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Thursday, May 6, 2021

वक़्त से दिन और रात, वक़्त से कल और आज, वक़्त की हर शह ग़ुलाम, वक़्त का हर शह पे राज. आदमी को चाहिये वक़्त से डर कर रहे, कौन जाने किस घड़ी वक़्त का बदले मिजाज़

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