उत्तराखण्ड
में चुनाव से
पहले राजनीतिक गृह
क्लेश
-जयसिंह रावत
विधानसभा चुनावों से ठीक
पहले उत्तराखण्ड में
सत्ता की दावेदार
दोनों ही राजनीतिक
पार्टियों गृह क्लेश
से जूझ रही
हैं। सत्ताधारी कांग्रेस
के अन्दर प्रदेश
अध्यक्ष और मुख्यमंत्री
के बीच घमासान
चल रहा है
तो भाजपा में
एक व्यक्ति एक
पद की मुहिम
चलने के साथ
ही कांग्रेस छाड़
कर आने वाले
बागियों मूल भाजपाइयों
को बेचैन किया
हुआ है।
अगले वर्ष फरबरी
में होने वाले
उत्तराखण्ड विधानसभा के चुनावों
के लिये राज्य
की सत्ता की
प्रबल दावेदार भाजपा
और कांग्रेस ने
तैयारियां शुरू कर
दी हैं। भाजपा
अध्यक्ष अमित शाह
तो एक तरह
से हरिद्वार में
चुनावी बिगुल बजा ही
चुके हैं, जबकि
प्रदेश संगठन द्वारा बूथ
स्तर की चुनाव
कमेटियों का तक
गठन हो चुका
है और चुनाव
तैयारियों के लिये
विधानसभा क्षेत्रवार संयोजकों और
सभी मोर्चों की
बैठकें हो चुकी
है। भाजपा ने
हरीश रावत सरकार
के खिलाफ पर्दाफाश
रैलियों का आयोजन
कर एक तरह
मैदान में कूदने
के लिये हरीश
रावत को ललकार
ही दिया है।
उधर सत्ताधारी कांग्रेस
ने भी चुनाव
के लिये बूथ
स्तर तक कमेटियों
का गठन कर
लिया है और
उनकी बैठकें भी
कर ली हैं।
जिला, ग्राम, बाजार
और विधानसभा क्षेत्र
स्तर पर सम्मेलन
चल रहे हैं।
यही नहीं कांग्रेस
में उम्मीदवारों की
चयन प्रकृया भी
शुरू हो गयी
है। जिला स्तर
से संभावित प्रत्याशियों
के नाम प्रदेश
कमेटी के पास
आने शुरू हो
गये हैं। इधर
मुख्यमंत्री हरीश रावत
जनता को लुभाने
के लिये न
केवल ताबड़तोड़ घोषणाएं
कर रहे हैं,
अपितु कैबिनेट द्वारा
लोकलुभावन फैसलों की झड़ी
लगाई जा रही
है। लेकिन इन
तमाम गतिविधियों के
बीच कांग्रेस और
भाजपा, दोनों में ही
अन्दरखाने जबरदस्त कलह चल
रही है। दोनों
के अन्दर का
असन्तोष की गूंज
दलीय सीमाएं लांघ
कर मीडिया के
जरिये गली कूचों
तक सुनाई दे
रही है।
चुनाव से ठीक
पहले सत्ताधारी कांग्रेस
के अन्दर ज्यादा
अन्तकर्लह नजर आ
रहा है। यहां
संगठन के प्रमुख
किशोर उपाध्याय और
सरकार के प्रमुख
हरीश रावत के
बीच चल रही
तनातनी राहुल गांधी के
दरबार तक पहुंच
गयी है। पहले
राज्य सभा सीट
को लेकर तो
अब पीडीएफ को
लेकर उपाध्याय और
हरीश रावत एक
दूसरे से उलझे
हुये हैं। अगर
आप इसे सरकार
और संगठन के
बीच भिड़ंत कहें
तो अतिशयोक्ति न
होगी। यद्यपि किशोर
उपाध्याय कभी हरीश
रावत गुट के
ही सिपहसालार माने
जाते थे और
उनकी ही कृपा
से उपाध्याय को
प्रदेश अध्यक्ष का पद
मिला था। लेकिन
आज इन दोनों
के अपनेपन के
रिश्ते वैसे ही
हो गये हैं
जैसे कि कभी
हरीश रावत और
नारायण दत्त तिवारी
के हुआ करते
थे। कटुता की
शुरुआत गत राज्यसभा
चुनाव से तब
हुयी जबकि हरीश
रावत ने इस
सीट की दावेदारी
कर रहे किशोर
उपाध्याय के बजाय
यह सीट अपने
दूसरे समर्थक प्रदीप
टमटा को दिला
दी। आज पीडीएफ
कोटे के मंत्री
दिनेश धनै के
कारण किशोर उपाध्याय
के लिये प्रदेश
अध्यक्ष होते हुये
भी पार्टी टिकट
के लिये लाले
पड़ गये हैं।
उपाध्याय का अपना
विधानसभा क्षेत्र टिहरी है
जहां से दिनेश
धनै एपाध्याय को
हरा कर चुने
गये हैं और
वह रावत सरकार
को समर्थन के
बदले अपने लिये
उस सीट की
गारंटी हरीश रावत
से ले चुके
हैं। सामान्यतः प्रदेश
कांग्रेस अध्यक्ष अन्य को
भी टिकट दिलाते
हैं मगर यहां
अध्यक्ष का अपना
ही टिकट कट
रहा है। सवाल
केवल किशोर उपाध्याय
की सीट का
नहीं है। देवप्रयाग
सीट शिक्षा मंत्री,
मंत्रीप्रसाद नैथाणी के लिये
छोड़नी मुख्यमंत्री की
मजबूरी है और
उस सीट पर
कांग्रेस के वरिष्ठ
नेता शूरवीर सिंह
सजवाण अपनी दावेदारी
छोड़़ने को तैयार
नहीं हैं। इसी
तरह पीडीएफ के
कारण टिहरी की
ही धनोल्टी सीट
भी टकराव का
कारण बनी हुयी
है। इस सीट
पर पीडीएफ कोटे
के मंत्री प्रीतम
पंवार दावा कर
रहे हैं जबकि
इस पर कांग्रेस
के प्रदेश उपाध्यक्ष
जोतसिंह बिष्ट पिछले कई
सालों से अपनी
तैयारी कर रहे
हैं। वह पिछले
चुनाव में यहीं
से लड़े भी
थे। कुल मिला
कर देखा जाय
तो सरकार को
समर्थन दे रहे
निर्दलीय, यूकेडी और बसपा
के विधायकों का
समर्थन मुख्यमंत्री हरीश रावत
को भारी पड़ने
लगा है। इस
समर्थन की खातिर
हरीश रावत के
अपने ही उनके
लिये पराये होते
जा रहे हैं।
ठीक चुनाव से
पहले कांग्रेस और
पीडीएफ में चल
रहा बयानयुद्ध हरीश
रावत के लिये
जी का जंजाल
बन गया है।
पीडीएफ कोटे के
मंत्री प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
की हैसियत को
तक चुनौती देने
लगे हैं।
सत्ता की दूसरी
प्रबल दावेदार भाजपा
में भी चुनाव
से पहले सबकुछ
ठीकठाक नहीं है।
’सूत न कपास
और जुलाहों में
लट्ठमलट्ठा’ वाली कहावत
भाजपाई ही चरितार्थ
कर रहे हैं।
अगली सरकार के
बारे में भले
ही जानेमाने भविष्यवक्ता
बेजन दारूवाला हरीश
रावत के पक्ष
में भविष्यवाणी कर
चुके हैं लेकिन
राज्य की राजनीतिक
वास्तविकताओं से परिचित
राजनीतिक ज्योतिषी भी आगामी
चुनाव में किसी
भी दल की
जीत या हार
पर भविष्यवाणी करने
से बच रहे
हैं। लेकिन भाजपा
में मुख्यमंत्री पद
को लेकर अभी
से घमासान शुरू
हो गया है।
अब तक तो
भाजपा में मुख्यमंत्री
पद के दावेदारों
में भुवन चन्द्र
खण्डूड़ी, भगत सिंह
कोश्यारी और रमेश
पोखरियाल निशंक, तीन ही
दोवदार थे लेकिन
गत लोकसभा चुनाव
में सतपाल महाराज
की भाजपा में
एंट्री से दावेदारों
की जो संख्या
चार तक पहुंच
गयी थी वह
अब संख्या कांग्रेस
से बगावत कर
भाजपा में शामिल
होने वाले 10 विधायकों
में से विजय
बहुगुणा और हरक
सिंह रावत ने
6 तक तो पहंचा
ही दी। लेकिन
अजय भट्ट जब
प्रदेश अध्यक्ष के साथ
ही विधानसभा में
प्रतिपक्ष के नेता
भी हैं तो
उनकी दावेदारी स्वाभाविक
ही बन जाती
है। इस प्रकार
आज की तारीख
में भाजपा के
7 दावेदार एक दूसरे
को फूटी आंख
नहीं सुहा रहे
हैं। खण्डूड़ी समर्थकों
ने अपने चिरपरिचित
अंदाज में एक
बार फिर ’खण्डूड़ी
हैं जरूरी’ का
नारा देना शुरू
किया तो सतपाल
महाराज और कोश्यारी
ने पलट कर
जवाब दे दिया
कि व्यक्ति नहीं
बल्कि पार्टी जरूरी
है। वरिष्ठ नेताओं
ने तो एक
व्यक्ति एक पद
के सिद्धान्त का
पालन कराने की
मुहिम ही छेड़
दी है। चूंकि
अब विधानसभा अपने
अंतिम चरण में
हैं और उसकी
अब केवल औपचारिक
बैठकें ही होनी
हैं इसलिये सबकी
नजर अजय भट्ट
को मिली प्रदेश
अध्यक्ष की कुर्सी
पर है। इसके
लिये वरिष्ठ नेता
अपनी आवाज उठा
भी चुके हैं।
अपनी उपेक्षा से
सांसद एवं पूर्व
मुख्यमंत्री कोश्यारी भी इन
दिनों नाराज चल
रहे हैं। वह
अगला लोकसभा चुनाव
न लड़ने की
घोषणा भी कर
चुके हैं।
भाजपा कांग्रेस के जिन
10 बागियों को अपनी
सबसे बड़ी उपलब्धि
मान रही थी
वे अब पार्टी
के लिये बोझ
साबित होने लगे
हैं। इन 10 बागियों
को टिकट देकर
भाजपा कम से
कम अपने समर्पित
और जिताऊ नेताओं
को खो सकती
है। अगर उनमें
से कुछ भाजपा
नहीं भी छोडेंगे
तो भी वे
पूरी कोशिश करेंगे
कि भाजपा के
ये नवागन्तुक अवश्य
ही हारें। हरक
सिंह रावत जैसे
दावेदार को लेकर
पार्टी के अन्दर
विद्रोह शुरू हो
भी चुका है।
वैसे भी पार्टी
के वरिष्ठ नेता
इन बागियों को
इसलिये भी नहीं
पचा पा रहे
हैं क्योंकि वे
इनके खिलाफ कुछ
ही महीनों पहले
तक हायतौबा मचाते
रहते थे। इन
बागियों के कारनामों
के खिलाफ वे
सड़क से लेकर
विधानसभा तक आवाज
उठाते थे।
कुल मिला कर
देखा जाय जो
असन्तोष की जैसी
आग सत्ताधारी कांग्रेस
के अन्दर सुलग
रही है वैसी
आग भाजपा में
तो नहीं है
मगर उस खेमे
में कुछ धुंआं
उठते जरूर देखा
जा रहा है। यह
धुआं जल्दी ही
टिकट वितरण के
बाद दावानल का
रूप ले सकता
है।
जयसिंह रावत
फ्रेंड्स एन्क्लेव, शाहनगर,
डिफेंस कालोनी रोड
देहरादून।
मोबाइल-09412324999