15 जनवरी, 2019 से प्रयागराज में कुम्भ
कुम्भ भारत की महान परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है
प्रयागराज कुम्भ-2019 का नया ‘लोगो’ भी लॉन्च किया गया
कुम्भ भारत की
महान परम्परा का
प्रतिनिधित्व करता है।
15 जनवरी, 2019 से प्रयागराज
में प्रारम्भ हो
रहे कुम्भ के
माध्यम से सर्वसाधारण
को अपने अतीत
के साथ एक
बार फिर जुड़ने
का अवसर प्राप्त
होगा। देश के
अन्दर चार स्थानों
पर यह पवित्र
आयोजन सम्पन्न होता
है जिसमें प्रयागराज
का कुम्भ अपने
आप में देश
और दुनिया के
लिए अलग ही
कौतूहल एवं आकर्षण
का विषय बनता
है।
प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी
जी के प्रयास
से यूनेस्को द्वारा
कुम्भ की महत्ता
को देखते हुए
इसे ‘मानवता की
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ की सूची
में सम्मिलित किया
गया है। कुम्भ
का शुभारम्भ गंगा
जी की पूजा
से होता है।
प्रधानमंत्री द्वारा 16 दिसंबर, 2018 को
प्रयागराज में गंगाजी
के पूजन से
कुम्भ का शुभारम्भ
किया गया है।
प्रयाग कुम्भ-2019 के सफल
आयोजन के लिए
उत्तर प्रदेश सरकार
द्वारा व्यापक प्रबन्ध किये
जा रहे हैं।
राज्य सरकार का
प्रयास है कि
कुम्भ में आने
वाले सभी तीर्थ
यात्रियों को श्रद्धा
और भक्ति से
आप्लावित माहौल प्राप्त हो।
इस कुम्भ में
5 हजार से ज्यादा
प्रवासी भारतीय भी आएंगे।
सम्पूर्ण विश्व में मानवता
के इस विशालतम
समागम में भारत
के 6 लाख से
अधिक गावों के
लोगों सहित विश्व
से आने वाले
श्रद्धालु भी इसमें
प्रतिभाग करेंगे।
सरकार के प्रयासों
एवं भारत सरकार
के रक्षा मंत्रालय
के सहयोग से
साढ़े चार सौ
वर्षों में प्रथम
बार कुम्भ में
आने वाले श्रद्धालुओं
को ‘अक्षय वट’ और ‘सरस्वती कूप’ के दर्शन
का अवसर सुलभ
होगा। कुम्भ का
आयोजन त्रिवेणी संगम
पर होता है
किन्तु इसका सम्बन्ध
सम्पूर्ण प्रयागराज क्षेत्र से
है। इसके दृष्टिगत
राज्य सरकार द्वारा
कुम्भ से प्रत्यक्ष
एवं अप्रत्यक्ष रूप
से सम्बन्धित सभी
स्थलों का सौन्दर्यीकरण
कराया गया है।
कुम्भ में श्रद्धालुओं
एवं पर्यटकों की
सुविधा के लिए
जल, थल और
नभ से आने
की पहली बार
व्यवस्था की गयी
है।
इस आयोजन की प्रकृति
के अनुरूप प्रयागराज
कुम्भ-2019 का नया
‘लोगो’ भी लॉन्च
किया जा चुका
है। राज्य सरकार
द्वारा इस कुम्भ
में श्रद्धालुओं और
पर्यटकों को बेहतर
सुविधा तथा इस
आयोजन में उनके
सुखद अनुभव को
विशेष प्राथमिकता दी
गयी है। कुम्भ
के आयोजन को
भारत की सनातन
और समावेशी संस्कृति
का प्रतिनिधि आयोजन
बनाने की परिकल्पना
प्रयागराज में साकार
की जा रही
है। कुम्भ के
माध्यम से भारतीय
संस्कृति के उन्नत
जीवन, आचार और
विचार से दुनिया
को परिचित कराने
का प्रयास इस
आयोजन का लक्ष्य
है।
प्रयागराज
में हर छः
वर्ष बाद कुम्भ
का आयोजन होता
है और हर
वर्ष माघ मेला
लगता है। विकास
की प्रक्रिया यहां
निरन्तर चलती रहे,
इसके लिए राज्य
सरकार द्वारा प्रयागराज
मेला प्राधिकरण का
गठन किया गया
है। कुम्भ कार्यों
में 671 जनकल्याणकारी परियोजनाओं पर डेढ़
वर्ष में काम
पूरा कराया गया
है, जिनमें अधिकांश
परियोजनायें स्थायी विकास कार्यों
से जुड़ी हैं।
राज्य सरकार द्वारा स्थायी
विकास की विभिन्न
परियोजनाओं के साथ
कुम्भ मेला 2019 हेतु
2800 करोड़ रुपये प्राविधानित किये
गये। इसके अलावा
अन्य बजट से
कुल मिलाकर 4300 करोड़
रुपये से कुम्भ
मेला और प्रयागराज
में स्थायी विकास
के कार्य कराये
जा रहे हैं।
इससे कुम्भ के
दौरान आने वाले
श्रद्धालुओं को काफी
सुविधा होगी। कुम्भ 2013 में
मात्र 1214 करोड़ रुपये
व्यय किये गये
थे। इन परियोजनाओं
से प्रयागराज में
मूलभूत अवसंरचना सुविधाओं जैसे
सड़क, सेतुओं का
निर्माण, पेयजल, विद्युत सुधार,
पर्यटन विकास आदि के
कार्य किये गये
हैं।
कुम्भ में आने
वाले पर्यटकों और
श्रद्धालुओं की सुविधा
के लिए राज्य
सरकार द्वारा 9 फ्लाईओवर
विगत मात्र डेढ़
वर्ष में बनाकर
प्रयागराज को आधुनिक
एवं सुगम यातायात
की सुविधा दी
गई है। प्रयागराज
नगर क्षेत्र में
मा0 उच्च न्यायालय
के सामने एक
ही पिलर पर
4-लेन चौड़ाई में
1325 मीटर लम्बे फ्लाईओवर का
निर्माण कार्य 14 माह की
अल्प अवधि में
पूर्ण कर सेतु
निगम द्वारा उत्तर
प्रदेश में एक
कीर्तिमान स्थापित किया गया
है। इसी प्रकार
रामबाग में 16.00 मीटर की
ऊंचाई पर 1.0 किमी.
की लम्बाई में
आर0ओ0बी0
का निर्माण एक
वर्ष में पूरा
कर कीर्तिमान स्थापित
किया गया है।
नगर के सघन
आबादी क्षेत्रों में
6 डॉट के पुल
(रेलवे अण्डरपास) केवल एक
वर्ष के भीतर
4-लेन तक चौड़े
कर दिये गये,
जिससे प्रयागराज के
आम नागरिकों का
नगरीय यातायात सुगम
हो गया है।
कुम्भ के सुचारु
संचालन के दृष्टिगत
प्रयागराज में प्रथम
बार 64 से अधिक
यातायात चौराहों तथा मेले
को जोड़ने वाली
264 सड़कों का वृहद
स्तर पर चौड़ीकरण
एवं सुदृढ़ीकरण पिछले
डेढ़ वर्षों में
किया है। कुम्भ
के दृष्टिगत प्रयागराज
नगर के चिकित्सालयों
में आधुनिक चिकित्सा
उपकरणों की उपलब्धता
बढ़ायी गयी है
तथा चिकित्सा सुविधाओं
का विकास कर
नये संयंत्रों की
स्थापना की गयी
है।
राज्य सरकार द्वारा इस
वृहद आयोजन के
स्थायी निर्माण कार्यों में
शुचिता और पारदर्शिता
का व्यापक एवं
अभूतपूर्व प्रबन्ध कर सभी
प्रमुख कार्यों की थर्ड
पार्टी मॉनीटरिंग से कार्य
की गुणवत्ता एवं
समयबद्धता पर दृष्टि
रखी गयी। समस्त
परियोजनाओं में प्रगति
की मॉनिटरिंग ऑनलाइन
करते रहने की
व्यवस्था बनायी गयी थी,
जिससे सभी नये
स्थायी कार्य समय से
तथा गुणवत्ता के
साथ पूरे हो
सकें।
15 जनवरी,
2019 से प्रयागराज में शुरू
हो रहा यह
कुम्भ अब तक
का सबसे अनूठा
कुम्भ होगा। पूरी
दुनिया इसमें हिस्सेदारी
कर रही है।
लगभग 71 देशों के
राजदूत इसकी तैयारी
देख चुके हैं।
अपने-अपने देशों
के राष्ट्रध्वज उन्होंने त्रिवेणी तट
पर कुम्भ मेले
में लगाये हैं।
जनवरी में प्रवासी
भारतीय दिवस का
सम्मेलन वाराणसी में है।
फरवरी में 192 देशों के
प्रतिनिधि इस कुम्भ
में आयेंगे।
विशाल मेला क्षेत्र
में एक नये
नगर की स्थापना
की जा रही
है, जिसमें 250 किलोमीटर
सड़कें तथा 22 पाण्टून
पुल होंगे। यह
विश्व का सबसे
बड़ा अस्थायी नगर
होगा। बड़ी संख्या
में श्रद्धालुओं के
आगमन के दृष्टिगत
प्रयागराज में ऊर्जा
विद्युत अवस्थापनाओं को सुदृढ़
करते हुए विद्युत
उपलब्धता को और
कारगर बनाया गया
है। प्रथम बार
मेला क्षेत्र में
40,000 से अधिक एल0ई0डी0
लाइट लगाकर मेला
क्षेत्र को दूधिया
रोशनी से जगमग
किया जा रहा
है।
देश के हर
सांस्कृतिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व
इस कुम्भ मेले
में देखने को
मिलेगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम, खान-पान, उत्सव
के साथ-साथ
इस देश की
प्राचीनतम सांस्कृतिक धरोहर पर
आधारित आयोजन भी यहां
कुम्भ में देखने
को मिलेंगे। केन्द्र
सरकार ने प्रयागराज
में नया हवाई
सिविल टर्मिनल निर्मिंत
कर प्रमुख हवाई
उड़ानों की संख्या
में ऐतिहासिक वृद्धि
सुनिश्चित की है।
प्रयागराज को देश
के कई प्रमुख
महानगरों यथा बैंगलुरू,
इन्दौर, नागपुर, पटना आदि
नगरों से हवाई
मार्ग से जोड़ने
में सफलता प्राप्त
की गयी है।
यहां पर हेलीपोर्ट
भी स्थापित हो
रहा है। पर्यटकों
के लिए हेलीकॉप्टर
ज्वॉय राइड की
व्यवस्था भी की
जा रही है।
राज्य सरकार द्वारा
कुम्भ में आने
वाले हर वर्ग
के यात्रियों और
पर्यटकों की सुविधा
के अनुरूप आधुनिक
एवं सुलभ व्यवस्थायें-जिसमें आवास, भोजन,
टूर, तीर्थस्नान आदि
की सुविधायें विकसित
की गयी हैं।
पर्यटकों को उच्च
स्तरीय सुविधा देने के
लिए प्रीमियम टेण्ट
सिटी भी कुम्भ
मेले मंे बसाया
जा रहा है।
कुम्भ में देश
के हर सांस्कृतिक
क्षेत्र का प्रतिनिधित्व
सुनिश्चित करने के
लिए 30 थीमेटिक गेट, 200 से
अधिक उच्चस्तरीय सांस्कृतिक
कार्यक्रम, सांस्कृतिक विषयों पर
लेजर शो, फूड
कोर्ट, वेणिं्डग जोन, प्रदर्शनियों
और टूरिस्ट वॉक
का आयोजन किया
जा जाएगा। प्रमुख
स्थलों की फसाड
लाइटिंग भी की
जा रही है।
भारतीय संस्कृति का परिचय
देने के लिये
कला ग्राम और
संस्कृति ग्राम बसाये जा
रहे हैं। पहली
बार इस पूरे
कुम्भ को इण्टीग्रेटेड
कण्ट्रोल एवं कमाण्ड
सेण्टर सी0सी0टी0वी0
कैमरों की निगरानी
में रखा गया
है। स्मार्ट सिटी
परियोजनाओं में प्रयागराज
की स्मार्ट सिटी
परियोजना का इण्ट्रीग्रेटेड
कण्ट्रोल एवं कमाण्ड
सेण्टर प्रयागराज को समर्पित
हुआ है। इस
सिस्टम से प्रयागराज
नगर के साथ-साथ कुम्भ
नगर के यातायात
और मेले में
आने वाली भीड़
को भी नियंत्रित
और सुरक्षित रखा
जा सकेगा। इससे
यहाँ की कानून
व्यवस्था को नियंत्रित
करने में बड़ी
मदद मिलेगी। सी0सी0टी0वी0 कैमरों
की निगरानी में
केवल सुरक्षा ही
नहीं, शहर की
सफाई व्यवस्था पर
भी नजर रहेगी।
प्रयागराज में लगभग
247 करोड़ रुपये की योजना
के दो कण्ट्रोल
एवं कमाण्ड सेण्टर
होंगे, जिसमें लगभग 116 करोड़
रुपये की लागत
से तैयार एक
कण्ट्रोल एवं कमाण्ड
सेन्टर तैयार कर कार्यरत
कर लिया गया
है। जो केवल
5 महीनों में तैयार
हो गया है।
स्मार्ट
सिटी कार्यक्रम के
अन्तर्गत इण्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कण्ट्रोल
सेण्टर अभूतपूर्व कम समय
अविध में निर्मित
एवं संचालित कर
कुम्भ मेले हेतु
1400 से अधिक सीसीटीवी
कैमरों के द्वारा
यातायात नियंत्रण, सुरक्षा तथा
वीडियो एनेलेटिक्स का कार्य
किया जा रहा
है। इस कुम्भ
का आयोजन बहुआयामी
है। यह स्वच्छता
का संदेशवाहक ‘स्वच्छ
कुम्भ’ है। इसी
तरह कुम्भ 2019 को
‘सांस्कृतिक कुम्भ’, ‘सुरक्षित कुम्भ’, ‘डिजिटल कुम्भ’ आदि की
अवधारणा से जोड़ा
गया है।प्रयागराज कुम्भ
2019 में स्वच्छता को विशेष
महत्व दिया जा
रहा है। पिछले
कुम्भ तक शौचालय
की व्यवस्था कम
होने से लोग
खुले में शौच
के लिए मजबूर
थे। इस बार
कुम्भ में 01 लाख
22 हजार शौचालय बनाकर और
पिछले कुम्भ के
मुकाबले दोगुना से अधिक
सफाई कर्मचारी तैनातकर
इस कुम्भ और
प्रयागराज से स्वच्छता
का संदेश पूरे
देश में जायेगा।
पिछले कुम्भ 2013 में
मात्र 34,000 शौचालय बनाये गये
थे।अत्याधुनिक तकनीक से कचरा
डस्टबिन से उठाकर
भूमि पर बिना
गिराये उसे टाटा
एस गाड़ियों से
कॉम्पैक्टर में एकत्र
करने तथा मेले
के बाहर ले
जाने और उसे
जमीन पर बिखरने
से रोककर उसका
निस्तारण करने का
फूलप्रूफ इंतजाम इस बार
किया गया है।
प्रथम बार 20,000 डस्टबिन,
ठोस कचरा प्रबन्धन
हेतु 140 टिपर, 40 कॉम्पैक्टर इस
हेतु तैनात किये
गये है।
प्रयागराज
में गंगा का
तट, त्रिवेणी का
तट साफ रहे,
गंगा जी का
जल निर्मल रहे,
इसके लिये हर
स्थान पर अभियान
चल रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन
और नमामि गंगे
के अभियान प्रयागराज
में सफलता से
चल रहे हैं।
प्रयागराज में अबतक
गंगा में गिरने
वाले 32 नाले टेप
कराये जा चुके
हैं। गंगा में
प्रदूषण नियंत्रण करने के
उद्देश्य से ‘नमामि
गंगे’ कार्यक्रम के अन्तर्गत
प्रयागराज में चार
योजनायें चल रही
हैं, जिनमें दो
योजनायें पूर्ण की जा
चुकी हैं तथा
शेष दो में
भी 90 प्रतिशत तक
का कार्य पूरा
हो चुका है।
‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के अन्तर्गत
दो महत्वपूर्ण योजनाओं
का शिलान्यास किया
जा रहा है,
जिनसे गंगा में
गिरने वाले सभी
नाले टेप कर
शोधित किये जायेंगे।
राज्य सरकार द्वारा ‘नमामि
गंगे’ कार्यक्रम के अन्तर्गत
03 सीवरेज ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट तथा
उनसे सम्बन्धित पमिं्पग
सिस्टम का निर्माण
एवं 07 एस0टी0पी0 तथा
10 पमिं्पग स्टेशन का उन्नयन
कर उनके आगामी
पन्द्रह वर्ष तक
रख-रखाव की
व्यवस्था का शिलान्यास
1671 करोड़ रुपये लागत से
‘नमामि गंगे’ परियोजना के अन्तर्गत
किया जा चुका
है। 177 किलोमीटर सीवर लाइन
बिछाकर सीवर कनेक्शन
एवं पमिं्पग स्टेशन
की स्थापना का
कार्य प्रयागराज में
किया गया है।
नदियों को निर्मल
और अविरल रखने
की योजना को
साकार किया गया
है। प्रयागराज में
नदियों में किसी
भी तरह का
गंदा नाला या
अपशिष्ट न गिरे,
इसके लिए बायो
रेमिडेशन तकनीक से जल
को शोधित करने
की व्यवस्था की
गयी है। मेला
क्षेत्र में 10 घाटों के
विकास एवं रिवर
फ्रण्ट संरक्षण का कार्य
प्रथम बार किया
गया है।
जल-थल-नभ
तीनों मार्गों से
प्रयागराज को जोड़ने
की परिकल्पना साकार
हो रही है।
मेले में प्रथम
बार भारतीय अन्तर्देशीय
जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा 05 जेटी
बनाई गयी हैं।
इस काम पर
जिनसे पहली बार
प्रयागराज में बड़े
क्रूज और मोटर
बोटों का संगठित
संचालन हो रहा
है।
प्रयागराज
नगर को भारतीय
संस्कृति और कला
के बड़े सुन्दर
चित्रों से सजाया
गया है। प्रयागराज
की दीवारों पर
भारतीय संस्कृति की चित्रकारी
खुलकर बोल रही
है। बड़े खूबसूरत
चित्रों से प्रयागराज
के गौरव को,
भारत के गौरव
को दीवारों पर
उकेरा गया है।
यहां 20 लाख वर्ग
फुट दीवारें कुम्भ
के लिये सजाई
जा रही हैं,
जो यहां आने
वालों को चित्रों
से भारतीय संस्कृति
का दर्शन करायेंगी।
मेले में प्रथम
बार
10,000 व्यक्तियों
की
क्षमता
युक्त
गंगा
पण्डाल,
2000 क्षमता
का
एक
प्रवचन
पण्डाल,
1000 क्षमता
के
4 सांस्कृतिक
पण्डाल
स्थापित
किये
जा
रहे
हैं,
जिनमें
सांस्कृतिक
कार्यक्रम
लगातार
होते
रहेंगे।
20,000 आम
श्रद्धालुओं
के
लिए
प्रथम
बार
यात्री
निवास
आदि
की
व्यवस्था
भी
की
जा
रही
है।
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