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Tuesday, September 13, 2016

पावर कारपोरेशन के ,एम् डी सुमेर सिंह यादव पर हरीश सरकार मेहरबान क्यों ?

पावर कारपोरेशन के बदनाम प्रबंध निदेशक सुमेर सिंह यादव की  मौज

o   घूस के नोटों के बंडल लेने का आरोपी हो रहा पुरस्कृत
o   यादव की नियुक्ति में भी हुयी नियमों की अनदेखी
o   हरियाणा में भी निलंबित हुये थे सुमेर यादव
o   यादव की पुनर्नियुक्ति में भी हुयी धांधली

शाह टाइम्स संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन एवं पिटकुल के चर्चित प्रबंध निदेशक सुमेर सिंह यादव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। भाजपा का आरोप है कि यादव का पिछला रिकार्ड खराब होने और उन पर नोटों के बंडल लेने जैसे गंभीर आरोपों के बावजूद कांग्रेस सरकार केवल उन्हें बार-बार प्रोत्साहित कर रही है अपितु उनकी बदनामी की परवाह करते हुये उन्हें बार-बार सेवा विस्तार भी दे रही है, जो कि प्रदेश में भ्रष्टाचार के बोलबाले का ज्वलंत उदाहरण है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनय गोयल ने सुमेर सिंह यादव के खिलाफ स्टिंग मामले के जांच अधिकारी डा0 नीरज खैरवाल को प्रतिवेदन दे कर यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार और राज्य सरकार द्वारा उनको बार-बार अवैधानिक तरीके से लाभ पहुंचाने के संबन्ध में नये सबूत दिया है। गोयल ने आरोप लगाया है कि सुमेर सिंह यादव को पिटकुल का प्रबन्ध निदेशक नियुक्त होने के पश्चात 21 फरवरी 2013 को कार्यभार ग्रहण कराने से पूर्व उनके पूर्व निगम दक्षिण हरियाण विजली वितरण निगम लि0 एवं ऊर्जा विभाग हरियाणा सरकार से कोई जानकारी नही ली गयी जबकि यादव वर्ष 2010 में एक कालोनाईजर को अनियमित तरीके से विद्युत कनेक्शन देकर लाभ पहुंचाने के प्रकरण में निलम्बित रहे थे और उन पर विभागीय कार्यवाही हुई थी।
विनय गोयल ने जांच अधिकारी को अवगत कराया है कि यादव पिटकुल में नियुक्ति के 14 महीने तक दक्षिण हरियाणा विजली वितरण निगम लि0 से पेंशन तथा पिटकुल उत्तराखण्ड से पूरा वेतन प्राप्त करते रहे तथा उनके एक ही बचत खाते पंजाब नेशनल बैंक, इन्दिरा नगर देहरादून में जमा करते रहे। किन्तु जब मुद्दा उछला तो यादव को व्याज सहित यह धन वापस करना पड़ा, किन्तु इसका दोष उन्होंने अपने अधीनस्थ कनिष्ठ अधिकारियों पर डाल दिया। इसके पश्चात उत्तराखण्ड शासन ऊर्जा विभाग द्वारा यूपीसीएल के प्रबन्घ निदेशक की नियुक्ति निकाली गई जिसमें शासन की साक्षात्कार की कमेटी द्वारा .पी. दीक्षित को नम्बर एक पर रखे जाने के बावजूद यादव को ही 13 मई 2014 को प्रबन्ध निदेशक का कार्य भार ग्रहण कराते हुये पिटकुल के प्रबन्ध निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार भी दे दिया गया। यहां पुनः नियुक्ति विज्ञापन की स्पष्ट शर्त कि अभ्यर्थी को अपना पिछले पांच साल का विजिलेन्स, क्लियरैन्स रिपोर्ट जमा करना होगा, का गम्भीर उलंघन किया गया तथा यादव द्वारा अपने पिटकुल के कार्यकाल, जो केवल एक वर्ष तीन माह का था का विजिलेन्स, क्लियरैन्स अपने ही अधीन निदेशक मानव संसाधन से जारी कराकर दे दिया जो कि नियम विरूद्ध है। किन्तु फिर भी तीन वर्ष नौ माह का विजिलेन्स, क्लियरैन्स जो उनके पूर्व नियोक्ता हरियाणा सरकार द्वारा दिया जाना था, नहीं दिया गया।

ऊर्जा विभाग उत्तराखण्ड शासन द्वारा यादव को यूपीसीएल में प्रबन्ध निदेशक की
नियुक्ति स्पष्ट रूप से उनकी उम्र 60 वर्ष पूरे होने अथवा तीन वर्ष जो भी पहले हो तक ही दी गयी थी। गत 24 जनवरी 2016 को यादव की उम्र 60 साल पूरी हो गयी किन्तु
उससे पूर्व ही सारे नियम एवं कायदों को ताक पर रखते हुये अक्टूबर 2015 में ही इन्हें 6 माह का सेवा विस्तार दे दिया गया। शासन द्वारा नई नियुक्ति का कोई प्रयास नहीं किया गया जबकि शासनादेश संख्या 173/××× (2)/2013-3 (1) 2012 दिनांक 20.02.2013 के पुनर्नियुक्ति आदेश के अनुसार पुर्ननियुक्ति उसी दशा में दी जा सकती थी जबकि प्रयास के बाद भी उपयुक्त व्यक्ति उपलब्ध हो। साथ ही शासनादेश के द्वितीय बिन्दु यदि सामान्य प्रयास के बाद भी कोई कार्मिक उपलब्ध हो तो पुर्ननियुक्त होने वाले व्यक्ति को स्वीकृत पदों के पदनाम तथा प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकार नहीं दिये जाने को भी गम्भीर रूप से नजरअंदाज करके उन्हें लाभ पहंुचाया गया। गोयल ने कहा कि इसके अतिरिक्त समय-समय पर भ्रष्टाचार के अनेक आरोप यूपीसीएल के एमडी सुमेर सिंह यादव पर विभिन्न स्तरों से लगाये गये हैं तथा उनकी छवि सत्यनिष्ठा के परे है। इस अवसर पर जारी की गई सीडी में यादव संदिग्घ रूप से लाखों रूपये से भरा बैंग सम्भवतः अपने आवास पर उठाकर ले जाते दिखाई दे रहे हैं, जिसकी जांच आवश्यक है।
भाजपा नेता ने यादव को उन पर लगे आरोपों की अनदेखी कर उन्हें बार-बार लाभ पहुंचाने
सरकार और खास कर मुख्यमंत्री कार्यालय की ईमान्दारी पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं। गोयल ने कहा कि यादव का मामला नौकरशाही के लिये खुला संदेश है कि खूब कमाओ और कमा कर हमको भी दो। 


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