनके अलावा गंगोत्री और यमुनोत्री क्षेत्रों में 13-13 केन्द्रों के हिमाच्छादित रहने की आ”ांका है। गंगोत्री के हरसिल क्षेत्र में 4 मतदान केन्द्र ऐसे हैं जहां हिमपात होने पर पोलिंग पार्टियों को 45 किमी तक पैदल चलना पड़ सकता है।
समुद्रतल से 6 हजार फुट से लेकर 10 हजार फुट तक की उंचाई पर बसी हुयी लगभग 7741 बस्तियां उस दौरान हिमाच्छादित रह सकती है। सामान्यतः सर्दी के मौसम में अक्सर 4 हजार फुट की उंचाई तक हिमपात हो जाता है मगर 6 हजार फुट से नीचे वर्फ टिकती नहीं हैं। चमोली जिले के 3 विधानसभा क्षेत्रों में कम से कम 6 पोलिंग पार्टियों को 5 दिन पहले ही दुर्गम क्षेत्रों के लिये रवाना किया जाता है।इनमें बहतरा सबसे दूर है जहां पहुंचने के लिये 45 किमी पैदल चलना पड़ता है। बहतरा के बाद हिमनी सबसे दुर्गम मतदान केन्द्र है। चमोली में घेस, बलाण, हिमनी, ग्वाण,सुतोल, रामणी, कनेाल, पाना, भयूंडार और डुमक जैसे 20 केन्द्रों के हिमाच्ज्ञदित रहने की सम्भावना है। पौड़ी जिले में सबसे दुर्गम बसानी केन्द्र हैं। वहां पहुंचने के लिये 15 किमी पैदल चलना होता है। टीला केन्द्र पाड़ी का सबसे उंचाई वाला मतदान केन्द्र है। रूद्रप्रयाग जिले में गौंडार, मदमहे”वर, चैमासी, चिलौंड एवं त्रिजुगीनारयण सबसे दुर्गम क्षेत्र हैं।
कुमायूं मण्डल में नैनीताल एवं भीमताल विधानसभा क्षेत्र के नैनीताल, खुर्पाताल, भवाली क्षेत्र मौसम के लिहाज से संवेदनशील हैं। भीमताल विधानसभा क्षेत्र के धारी, मुक्ते”वर एवं रामगढ़ क्षेत्र, अल्मोड़ा विधान सभा क्षेत्र के खूंट, धामस, पनुवानौला क्षेत्र, जागेवर विधानसभा क्षेत्र की लमगड़ा कानूनगो सर्किल, सोमे”वर की रानीखेत कानूनगो सर्किल, शीतलाखेत पटवारी सर्किल क्षेत्र, रानीखेत विधानसभा क्षेत्र की रानीखेत तहसील, रानीखेत सदर एवं रानीखेत कैंट, लोहाघाट का पाटी और बाराकोट, चम्पावत विधानसभा का तहसील क्षेत्र, द्वाराहाट का पूर्णागिरी क्षेत्र, कपकोट के कांडा तथा कपकोट तहसील क्षेत्र, बागे”वर विधानसभा क्षेत्र के गरुड़ तहसील का ऊपरी क्षेत्र संवेदनशील है। धारचूला विधानसभा क्षेत्र के मुनस्यारी धारचूला तहसील, डीडीहाट के सात सिलिंग सर्किल, पिथौरागढ़ के गुरना कानूनगो सर्किल, गंगोलीहाट के बेरीनाग तहसील मौसम के लिहाज से संवेदनशील है। धारचूला विधानसभा क्षेत्र के कई पोलिंग बूथों पर 2007 के चुनाव में पार्टियां हैलीकाप्टर से भेजी गई थी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी के अनुसार इस बार भी मौसम के मिजाज के हर पहलू पर विचार कर हैलीकाप्टर आदि की व्यवस्थाऐं की जा रही हैंं।
उत्तराखण्ड विधानसभा के चुनाव के मतदान की तिथि 30 जनवरी को लेकर सत्ताधारी भाजपा सहित राजनीतिक दल घबरा तो रहे हैं मगर मौसम विज्ञानी उन दिनों हिमपात के बजाय चटक धूप की भवि’यवाणी कर रहे हैं। उस दौरान 7 हजार से अधिक गावों में हिमपात की सम्भावना रहती है।राज्य मौसम केंद्र के निदेशक आनंद शर्मा का कहना है कि सन् 1970 से 2010 तक के आंकड़ों के अध्ययन से नहीं लगता कि मतदान के दिन 30 जनवरी को वर्षा होगी या हिमपात होगा। “ार्मा कहते हैं कि यद्यपि वर्षा का पूर्वानुमान पश्चिमी विक्षोभ पर निर्भर करेगा। पश्चिमी विक्षोभ होने पर मैदानी क्षेत्रों में 10 प्रति”ात और पर्वतीय इलाकों में 25 से 30 प्रति”ात तक ही वर्षा की संभावना रहेगी। “ार्मा के अनुसार मतदान के दिन मौसम की बेरुखी और वाधा डालने की आ”ांका काफी कम है।

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